किश्तवाड़ में बादल फटने की घटना में 60 लोगों की मौत, प्रधानमंत्री ने हरसंभव सहायता का वादा किया
शफीक माधव
- 15 Aug 2025, 06:06 PM
- Updated: 06:06 PM
(तस्वीरों के साथ)
नयी दिल्ली/किश्तवाड़, 15 अगस्त (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से बात की और किश्तवाड़ में बादल फटने की घटना के मद्देनजर उन्हें हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। इस घटना में अब तक कम से कम 60 लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक लोग घायल हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
किश्तवाड़ जिले के एक सुदूर पहाड़ी गांव चशोती में बृहस्पतिवार को बादल फटने से यह हादसा हुआ। मचैल माता मंदिर जाने वाले मार्ग में पड़ने वाले चशोती गांव में यह आपदा अपराह्न 12 बजकर 25 मिनट पर आई। जिस समय हादसा हुआ, उस समय मचैल माता मंदिर यात्रा के लिए वहां बड़ी संख्या में लोग एकत्र थे। यह यात्रा 25 जुलाई को आरंभ हुई थी और पांच सितंबर को समाप्त होनी थी।
अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि अब तक बरामद किए गए शवों में से 30 की पहचान कर ली गई है।
उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने शुक्रवार को घटना में घायल लोगों का हालचाल जानने के लिए जम्मू के सरकारी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) अस्पताल का दौरा किया। चौधरी ने कहा कि वह और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला शनिवार को किश्तवाड़ जिले के बादल फटने से प्रभावित चशोती गांव का दौरा करेंगे।
अब्दुल्ला ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मैं जल्द ही किश्तवाड़ के लिए रवाना होऊंगा और कल सुबह बादल फटने की त्रासदी वाले स्थान पर जाकर नुकसान का जायजा लूंगा।’’
उन्होंने कहा कि वह बचाव अभियान की समीक्षा करेंगे और आकलन करेंगे कि आगे किस तरह की मदद की जरूरत है।
इस बीच, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह खराब मौसम के कारण अपने हेलीकॉप्टर के उतरने में विफल रहने के बाद सड़क मार्ग से आपदा प्रभावित चिशोती गांव के लिए रवाना हो गए।
सिंह ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘चिशोती में बादल फटने वाली जगह के रास्ते में हूं, मैं जम्मू से भारतीय वायु सेना के एक हेलीकॉप्टर से रवाना हुआ था, लेकिन एक घंटे की उड़ान के बाद हेलीकॉप्टर उतरना संभव न पाकर वापस लौट आया।’’
उन्होंने कहा कि वह प्रभावित स्थल पर जल्द से जल्द पहुंचने के लिए तुरंत सड़क मार्ग से रवाना हो गए हैं।
वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में बादल फटने की घटना के मद्देनजर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से शुक्रवार को बात कर स्थिति की समीक्षा की तथा उन्हें हरसंभव मदद मुहैया कराने का वादा किया।
मोदी ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘किश्तवाड़ में बादल फटने और बाढ़ के बाद की स्थिति के बारे में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा जी और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला जी से बात की।’’
उन्होंने कहा,‘‘प्रभावित लोगों की सहायता के लिए अधिकारी जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं।’’
इससे पहले, श्रीनगर के बख्शी स्टेडियम में स्वतंत्रता दिवस समारोह को संबोधित करते हुए, अब्दुल्ला ने कहा कि बादल फटने की दुखद घटना में कम से कम 60 लोग मारे गए हैं और 100 से ज्यादा घायल हुए हैं।
मृतकों में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के दो जवान भी शामिल हैं।
मृतकों की पहचान के लिए, अधिकारियों ने एक व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से प्रभावित परिवारों के साथ उनकी तस्वीरें साझा कीं, जिसके परिणामस्वरूप 30 लोगों की पहचान हो पाई।
अधिकारियों ने बताया कि अब तक 160 से ज्यादा लोगों को बचाया जा चुका है और उनमें से 38 की हालत गंभीर बताई जा रही है।
अधिकारियों ने कहा कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है क्योंकि और लोगों के फंसे होने की आशंका है।
केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ने लोगों और तीर्थयात्रियों की सहायता के लिए चशोती से लगभग 15 किलोमीटर दूर पद्दार में एक सहायता डेस्क स्थापित किया है।
अधिकारियों ने बताया कि त्रासदी के बाद से सहायता डेस्क को संकट के कई कॉल प्राप्त हुए हैं। उन्होंने बताया कि कॉल के आधार पर अधिकारी लापता बताए गए 69 लोगों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की एक टीम शुक्रवार को चिशोती पहुंची। किश्तवाड़ के उपायुक्त पंकज शर्मा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘एनडीआरएफ की टीम गांव में जारी अभियान में शामिल हो रही है। वे देर रात गुलाबगढ़ पहुंच गए।’’
अभियान की निगरानी कर रहे शर्मा ने बताया कि खराब मौसम के कारण हेलीकॉप्टरों का संचालन नहीं हो सका, इसलिए एनडीआरएफ की टीम उधमपुर से सड़क मार्ग से आई।
अधिकारियों ने बताया कि दो और टीम रास्ते में हैं और अभियान में शामिल होंगी। उन्होंने बताया कि सेना ने खोज और बचाव अभियान को तेज करने के लिए एक और टुकड़ी को भी शामिल किया है। राष्ट्रीय राइफल्स के जवान भी बचाव अभियान में शामिल हो गए हैं।
साढ़े नौ हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित मचैल माता मंदिर तक जाने के लिए श्रद्धालु चशोती गांव तक वाहन से पहुंच सकते हैं और उसके बाद उन्हें 8.5 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी होती है। यात्रा शुक्रवार को दूसरे दिन भी निलंबित है।
चशोती गांव किश्तवाड़ शहर से लगभग 90 किलोमीटर दूर है। यहां श्रद्धालुओं के लिए लगाया गया एक लंगर (सामुदायिक रसोईघर) इस घटना से सबसे अधिक प्रभावित हुआ। बादल फटने के कारण अचानक बाढ़ आ गई और दुकानों एवं एक सुरक्षा चौकी सहित कई इमारतें बह गईं। इस आपदा ने एक अस्थायी बाजार, लंगर स्थल और एक सुरक्षा चौकी को तहस-नहस कर दिया है।
अधिकारियों ने बताया कि चशोती और निचले इलाकों में अचानक आई बाढ़ के कारण कम से कम 16 आवासीय मकान एवं सरकारी इमारतें, तीन मंदिर, चार पवन चक्की, 30 मीटर लंबा एक पुल तथा एक दर्जन से अधिक वाहन क्षतिग्रस्त हो गए।
भाषा
शफीक