स्यानाचट्टी में बनी झील का जलस्तर लगातार कम हो रहा, पानी पुल से आठ फुट नीचे हुआ
दीप्ति नोमान
- 24 Aug 2025, 05:57 PM
- Updated: 05:57 PM
देहरादून, 24 अगस्त (भाषा) उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में बड़कोट क्षेत्र के स्यानाचट्टी में बनी अस्थायी झील से अब लगातार पानी की निकासी हो रही है और जलस्तर में कमी आ रही है।
अधिकारियों के मुताबिक, बड़कोट क्षेत्र में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्यानाचट्टी में तीन दिन पहले गढ़गाड़ बरसाती नाले से मलबा आने के कारण यमुना नदी में अस्थायी झील बन गई थी।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (एसईओसी) से रविवार को मिली जानकारी के अनुसार, झील से लगातार पानी की निकासी हो रही है और स्यानाचट्टी पुल से जलस्तर आठ फुट नीचे चला गया है।
इसके अनुसार, पुल पर सफाई कर दी गयी है और उसे यातायात के लिए खोल दिया गया है।
भारी बारिश के कारण गढ़गाड़ में 21 अगस्त की शाम पानी के साथ बहकर आए मलबे और पत्थरों के कारण स्यानाचट्टी में अस्थायी झील बन गयी थी जिससे कई मकान और होटल जलमग्न हो गए थे। पानी में राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित पुल का ‘डेक स्लैब’ यानी चलने के लिए बनी सतह भी दो फुट पानी में डूब गयी थी जिससे उस पर आवागमन बाधित हो गया था।
स्यानाचट्टी में लगभग 25-30 मकान व 20-25 होटलों में जलभराव हो गया था जहां से करीब 300 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया।
मलबे से बने अवरोध को हटाकर झील को खोलने के लिए राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ), राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग और अन्य संबंधित एजेंसियां मौके पर कार्य कर रही हैं।
एसईओसी के अनुसार, अब भी बरसाती नाले से लगातार मलबा और पत्थर आ रहे हैं। हालांकि, रविवार को उसकी मात्रा में कुछ कमी आयी है।
उधर, विशेषज्ञों की एक टीम उत्तरकाशी से गढ़गाड़ का सर्वेंक्षण करने के लिए स्यानाचट्टी पहुंच गयी है।
केंद्रीय जल आयोग की टीम भी स्यानाचट्टी में मौजूद है और यमुना के जलस्तर की लगातार निगरानी की जा रही है। पूरे क्षेत्र की ड्रोन से भी निगरानी की जा रही है जबकि स्वास्थ्य, राजस्व, खाद्य आपूर्ति विभाग की टीमें भी मौके पर मौजूद हैं।
उधर, उत्तरकाशी जिले के बड़कोट क्षेत्र के ही राना गांव में शनिवार रात अतिवृष्टि के दौरान उसके बीच से बहने वाले बरसाती नाले के उफान पर आने से कई मकानों में मलबा भर गया।
एसईओसी के अनुसार, राना गांव के पांच-छह मकानों में मलबा भरने की सूचना मिलने के बाद उनमें रहने वाले लोगों को प्रशासन द्वारा सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है।
भाषा दीप्ति