उच्च न्यायालय ने दो शवों का दूसरी बार पोस्टमार्टम कराने का आदेश दिया
राखी रंजन नरेश
- 10 Aug 2025, 07:35 PM
- Updated: 07:35 PM
कोलकाता, 10 अगस्त (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम मेदिनीपुर जिले के खेजुरी थाने के एक मामले में दो शवों का दूसरी बार पोस्टमार्टम कराने का आदेश दिया है। अदालत का कहना है कि इससे जांच में सहायता मिलेगी।
जिन व्यक्तियों के शवों का पोस्टमार्टम कराया जाना है वे 12 जुलाई को खेजुरी में एक मेले में गए थे जहां बिजली का खंभा गिरने से उनकी मौत हो जाने का दावा किया गया था। हालांकि, परिजनों ने आरोप लगाया कि उनकी हत्या की गयी थी।
न्यायमूर्ति देबांगसु बसाक की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने दोनों शवों का दोबारा पोस्टमार्टम करने का आदेश देते हुए कहा, "इससे अपीलकर्ताओं द्वारा उठाए गए संदेहों का भी समाधान हो जाएगा।"
अदालत ने निर्देश दिया कि दूसरी बार पोस्टमार्टम सरकारी एसएसकेएम अस्पताल में कराया जाए और अस्पताल के अधीक्षक को इस कार्य के लिए एक "उपयुक्त टीम" गठित करने को कहा।
न्यायमूर्ति प्रसेनजीत बिस्वास भी खंडपीठ में शामिल थे।
पीठ ने पिछले सप्ताह दिए अपने फैसले में कहा कि पोस्टमार्टम न्यायिक मजिस्ट्रेट की देखरेख में होना चाहिए।
अदालत ने कहा कि दूसरी बार कराए गए पोस्टमार्टम की रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में रखी जाए और पूर्व मेदिनीपुर के पुलिस अधीक्षक इसे अस्पताल अधीक्षक से प्राप्त करें।
मृतकों के परिजनों की दूसरी बार पोस्टमार्टम कराने की याचिका को उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने स्वीकार नहीं किया जिसके बाद उन्होंने आदेश को चुनौती देते हुए खंडपीठ के समक्ष अलग-अलग अपील दायर की।
पहले किए गए पोस्टमार्टम के बाद शव सुरक्षित रखे गए हैं।
अदालत ने कहा कि पुलिस ने प्रारंभ में मामले को अस्वाभाविक मौत के तौर पर दर्ज किया था लेकिन परिजनों द्वारा हत्या का आरोप लगाए जाने के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई।
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में वास्तविक मौत का कारण स्पष्ट नहीं था और शव पर मौजूद आवश्यक चिन्हों का उल्लेख नहीं किया गया।
एक अपीलकर्ता के वकील ने कहा कि एक मृतक के शव पर पाई गई चोटों का रिपोर्ट में जिक्र नहीं है। परिजनों ने शवों के फोटो भी अदालत में प्रस्तुत किए।
याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने कहा कि सच्चाई उजागर करने के लिए दूसरी बार पोस्टमार्टम कराना जरूरी है।
पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता जनरल किशोर दत्ता ने इस मांग का विरोध करते हुए कहा कि यदि ऐसे अनुरोध मान लिए जाएं तो यह गलत मिसाल बनेगी।
उन्होंने बताया कि दोनों मृतकों के मामले में अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज कर हत्या की जांच की जा रही है जो अभी पूरी नहीं हुई है।
अदालत ने कहा कि पोस्टमार्टम सर्जन द्वारा बीएनएसएस की धारा 180 के तहत दिए गए बयान में जो स्पष्टीकरण दर्ज है वह उस समय उनका ‘‘निर्णय’’ था।
खंडपीठ ने कहा, ‘‘उनके निर्णय पर या अब तक की जांच पर कोई टिप्पणी किए बिना, चूंकि दोनों शव अब भी उपलब्ध हैं इसलिए दूसरी राय प्राप्त की जा सकती है।’’
भाषा
राखी रंजन