संसद में व्यवधान सांसदों के लिए नुकसानदेह, सरकार के लिए नहीं: केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू
पारुल माधव
- 30 Aug 2025, 10:26 PM
- Updated: 10:26 PM
बेंगलुरु, 30 अगस्त (भाषा) केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने शनिवार को कहा कि अगर किसी पार्टी का नेता बहस या चर्चा में दिलचस्पी नहीं दिखाता है और इसके बजाय हंगामा और राजनीतिक नौटंकी करता है, तो उस पर दबाव बनाया जाना चाहिए, क्योंकि संसद में व्यवधान से अंतत: सदस्यों को नुकसान होता है।
‘दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में संसदीय प्रणाली’ विषय पर कर्नाटक उच्च न्यायालय के अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए रीजीजू ने कहा, “अगर किसी पार्टी का नेता बहस या चर्चा में दिलचस्पी नहीं दिखाता है और कोई विमर्श गढ़ने के लिए हंगामा और राजनीतिक नौटंकी करता है, तो उस पर दबाव बनाया जाना चाहिए।”
उन्होंने युवा सांसदों को सदन की कार्यवाही बाधित करने के अपने नेताओं के निर्देशों का विरोध करने की भी सलाह दी।
रीजीजू ने कहा कि सदन की कार्यवाही में व्यवधान से सांसदों को सरकार की तुलना में कहीं अधिक नुकसान होता है, जो अपने बहुमत का इस्तेमाल करके विधेयक पारित कराने में सक्षम है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “जब भी जरूरत होगी, सरकार अपने विधेयकों को आगे बढ़ाएगी, लेकिन नुकसान सांसदों, खासकर विपक्षी सांसदों का होगा।”
उन्होंने संसद के हाल ही में संपन्न मानसून सत्र का जिक्र करते हुए कहा कि तीन हफ्ते तक वे विपक्षी दलों से चर्चा में शामिल होने का आग्रह करते रहे।
रीजीजू ने हंगामे के बावजूद महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने के सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि ये विधेयक इतने महत्वपूर्ण थे कि इन्हें टाला नहीं जा सकता था।
उन्होंने कहा, “आखिरकार, हमें अपने बहुमत का इस्तेमाल करना पड़ा और संसद में विधेयकों को पारित कराना पड़ा। मैं इन महत्वपूर्ण विधेयकों को इतनी जल्दबाजी में पारित कराने से खुश नहीं था, क्योंकि हर विधेयक पर गहन चर्चा और विचार-विमर्श की आवश्यकता होती है।”
रीजीजू ने पैसे पर आधारित ऑनलाइन गेम पर रोक के प्रावधान वाले विधेयक को एक महत्वपूर्ण विधेयक बताते हुए कहा कि इसे पारित कराने में देरी नहीं की जा सकती थी।
उन्होंने कहा, “पूरी युवा पीढ़ी ऑनलाइन गेम के जाल में फंस रही है और यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक नियमन की रूपरेखा तैयार कर रहा है। ऐसा विधेयक बिना चर्चा के कैसे पारित हो सकता था? लेकिन यह इतना महत्वपूर्ण विधेयक था कि इसे अगले सत्र के लिए टाला नहीं जा सकता था।”
केंद्रीय मंत्री ने 130वें संविधान संशोधन विधेयक पर कहा, “यह लोगों की लंबे अरसे से लंबित मांग है कि हमें भ्रष्टाचार के प्रति कतई बर्दाश्त न करने की नीति अपनानी चाहिए, उच्च संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों पर लगाम लगाने के लिए कड़े कानूनी प्रावधान करने चाहिए। लेकिन फिर इसे एक राजनीतिक घमासान में बदल दिया गया।”
उन्होंने कहा कि बहस को विधेयक के प्रावधानों को बेहतर बनाने पर केंद्रित होना चाहिए था, न कि इस बात पर कि क्या भ्रष्ट नेताओं को “बिना निगरानी के काम करने की बहुत अधिक छूट या स्वतंत्रता” मिलनी चाहिए।
रीजीजू ने खनन, खनिज और खेल प्रशासन में सुधारों पर भी प्रकाश डाला, जिन्हें हितधारकों के दबाव में पारित किया गया।
उन्होंने कहा, “अब तक के सबसे बड़े खेल सुधार विधेयक को पर्याप्त विचार-विमर्श के साथ उचित सम्मान नहीं दिया गया, लेकिन हमें विधेयक पारित कराना पड़ा, क्योंकि पूरा खेल समुदाय दबाव डाल रहा था। एथलीट सुधारों के लिए उत्सुक थे, जबकि विपक्षी सदस्य सदन में आसन के पास नारे लगाने में व्यस्थ थे।”
रीजीजू ने कहा, “इतने सारे महत्वपूर्ण विधेयक पारित हुए... तकनीकी रूप से यह सत्र बहुत ही उत्पादक रहा, लेकिन ज्यादा चर्चा नहीं हुई। लोकतंत्र में ऐसी अनोखी चीजें देखने को मिलती हैं।”
कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधते हुए रीजीजू ने दावा किया कि कई लोग संविधान की रक्षा की बात करते हैं, लेकिन उन्हें यह अहसास नहीं है कि “उनकी अपनी पार्टी ने आपातकाल के दौरान संविधान की मूल प्रस्तावना को ही बदल दिया था।”
उन्होंने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री के रूप में वह हर पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हैं और स्पष्ट बातचीत के माध्यम से विश्वास कायम करना चाहते हैं।
भाषा पारुल