दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करती हैं संसदीय समितियां: बिरला
हक हक माधव
- 29 Aug 2025, 06:23 PM
- Updated: 06:23 PM
भुवनेश्वर, 29 अगस्त (भाषा) लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शुक्रवार को कहा कि संसदीय समितियां ऐसे समय में लोकतंत्र का मुख्य आधार बनी हुई हैं और दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करती हैं जब संसद तथा विधानमंडलों में चर्चा और संवाद के स्तर में गिरावट आई है।
भुवनेश्वर में संसद और राज्य विधानमंडलों की अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण समितियों के सभापतियों के राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए बिरला ने विधि निर्माताओं से राष्ट्रहित के मुद्दों पर दलगत भावना से ऊपर उठकर कार्य करने का आग्रह भी किया।
उन्होंने विधानमंडलों की बैठकों की संख्या में कमी और विधायी निकायों में सदस्यों के अमर्यादित आचरण पर चिंता व्यक्त की।
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण समितियों के सभापतियों का पहला सम्मेलन 1976 में नयी दिल्ली में आयोजित किया गया था। इसके बाद, 1979, 1983, 1987 और 2001 में सम्मेलन आयोजित किए गए, जिनमें अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण और संवैधानिक सुरक्षोपायों के विभिन्न आयामों पर गहन चर्चा की गई । इस सम्मेलन का आयोजन दिल्ली से बाहर पहली बार किया गया है।
बिरला ने कल्याणकारी योजनाओं को समाज के वंचित वर्गों तक सही मायने में पहुँचाने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए सरकारी धन के प्रभावी उपयोग और सुदृढ़ निगरानी तंत्र की आवश्यकता पर बल दिया और समावेशी विकास को गति देने में वित्तीय अनुशासन और प्रशासनिक जवाबदेही की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।
समितियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते बिरला ने कहा कि समितियां संसदीय लोकतंत्र का मुख्य आधार हैं।
उनका कहना था, ‘‘सदन में चर्चा पर हावी होने वाली राजनीतिक बाध्यताओं के विपरीत, समितियां दलगत राजनीति से ऊपर उठाकर मुद्दों की विस्तार से जांच करती हैं और आम सहमति पर आधारित सिफ़ारिशें करती हैं।’’
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि संसद और राज्य विधानमंडलों की समितियां निष्पक्ष रूप से कार्य करती हैं और राजनीतिक विचारधाराओं से ऊपर उठकर केवल लोगों के हित में निर्णय लेती हैं।
उन्होंने मुताबिक, सदन में होने वाली चर्चाओं की तुलना में समितियों की चर्चाएं अधिक विस्तृत होती हैं, जो सरकार की नीतियों को स्पष्टता और दिशा प्रदान करती हैं तथा संवेदनशील मुद्दों पर आम सहमति बनाने में मदद करती हैं।
ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी, केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश तथा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण संबंधी संसदीय समिति के सभापति डॉ. फग्गन सिंह कुलस्ते भी इस अवसर पर मौजूद थे।
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