वैश्विक स्तर पर बढ़ रहा आर्थिक स्वार्थ, ‘समृद्ध भारत’ के लिए आत्मनिर्भरता ज़रूरी: प्रधानमंत्री मोदी
हक वैभव हक दिलीप
- 15 Aug 2025, 04:31 PM
- Updated: 04:31 PM
नयी दिल्ली, 15 अगस्त (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को लड़ाकू जेट इंजन से लेकर ऊर्जा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता तक के क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनकर "समृद्ध भारत" बनाने का आह्वान किया। उन्होंने अगली पीढ़ी के सुधारों के लिए एक कार्यबल का गठन करने, दिवाली के लिए बड़े उपहार के रूप में जीएसटी में बदलाव और "सुदर्शन चक्र" नामक अत्याधुनिक रक्षा कवच की घोषणा की।
उन्होंने लाल किले की प्राचीर से अपने लगातार 12 वें स्वतंत्रता दिवस संबोधन में आत्मनिर्भरता पर ऐसे समय में विशेष जोर दिया, जब भारत और दुनिया बढ़ते अमेरिकी संरक्षणवाद का सामना कर रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आज जब वैश्विक परिस्थितियों में आर्थिक स्वार्थ दिनों दिन बढ़ रहा है, तब समय की मांग है कि हम उन संकटों का रोना रोने की जरूरत नहीं है, मैं बड़े अनुभव से कहता हूं, किसी दूसरे की लकीर छोटी करने के लिए अपनी ऊर्जा हमें नहीं खपानी है, हमें पूरी ऊर्जा के साथ हमारी लकीर को लंबा करना है। हम अगर अपनी लकीर लंबी करते हैं, तो दुनिया भी हमारा लोहा मानेंगी।
मोदी ने अपने 103 मिनट के भाषण में यह भी कहा, ‘‘मैं 25 साल के शासन के अनुभव से कह सकता हूं, अगर यह रास्ता हमने चुन लिया, हर किसी ने चुन लिया, तो फिर कोई स्वार्थ हमें अपनी चंगुल में नहीं फंसा सकता है।’’
भारत की पहली सेमीकंडक्टर चिप बनाने से लेकर जेट इंजन बनाने और परमाणु ऊर्जा के दस गुना विस्तार तक, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 79वें स्वतंत्रता दिवस पर देश को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की राह पर अग्रसर करने के लक्ष्य वाली घोषणाएं कीं।
उन्होंने घुसपैठ के जरिए देश की जनसांख्यिकी बदलने की एक पूर्व-नियोजित साजिश के प्रति आगाह किया और इस समस्या से निपटने के लिए एक उच्च-स्तरीय जनसांख्यिकी मिशन की घोषणा करते हुए कहा कि कोई भी देश घुसपैठियों को बर्दाश्त नहीं कर सकता।
सेमीकंडक्टर, सोशल मीडिया, उर्वरक और फार्मा सहित विभिन्न क्षेत्रों में ‘‘स्वदेशी’, आत्मनिर्भरता और नवाचार का उनका व्यापक आह्वान ऐसे समय में आया, जब देश के अमेरिका के साथ संबंधों में तनाव है और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत ‘टैरिफ’(शुल्क) लगाने का फैसला किया है।
हालांकि, मोदी ने अपने संबोधन में ‘टैरिफ’ मामले का कोई हवाला नहीं दिया, लेकिन आत्मनिर्भरता पर विशेष जोर दिया।
उन्होंने कहा कि सुधारों पर गठित कार्यबल 2047 तक भारत को विकसित बनाने के लिए समयबद्ध सिफारिशें करेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘समय की मांग है कि हमें संकट के समय में घबराने की ज़रूरत नहीं है, बल्कि अपनी क्षमताओं और उपलब्धियों को बेहतर बनाने के लिए काम करना चाहिए।’’
मोदी ने कहा, ‘‘हम सभी जो उत्पादन के क्षेत्र में लगे हैं, उन सबका मंत्र होना चाहिए, दाम कम, लेकिन दम ज्यादा। हमारे हर उत्पाद का दम ज्यादा हो, लेकिन दाम कम हो, इस भाव को लेकर के हमें आगे बढ़ना है।’’
प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से पाकिस्तान को दो टूक शब्दों में कहा कि आतंकवादियों और उनको पालने-पोसने वालों के बीच कोई फर्क नहीं किया जाएगा और अगर दुश्मनों ने आगे भी कोई हिमाकत की, तो मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा तथा भारत अब ‘न्यूक्लियर ब्लैकमैल’ नहीं सहेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से ऐसी तबाही हुई कि पाकिस्तान की नींद उड़ी हुई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सिंधु जल समझौता ‘अन्यायपूर्ण और एकतरफा’ है, जो भारत को मंजूर नहीं है।
उन्होंने यह भी बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा कवच को मजबूत और आधुनिक बनाने के लिए ‘सुदर्शन चक्र’ मिशन शुरू किया जाएगा।
मोदी ने कहा, ‘‘आज मुझे बहुत गर्व हो रहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के वीर जांबाजों को सलामी देने का अवसर मिला है। हमारे जांबाज सैनिकों ने दुश्मनों को उनकी कल्पना से परे सजा दी है।’’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सीमा पार से आए आतंकवादियों ने पहलगाम में जिस तरह से कत्लेआम किया, उससे पूरा हिंदुस्तान आक्रोश से भरा हुआ था और पूरा विश्व भी चौंक गया था।
उन्होंने कहा, ‘‘ऑपरेशन सिंदूर उसी आक्रोश की अभिव्यक्ति है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि सेना ने वह कर दिखाया, जो कई दशकों तक नहीं हुआ था।
उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान में हुई तबाही इतनी बड़ी है कि उसकी नींद उड़ी हुई है और रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं।’’
मोदी ने पाकिस्तान और आतंकवादियों को आगाह करते हुए कहा, ‘‘आगे भी अगर दुश्मनों ने ये कोशिश जारी रखी, तो हमारी सेना तय करेगी... । सेना की शर्तों पर, सेना द्वारा निर्धारित समय पर, सेना द्वारा तय लक्ष्य को अब हम अमल में लाकर रहेंगे। अब मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।’’
उन्होंने कहा कि भारत ने तय कर लिया है कि अब खून और पानी एक साथ नहीं बहेंगे।
प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते को ‘अन्यायपूर्ण और एकतरफा’ करार देते हुए कहा कि सिंधु नदी के जल पर भारत और उसके किसानों का एकमात्र अधिकार है।
मोदी ने कहा कि इस संधि ने भारत में कृषि को भारी नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने इस समझौते को जारी रखने की निरर्थकता को रेखांकित किया है।
उन्होंने कहा कि इस संधि की वजह से सिंधु के जल से ‘‘हमारे दुश्मनों के खेतों की सिंचाई होती है, जबकि मेरे देश की धरती और मेरे देश के किसान प्यासे रहते हैं।’’
मोदी ने कहा, ‘‘भारत का जो पानी है, उसका इस्तेमाल भारत के लिए होगा, सिर्फ भारत के किसानों के लिए होगा और हम अब ऐसी व्यवस्था बर्दाश्त नहीं करेंगे, जो अपने किसानों को वंचित रखे।’’
उन्होंने कहा कि इस समझौते के तहत भारत के किसानों को दशकों तक ‘अकल्पनीय नुकसान’ उठाना पड़ा है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भारत दशकों से इसे सहन करता आ रहा है। हम इसे और सहन नहीं करेंगे। हमारे किसानों के हित में, राष्ट्र के हित में, यह समझौता हमें मंजूर नहीं है।’’
प्रधानमंत्री ने स्वच्छ ऊर्जा की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि भारत ने 2030 के मूल लक्ष्य से पांच साल पहले ही स्वच्छ ऊर्जा में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल कर ली है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में और सुधार ला रहे हैं, इसे निजी भागीदारी के लिए खोल दिया गया है।’’
मोदी ने कहा कि देश को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए ‘समुद्र मंथन’ की तरफ कदम बढ़ाया गया है तथा तेल एवं गैस के भंडार की खोज के मकसद से मिशन मोड में काम हो रहा है।
उन्होंने लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में यह भी कहा कि ‘नेशनल डीपवाटर एक्सप्लोरेशन मिशन’ शुरू किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने ‘क्रिटिकल मिनरल’ के महत्व का उल्लेख करते हुए कहा कि इनकी खोज के लिए ‘नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन’ के तहत 1200 से अधिक स्थानों पर काम शुरू किया गया है।
प्रधानमंत्री ने इस बात का उल्लेख किया कि सेमीकंडक्टर क्षेत्र में ‘मिशन मोड’ में काम किया जा रहा है और भारत में निर्मित चिप इस साल के अंत तक बाजार में उपलब्ध होंगे।
मोदी ने भारत की आर्थिक और सामाजिक प्रगति को आकार देने में महिलाओं के बढ़ते योगदान को रेखांकित करते हुए कहा, ‘‘आज हर क्षेत्र हमारी नारी शक्ति की ताकत को गर्व से स्वीकार करता है।’’
उन्होंने कहा कि महिलाएं न केवल उभरती अर्थव्यवस्था की लाभार्थी हैं, बल्कि इसकी गति की प्रमुख चालक भी हैं।
उन्होंने कहा कि महिलाओं के स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) ‘‘कमाल कर रहे हैं’’ और वे हाशिए से निकलकर अब उद्यमिता और निर्यात की अग्रणी ताकत बन गए हैं।
मोदी ने कहा कि जहां एक ओर दुनिया ‘ग्लोबल वार्मिंग’ (वैश्विक तापमान वृद्धि) को लेकर चिंतित है, वहीं भारत ने गैर-जीवाश्म आधारित ऊर्जा स्रोतों से अपनी कुल स्थापित बिजली क्षमता का 50 प्रतिशत प्राप्त करने का महत्वाकांक्षी जलवायु लक्ष्य निर्धारित समय से पांच वर्ष पहले ही हासिल कर लिया है।
प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कहा कि भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने और अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की दिशा में काम कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘देश को हमारे अंतरिक्ष क्षेत्र पर गर्व है। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष स्टेशन से वापस आ गए हैं... आने वाले दिनों में वह भारत लौट आएंगे।’’
मोदी ने देश में पिछले दिनों हुईं भूस्खलन और बादल फटने जैसी प्राकृतिक आपदाओं की घटनाओं के पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए शुक्रवार को कहा कि प्रकृति सभी की परीक्षा ले रही है।
प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना के 100 साल पूरा होने का उल्लेख किया और कहा कि इस संगठन की राष्ट्रसेवा की यात्रा पर देश गर्व करता है।
उन्होंने यह भी कहा कि आरएसएस दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ है और यह प्रेरणा देता रहेगा।
भाषा हक वैभव हक