भारतीय रेलवे के कोचों में 2022-23 में शौचालयों में पानी की कमी की एक लाख से अधिक शिकायतें मिलीं: कैग
वैभव मनीषा
- 21 Aug 2025, 01:11 PM
- Updated: 01:11 PM
नयी दिल्ली, 21 अगस्त (भाषा) भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय रेलवे को वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान कोचों में शौचालयों और वॉश बेसिन में पानी की अनुपलब्धता के संबंध में कुल 1,00,280 शिकायतें प्राप्त हुईं।
बुधवार को संसद के दोनों सदनों में पेश रिपोर्ट में बताया गया है कि 33,937 यानी 33.84 प्रतिशत मामलों में इन शिकायतों के समाधान में अपेक्षित समय सीमा से अधिक वक्त लगा।
यह ऑडिट रिपोर्ट 2018-19 से 2022-23 की अवधि के लिए ‘‘भारतीय रेलवे में लंबी दूरी की ट्रेनों में स्वच्छता और सफाई’’ के निष्पादन ऑडिट का विवरण देती है।
इसमें अधिक यात्री यातायात को देखते हुए उच्च स्वच्छता मानकों को बनाए रखने के महत्व पर बल दिया गया है, क्योंकि यह सीधे तौर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के साथ-साथ समग्र सौंदर्यबोध को प्रभावित करता है।
लंबी दूरी की ट्रेनों में बायो-टॉयलेट की सफाई के संबंध में, रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि 96 चुनिंदा ट्रेनों में 2,426 यात्रियों से बातचीत करते हुए एक व्यापक सर्वेक्षण किया गया था। सर्वेक्षण में शामिल यात्रियों में संतुष्टि का स्तर पांच जोन में 50 प्रतिशत से अधिक था, जबकि दो जोन में यह 10 प्रतिशत से कम था।
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है, ‘‘2022-23 के दौरान भारतीय रेल में कोचों में शौचालयों और वॉश बेसिन में पानी की अनुपलब्धता के संबंध में कुल 1,00,280 शिकायतें दर्ज की गईं। इनमें से 33,937 मामलों (33.84 प्रतिशत) में, समस्या के समाधान में लगने वाला समय अपेक्षित समय सीमा से अधिक था।’’
डिब्बों में पानी की उपलब्धता का ऑडिट करने वाले कैग ने पानी की कमी के बारे में अक्सर होने वाली सार्वजनिक शिकायतों को उजागर किया, जिनका कारण अक्सर अपर्याप्त पानी भरना या निर्दिष्ट ‘वॉटरिंग स्टेशनों’ पर पानी न भरना होता है।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘‘इस समस्या के समाधान के लिए, रेलवे बोर्ड ने (सितंबर 2017 में) वॉटरिंग स्टेशनों पर त्वरित जल व्यवस्था का प्रावधान करने का निर्णय लिया। ऑडिट में पाया गया कि इस व्यवस्था के प्रावधान के लिए चिह्नित 109 स्टेशनों में से, 31 मार्च 2023 तक 81 स्टेशनों (74 प्रतिशत) पर त्वरित जल व्यवस्था की सुविधाएं कार्यरत थीं।’’
स्वचालित कोच वॉशिंग प्लांट (एसीडब्ल्यूपी) का ऑडिट करते समय, कैग ने पाया कि इन सुविधाओं का कम उपयोग किया गया था। परिणामस्वरूप, 132,060 कोचों की धुलाई यांत्रिक कोच सफाई अनुबंधों के माध्यम से बाहरी रूप से की गई।
भाषा वैभव