संसद ने आयकर विधेयक और कराधान संशोधन विधेयक को दी मंजूरी
माधव अविनाश माधव अविनाश
- 12 Aug 2025, 06:33 PM
- Updated: 06:33 PM
नयी दिल्ली, 12 अगस्त (भाषा) संसद ने मंगलवार को देश में कराधान क्षेत्र से जुड़े दो महत्वपूर्ण विधेयकों आयकर विधेयक, 2025 और कराधान विधि (संशोधन) विधेयक, 2025 को मंजूरी दे दी। वहीं सरकार ने कहा कि इससे देश में कराधान संबंधित नियमों को सरल बनाने में काफी मदद मिलेगी।
राज्यसभा ने इन दोनों विधेयकों पर हुई संयुक्त चर्चा और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के जवाब के बाद इन विधेयकों को ध्वनिमत से लोकसभा को लौटा दिया। लोकसभा इन्हें पहले ही पारित कर चुकी है।
उच्च सदन में इन दोनों विधेयकों के पारित होने के समय कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्य मौजूद नहीं थे। विपक्षी सदस्यों ने मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग पर सदन से वाकऑउट किया था।
वित्त मंत्री सीतारमण ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इन दोनों विधेयकों के प्रवाधान से देश में कराधान प्रणाली को सरल बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने इस बात पर निराशा जतायी कि दोनों विधेयकों पर चर्चा के दौरान विपक्ष के सदस्य सदन में मौजूद नहीं थे।
उन्होंने कहा कि आयकर विधेयक को सरकार दोबारा लेकर आयी और इसमें प्रवर समिति के लगभग सारे सुझावों को शामिल कर लिया गया है।
वित्त मंत्री ने कहा कि इस विधेयक के जरिये आयकर कानून में जो नये प्रावधान किए गए हैं, उन्हें आम आदमी आयकर विभाग की वेबसाइट पर जाकर देख सकता है।
सीतारमण ने फरवरी में पेश किये गए आयकर विधेयक, 2025 को 8 अगस्त को वापस ले लिया था। उन्होंने लोकसभा में सोमवार को विधेयक का अद्यतन संस्करण पेश किया, जिसमें प्रवर समिति की लगभग सभी सिफारिशों को शामिल किया गया है।
इससे पहले दोनों विधेयक पर हुई संयुक्त चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के नरेश बंसल ने कहा कि प्रस्तावित कानून में जनता के विचारों को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि नया कानून 2047 की चुनौतियों को सामना करने के लिए ‘रोडमैप’ होगा।
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के एस. निरंजन रेड्डी ने कहा कि देश इस कानून का इंतजार कर रहा था। उन्होंने कहा कि मौजूदा आयकर कानून काफी जटिल है लेकिन नए कानून को सरल बनाया गया है और शब्दावलियों को भी आसान बनाया गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार के सामने कई चुनौतियां भी हैं जिनमें आयकर देने वाले लोगों की संख्या का काफी कम होना शामिल है। उन्होंने कहा कि विकसित देशों में और यहां तक कि ‘ब्रिक्स’ देशों में भी आयकर देने वाले लोगों का प्रतिशत भारत की अपेक्षा अधिक है।
जद (यू) सदस्य संजय कुमार झा ने कहा कि कानून की भाषा सरल बनायी गयी है और अप्रासंगिक प्रावधानों को हटा दिया गया है।
भाजपा के संजय सेठ ने इस विधेयक को ऐतिहासिक सुधार बताया और कहा कि विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
टीएमसी (एम) सदस्य जी. के. वासन ने भी विधेयक का स्वागत किया और कहा कि कर व्यवस्था में सुधार किया गया है और समय पर रिटर्न नहीं भरने वाले लोगों को भी आयकर रिफंड का दावा करने का मौका दिया गया है।
भाजपा के भगवत कराड और महेंद्र भट्ट तथा तेदेपा के मस्थान राव यादव वीडा ने भी विधेयक का समर्थन किया।
विधेयक पारित होने के बाद सदन की बैठक सोमवार 18 अगस्त पूर्वाह्न 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी।
नया विधेयक मौजूदा आयकर अधिनियम, 1961 की जगह लेगा, जिसमें बीते कुछ साल में कई संशोधन किये गए थे। नया विधेयक वर्तमान अधिनियम के मूल कर प्रावधानों को बरकरार रखता है और मुख्य रूप से भाषा को सरल बनाने और अनावश्यक प्रावधानों को हटा दिया गया है।
विधेयक के उद्देश्यों और कारणों में कहा गया है, ‘‘प्रवर समिति की लगभग सभी सिफारिशें सरकार द्वारा स्वीकार कर ली गई हैं। इसके अलावा, हितधारकों से ऐसे बदलावों के बारे में सुझाव प्राप्त हुए हैं जो प्रस्तावित कानूनी अर्थ को और अधिक सटीक रूप से व्यक्त करेंगे।’’
सरकार ने गत 13 फरवरी को लोकसभा में आयकर विधेयक, 2025 पेश किया था। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली प्रवर समिति ने इसमें कुछ बदलाव की सिफारिश की थी। उक्त विधेयक को शुक्रवार को लोकसभा में वापस ले लिया गया।
प्रवर समिति ने सुझाव दिया था कि सरकार को उन लोगों के लिए टीडीएस दावों से संबंधित प्रावधानों में बदलाव करना चाहिए जो तय समयसीमा तक आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल नहीं कर पाते।
संशोधित विधेयक के अनुसार, लोगों को मूल आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए प्रदान की गई वैधानिक समयसीमा के बाद आयकर रिटर्न दाखिल करने की स्थिति में टीडीएस रिफंड का दावा करने की अनुमति होगी।
विधेयक के कथन में कहा गया है, ‘‘मसौदे की प्रकृति, वाक्यांशों के संरेखण, परिणामी परिवर्तनों और परस्पर संदर्भों में सुधार किये गए हैं। इसलिए, सरकार ने प्रवर समिति की रिपोर्ट के अनुसार आयकर विधेयक, 2025 को वापस लेने का निर्णय लिया। परिणामस्वरूप, आयकर अधिनियम, 1961 का स्थान लेने के लिए आयकर (संख्यांक 2) विधेयक, 2025 तैयार किया गया है।’’
भाषा माधव अविनाश माधव