राज्यों की शक्तियों को पुनः प्राप्त करने के लिए संविधान आधारित कार्रवाई ही एकमात्र समाधान: स्टालिन
सुरेश अविनाश
- 15 Aug 2025, 07:23 PM
- Updated: 07:23 PM
(तस्वीरों के साथ)
चेन्नई/हैदराबाद, 15 अगस्त (भाषा) तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि एक ओर जहां राज्यों को अधिक अधिकारों की आवश्यकता है, वहीं दूसरी ओर शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उनके अधिकार छीने जा रहे हैं।
स्टालिन ने शक्तियों के बंटवारे और वित्तीय संसाधनों के वितरण के संदर्भ में राज्यों की भूमिका को पुनः स्थापित करने के लिए संविधान आधारित कदम उठाने की वकालत की।
स्टालिन ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ‘फोर्ट सेंट जॉर्ज’ में अपने संबोधन में कहा कि तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत एम. करुणानिधि ने ही सभी मुख्यमंत्रियों को स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने का लोकतांत्रिक अधिकार सुनिश्चित कराया।
उन्होंने कहा कि संविधान में केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का वितरण स्पष्ट रूप से परिभाषित है, ताकि दोनों मिलकर जनता की सेवा कर सकें। उन्होंने कहा कि हालांकि, पिछले 75 वर्षों में राजनीतिक परिदृश्य में आए बदलावों के चलते राज्य सरकारों की भूमिका और उनकी शक्ति संबंधी हिस्सेदारी में लगातार गिरावट आई है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया, ‘‘पिछले कुछ वर्षों में केंद्र विभिन्न क्षेत्रों में राज्य सरकारों के अधिकार छीनने के प्रयास कर रहा है।’’
उन्होंने कहा कि राज्यों का जनता के साथ निकट संबंध होता है और लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए उन्हें क्रमिक रूप से अधिक अधिकारों की आवश्यकता होती है, लेकिन इसके विपरीत, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे प्रमुख क्षेत्रों में राज्यों के अधिकार लगातार छीन लिये जा रहे हैं।
स्टालिन ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की योजनाओं, धन के वितरण, केंद्रीय कानूनों और अदालती फैसलों के जरिये राज्यों को केंद्र पर निर्भर बना दिया गया है।
उन्होंने कहा कि इस स्थिति को सुधारने और केंद्र-राज्य के बीच शक्तियों और संसाधनों के न्यायसंगत वितरण में राज्यों की भूमिका को पुनः प्राप्त करने के लिए एकमात्र रास्ता संविधान आधारित कार्रवाई ही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उन्हें यह दृढ़ विश्वास है कि इस दिशा में प्रारंभिक कदम उठाने और प्रक्रिया को पूर्ण करने का उचित समय आ गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसी राज्य सरकार को अपने वैध अधिकारों और निधियों के लिए लगातार संघर्ष करना पड़े, तर्क देने पड़ें और अदालतों का दरवाजा खटखटाना पड़े, तो यह संघीय ढांचे के लिए शुभ संकेत नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘यह न केवल राज्य, बल्कि पूरे देश के विकास को प्रभावित करता है। भारत तभी एक मजबूत, एकजुट राष्ट्र के रूप में विश्व में प्रतिष्ठा पा सकता है, जब प्रत्येक राज्य अपनी विशिष्ट पहचान और आत्मनिर्भरता के साथ प्रगति करे।’’
स्टालिन ने अंत में कहा, ‘‘तमिलनाडु के उच्च आदर्शों को पूरे भारत में लागू करना हमारा कर्तव्य और जिम्मेदारी है।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी राज्यों, धर्मों, भाषाओं एवं संस्कृतियों के लोगों ने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया और जीत हासिल की, इसलिए राष्ट्र के संस्थापकों की इच्छा थी कि भारत आने वाले समय में सभी वर्गों के लोगों का देश बने।
उन्होंने कहा कि राष्ट्र के संस्थापकों की इच्छाओं को पूरा करना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है।
मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस समारोह में ‘इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग’ के नेता के.एम. कादर मोहिदीन को थगैसल थमिझार (प्रतिष्ठित तमिल) पुरस्कार से सम्मानित किया।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष वी. नारायणन को डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम पुरस्कार प्रदान किया गया।
तेलंगाना में भी स्वतंत्रता दिवस हर्षोल्लास से मनाया गया। राज्यपाल जिष्णु देव वर्मा, मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी और अन्य गणमान्य व्यक्तियों से लेकर आम जनता तक ने देशभक्ति और उत्साह के साथ आजादी का यह पर्व मनाया।
राज्यपाल वर्मा ने हैदराबाद स्थित राजभवन में तिरंगा फहराया, जबकि मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने ऐतिहासिक गोलकोंडा किले में आयोजित आधिकारिक समारोह में भाग लिया।
बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के. टी. रामाराव और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष एन. रामचंदर राव ने तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में अपने-अपने पार्टी कार्यालयों में झंडोत्तोलन किया।
एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने याकुतपुरा, मुग़लपुरा, मुशीराबाद और मदीना एक्स रोड सहित शहर के विभिन्न इलाकों में स्वतंत्रता दिवस समारोहों में भाग लिया।
भाषा सुरेश