हमारी आकांक्षा है कि वर्ष 2047 तक भारत एआई का वैश्विक केंद्र बने: राष्ट्रपति मुर्मू
अविनाश
- 14 Aug 2025, 08:03 PM
- Updated: 08:03 PM
नयी दिल्ली, 14 अगस्त (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के क्षेत्र में सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि यह अकांक्षा है कि वर्ष 2047 तक भारत एआई का वैश्विक केंद्र बने।
मुर्मू ने इस बात का उल्लेख किया कि डिजिटल युग में भारत में सबसे अधिक प्रगति, सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में हुई है।
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘लगभग सभी गांवों में 4जी मोबाइल संपर्क उपलब्ध है। शेष कुछ हजार गांवों में भी यह सुविधा शीघ्र ही पहुंचा दी जाएगी। इससे डिजिटल भुगतान तकनीकी को बड़े पैमाने पर अपनाना संभव हो पाया है। डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में भारत, कम समय में ही, विश्व का अग्रणी देश बन गया है। इससे प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) को भी बढ़ावा मिला है।’’
मुर्मू के अनुसार, प्रौद्यागिकी विकास का अगला चरण एआई है जो सबके जीवन में अपना स्थान बना चुका है।
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ने देश की एआई क्षमताओं को मजबूत करने के लिए ‘इंडिया-एआई’ मिशन शुरू किया है। इस मिशन के तहत ऐसे मॉडल विकसित किए जाएंगे जो भारत की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करेंगे। हमारी आकांक्षा है कि वर्ष 2047 तक भारत, एक वैश्विक एआई केंद्र बन जाए। इस दिशा में, सामान्य लोगों के लिए तकनीकी प्रगति का सर्वोत्तम उपयोग और प्रशासन-व्यवस्था में सुधार करके उनके जीवन को बेहतर बनाने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।’’
उन्होंने स्वतंत्रता दिवस की पूर्वसंध्या पर राष्ट्र के नाम दिए अपने संबोधन में यह भी कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से दूरगामी बदलाव किए गए हैं तथा शिक्षा को जीवन-मूल्यों से एवं कौशल को परंपरा के साथ जोड़ा गया है।
मुर्मू ने कहा, ‘‘सरकार यह मानती है कि जीवन की बुनियादी सुविधाओं पर, नागरिकों का हक बनता है। ‘जल जीवन मिशन’ के तहत ग्रामीण घरों में नल से जल पहुंचाने में प्रगति हो रही है। अपने तरह की विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य-सेवा योजना, ‘आयुष्मान भारत’ के अंतर्गत, विभिन्न कदम उठाए गए हैं। उन प्रयासों के परिणाम-स्वरूप स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में, हम क्रांतिकारी बदलाव देख रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस योजना के तहत अब तक 55 करोड़ से अधिक लोगों को सुरक्षा-कवच प्रदान किया जा चुका है। सरकार ने 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों को इस योजना की सुविधा उपलब्ध करा दी है, चाहे उनकी आय कितनी भी हो। स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच से जुड़ी असमानताएं दूर होने से गरीब और निम्न-मध्यम वर्ग के लोगों को भी सर्वोत्तम संभव स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो रही हैं।’’
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में इस बात का जिक्र किया कि महात्मा गांधी ने भारतीय कारीगरों और शिल्पकारों के खून-पसीने से निर्मित और उनके अतुलनीय कौशल से युक्त उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए स्वदेशी की भावना को मजबूत किया था।
उन्होंने कहा, ‘‘स्वदेशी का विचार ‘मेक-इन-इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ जैसे राष्ट्रीय प्रयासों को प्रेरित करता रहा है। हम सबको यह संकल्प लेना है कि हम अपने देश में बने उत्पादों को खरीदेंगे और उनका उपयोग करेंगे।’’
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