'इंडिया जस्टिस रिपोर्ट- 2025' में आंध्र प्रदेश दूसरे स्थान पर पहुंचा
शुभम रंजन
- 09 Aug 2025, 09:25 PM
- Updated: 09:25 PM
अमरावती, नौ अगस्त (भाषा) न्याय प्रदान करने में एक करोड़ से अधिक आबादी वाले 18 बड़े और मध्यम आकार के राज्यों में आंध्र प्रदेश ने समग्र रूप से दूसरा स्थान हासिल किया है। 'इंडिया जस्टिस रिपोर्ट- 2025' में इसकी जानकारी दी गयी है ।
आंध्र प्रदेश 2022 में यह पांचवें स्थान था। कर्नाटक ने 2025 में शीर्ष स्थान प्राप्त किया।
रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिणी राज्य 'कारागार' श्रेणी में चौथे स्थान पर तथा 'कानूनी सहायता' के मामले में पांचवें स्थान पर है।
तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) की राष्ट्रीय प्रवक्ता ज्योत्सना तिरुनगरी ने कहा, "हम अपनी रैंकिंग में इस नाटकीय बदलाव से बेहद खुश हैं। हम अगली रैंकिंग में नंबर एक बनने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
आईजेआर सरकारी स्रोतों से प्राप्त नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों को न्याय प्रदान करने के चार स्तंभों (पुलिस, न्यायपालिका, जेल और कानूनी सहायता) के आंकड़ों के साथ जोड़ता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रत्येक स्तंभ का विश्लेषण बजट, मानव संसाधन, कार्यभार, विविधता, बुनियादी ढांचे और राज्य के घोषित मानकों और बेंचमार्क के आधार पर किया गया।
आईजेआर 2025 के अनुसार, आंध्र प्रदेश में कैदियों पर सबसे अधिक खर्च होता है, प्रति कैदी 2.6 लाख रुपये प्रति वर्ष, या 733 रुपये प्रतिदिन, जबकि जेलों में कैदियों की संख्या 7,200 है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना दोनों राज्यों में जेलों में क्षमता से अधिक भीड़ नहीं है तथा किसी भी जेल में 250 प्रतिशत से अधिक कैदी नहीं हैं।
कानूनी सहायता के अंतर्गत, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सरकारें अपने-अपने कानूनी सहायता बजट का 80 प्रतिशत से अधिक योगदान देती हैं तथा 2022-23 में 100 प्रतिशत निधि उपयोग की सूचना दी गई है।
हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि आंध्र प्रदेश ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) के फंड का 89 प्रतिशत उपयोग किया, जबकि तेलंगाना ने 61 प्रतिशत उपयोग किया।
लिंग और जाति प्रतिनिधित्व के मामले में, आंध्र प्रदेश में 2016 से अनुसूचित जाति (एससी) अधिकारियों में 10 प्रतिशत से अधिक की कमी दर्ज की गई है, जबकि अनुसूचित जनजाति (एसटी) कांस्टेबलों के बीच रिक्तियां 2019 में छह प्रतिशत से बढ़कर 2022 में 11 प्रतिशत हो गई हैं।
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना दोनों राज्यों की जिला अदालतों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 50 प्रतिशत से अधिक है। आंध्र प्रदेश में राष्ट्रीय स्तर पर पुलिस बल में महिलाओं का अनुपात सबसे अधिक 22 प्रतिशत है।
टाटा ट्रस्ट ने इसे शुरु किया था और पहली बार 2019 में इसका प्रकाशन हुआ था।
भाषा शुभम