अरुणाचल सभी हरित ऊर्जा परियोजनाओं में तेजी लाएगा: खांडू
राजेश राजेश रमण
- 15 Aug 2025, 07:00 PM
- Updated: 07:00 PM
ईटानगर, 15 अगस्त (भाषा) अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सभी हरित ऊर्जा परियोजनाओं में तेजी लाने, रुकी हुई परियोजनाओं को पटरी पर लाने और सार्वजनिक-निजी भागीदारी को अपनाने के एक दशक के लंबे मिशन पर है।
यहां आईजी पार्क में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने संबोधन में खांडू ने कहा कि जैसे-जैसे राज्य वर्ष 2047 तक 'विकसित अरुणाचल' की ओर बढ़ रहा है, लोगों को हरित ऊर्जा की ओर देखना होगा। वर्ष 2047, भारत की स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे होने का वर्ष है।
उन्होंने कहा, ‘‘बेजोड़ प्राकृतिक क्षमता के साथ, अरुणाचल भारत का हरित ऊर्जा केंद्र बन रहा है। हमारे जलविद्युत और ग्रेफाइट, चूना पत्थर, डोलोमाइट जैसे महत्वपूर्ण खनिज संसाधन आने वाले दशकों तक सौर पैनलों, बैटरियों और इलेक्ट्रिक वाहन जरूरी गति प्रदान करेंगे।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2,000 मेगावाट की सुबनसिरी लोअर परियोजना जैसी बड़ी परियोजनाएं मई 2026 तक तैयार हो जाएंगी और 2,880 मेगावाट की दिबांग बहुउद्देशीय परियोजना फरवरी 2032 तक पूरी होने की राह पर है।
अरुणाचल सरकार ने पहले ही वर्ष 2025-35 को जलविद्युत दशक घोषित कर दिया है।
खांडू ने कहा, ‘‘अगले 3 वर्षों में ही, हम दो लाख करोड़ रुपये की नई जलविद्युत परियोजनाओं पर काम शुरू करेंगे, जिससे 19 गीगावाट क्षमता और बढ़ेगी।’’
उन्होंने कहा कि ये परियोजनाएं केवल ऊर्जा के बारे में नहीं हैं, बल्कि ये सशक्तिकरण के बारे में हैं।
इन परियोजनाओं से राज्य को सालाना 4,000 करोड़ रुपये से अधिक की मुफ्त बिजली और स्थानीय क्षेत्र के विकास के लिए 750 करोड़ रुपये मिलेंगे। हर साल, लगभग 2,000 करोड़ रुपये का लाभांश सीधे हमारे राज्य को मिलेगा। बेहतर सड़कों, स्कूलों आदि के अलावा, इससे निर्माण और संचालन में 30,000 प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे।
सियांग अपर बहुउद्देशीय परियोजना (एसयूएमपी) के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इस परियोजना के भारत की जल और राष्ट्रीय सुरक्षा दोनों के लिए रणनीतिक महत्व से अवगत है। इस परियोजना का आदि समुदाय ने कड़ा विरोध किया है,
उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश अपनी अपार जलविद्युत क्षमता के कारण वर्ष 2023-24 में 16,326 कार्बन क्रेडिट जारी करने की गारंटी पहले ही प्राप्त कर चुका है।
अरुणाचल प्रदेश वर्ष 2024-25 में अतिरिक्त 7,275 कार्बन क्रेडिट की स्वीकृति के अंतिम चरण में है।
प्रत्येक कार्बन क्रेडिट 1,000 किलोग्राम कार्बन उत्सर्जन में कमी दर्शाता है - जो वैश्विक कार्बन उत्सर्जन को कम करने में सरकार के ठोस योगदान का प्रमाण है।
भाषा राजेश राजेश