पंजाब बाढ़: बचाव अभियान में अथक प्रयास कर रही हैं केंद्रीय और राज्य एजेंसियां
रंजन रंजन नरेश
- 28 Aug 2025, 06:41 PM
- Updated: 06:41 PM
चंडीगढ़, 28 अगस्त (भाषा) पंजाब के कम से कम आठ जिले भीषण बाढ़ की चपेट में हैं। ऐसे में विभिन्न केंद्रीय एजेंसियां राज्य अधिकारियों के साथ मिलकर पिछले चार दिनों से जलमग्न इलाकों से फंसे लोगों को निकालने के लिए अथक प्रयास कर रही हैं। अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि जिला प्रशासन के अनुरोध पर, सेना, सीमा सुरक्षा बल, भारतीय वायु सेना और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल ने संकट की स्थिति पर तुरंत प्रतिक्रिया दी है और बड़े पैमाने पर बचाव अभियान चला रहे हैं।
उन्होंने कहा कि वे राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल, पंजाब पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ मिलकर ये अभियान चला रहे हैं।
अधिकारियों ने बताया कि अब तक बचाए गए लोगों में बुजुर्ग, बच्चे और गर्भवती महिलाएं शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि बृहस्पतिवार को अमृतसर जिला प्रशासन ने सेना की मदद से रामदास क्षेत्र के जलमग्न गांवों में फंसे बच्चों और बुजुर्गों सहित कई लोगों को निकाला।
रावी नदी के बढ़ते जलस्तर से प्रभावित इलाकों में फंसे लोगों को बचाने के लिए वाहन एवं नावें तैनात की गईं हैं।
पंजाब में भीषण बाढ़ की स्थिति देखी गई। कुछ लोगों का कहना है कि यह 1988 की बाढ़ की याद दिलाता है, जब सतलुज, व्यास और रावी नदियों के उफान ने इन नदियों के किनारे बसे गांवों एवं कृषि भूमि को जलमग्न कर दिया था।
प्रदेश के पठानकोट, गुरदासपुर, फाज़िल्का, कपूरथला, तरनतारन, फिरोजपुर, होशियारपुर और अमृतसर ज़िलों के गांव सर्वाधिक प्रभावित हैं ।
गुरदासपुर में, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की एक टीम ने बृहस्पतिवार को बाढ़ प्रभावित गांव कोटला मुगलां से एक व्यक्ति को बचाया, जिसे सांप ने काट लिया था। बचाये गये ग्रामीण को तुरंत स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया।
इससे पहले बुधवार को, एनडीआरएफ और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की टीमों ने गुरदासपुर के दबुरी स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय में 381 छात्रों और 70 शिक्षकों के लिए बचाव अभियान चलाया, जो स्कूल परिसर और आसपास के इलाकों में बाढ़ के कारण फंसे हुए थे।
पठानकोट में, भारतीय सैन्य विमानन ने एक ‘‘उच्च जोखिम’’ हेलीकॉप्टर बचाव अभियान चलाया और बाढ़ के पानी से घिरी एक इमारत से फंसे नागरिकों और सीआरपीएफ (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के) कर्मियों को निकाला। यह इमारत कुछ ही देर बाद पानी में डूब गई।
सेना ने अपने ‘एक्स’ हैंडल पर इस साहसिक कार्य के दृश्य भी साझा किए, जिसमें ‘‘उच्चतम स्तर के उड़ान कौशल और बेजोड़ बहादुरी’’ की आवश्यकता थी।
सेना ने पोस्ट में कहा, ‘‘खतरनाक उड़ान स्थितियों के बावजूद, सेना के पायलटों ने हेलीकॉप्टर को उस इमारत पर उतार दिया जो पहले से ही ढहने के कगार पर थी, यह एक ऐसा कार्य था जिसके लिए उच्चतम स्तर के उड़ान कौशल और अद्वितीय बहादुरी की आवश्यकता थी।’’
पठानकोट में एक अलग अभियान में, भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों ने बाढ़ के तेज़ होने पर फंसे हुए 46 नागरिकों को सफलतापूर्वक निकाला।
भारतीय वायुसेना के एक प्रवक्ता ने बताया कि स्थानीय समुदायों की सहायता के लिए 750 किलोग्राम से ज़्यादा आवश्यक राहत सामग्री हवाई मार्ग से गिराई गई।
प्रवक्ता ने बताया कि एक बेहद अहम अभियान में, गंभीर रूप से प्रभावित डेरा बाबा नानक क्षेत्र से 38 सैन्यकर्मियों और 10 बीएसएफकर्मियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया, जो खतरनाक परिस्थितियों में भी वायुसेना की त्वरित प्रतिक्रिया और पेशेवर रवैये को दर्शाता है।
अधिकारियों ने बताया कि पठानकोट में भी, वायुसेना ने बुधवार को माधोपुर बैराज के गेट खोलने के लिए तैनात 60 सिंचाई अधिकारियों को हवाई मार्ग से निकाला।
बीएसएफ ने कहा कि उसने गुरदासपुर और फिरोजपुर ज़िलों के बाढ़ प्रभावित इलाकों में बचाव अभियान शुरू किया है।
बीएसएफ ने यह भी बताया कि उसके जवानों ने फिरोजपुर जिले के धीरा गारा, निहाला लवेरा और सुल्तानवाला गांवों में बचाव अभियान चलाया और सतलुज नदी के बढ़ते जलस्तर से परेशान स्थानीय लोगों को बचाया।
बल ने तस्वीरें साझा कीं जिनमें उसके जवान बाढ़ग्रस्त गांवों में बच्चों को कंधों पर उठाकर ले जाते हुए दिखाई दे रहे हैं, जबकि कई लोगों को नावों से निकाला जा रहा है।
गुरदासपुर में, बीएसएफ की टीमों ने मकोरा और चकमकोडा गांवों में नावों की मदद से 70 ग्रामीणों को बचाया।
बीएसएफ ने बताया कि फिरोजपुर के कालूवाला गांव में एक और बचाव अभियान चलाया गया, जहां 14 निवासियों को उफनती सतलुज नदी से निकाला गया।
इसके अलावा, बीएसएफ के जवानों ने फाजिल्का जिले के बाढ़ प्रभावित गाँव महार जमशेर से एक बीमार बुजुर्ग व्यक्ति को सुरक्षित निकालकर सिविल अस्पताल पहुंचाया।
भाषा रंजन रंजन