हत्या के मामले में दिल्ली के वकील के खिलाफ हरियाणा एसटीएफ की जांच न्यायालय ने रोकी
प्रशांत नरेश
- 20 Nov 2025, 04:10 PM
- Updated: 04:10 PM
नयी दिल्ली, 20 नवंबर (भाषा) हत्या के एक मामले में गिरफ्तार दिल्ली के एक वकील के खिलाफ हरियाणा पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) की जांच पर उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को रोक लगा दी।
प्रधान न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति प्रसन्ना बी. वराले और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने इस मामले में वकील विक्रम सिंह को 12 नवंबर को दी गई अंतरिम जमानत को भी नियमित कर दिया।
पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह की दलीलों पर संज्ञान लिया और कहा कि वकील के मामले में जांच आगे नहीं बढ़ेगी।
वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, “मैं आज छोड़े जाने की मांग नहीं कर रहा हूं, सीबीआई से स्थिति रिपोर्ट मंगाई जाए, उसके बाद अगर पीठ को छोड़ना सही लगे... इस मामले में अभियोजन जिस तरह से बर्ताव कर रहा है, वह बहुत बुरा है!”
पीठ ने हालांकि मामले की पूरी जांच पर रोक नहीं लगाई और कहा कि जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने की अर्जी पर बाद में विचार किया जाएगा।
इससे पहले बुधवार को वरिष्ठ अधिवक्ता ने आरोप लगाया कि वकील को हिरासत में प्रताड़ित किया गया और सिर्फ उनके मुवक्किल के बारे में जानकारी निकालने के लिए उन्हें गिरफ्तार किया गया।
विकास सिंह ने कहा, “उसे पूरी रात खंभे से बांधकर रखा गया और वह उसी हालत में सोया। इस अदालत के आदेश के बावजूद व्हाट्सऐप संदेश भेजे गए, जिसमें इस तरह के संवाद पर रोक थी... उसे थर्ड-डिग्री टॉर्चर दिया गया। उसे धमकी दी गई कि उसके बाल काट दिए जाएंगे, और पुलिस थाने में तुरंत बाल काट दिए गए।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि एसटीएफ अधिकारी विक्रम सिंह पर गैंगवार को “सुलझाने” का दबाव बना रहे थे, क्योंकि वह कुछ आरोपियों का केस लड़ रहे थे।
उन्होंने पूछा, “एक वकील खूंखार गैंगस्टरों के बीच के मामले कैसे सुलझा सकता है?” और पीठ से पहले से दी गई अंतरिम जमानत को नियमित करने और “आरोपों की गंभीरता को देखते हुए” जांच सीबीआई को सौंपने की अपील की।
उन्होंने यह भी बताया कि हालांकि शीर्ष अदालत ने 12 नवंबर को वकील की रिहाई का आदेश दिया था, लेकिन उन्हें 13 नवंबर को रात 8.30 बजे रिहा किया गया।
हरियाणा के वकील ने किसी भी गलत काम से इनकार किया और कहा कि विक्रम सिंह का जमानत बॉन्ड अगले दिन ही भरा गया था, और उसके तुरंत बाद रिहाई हो गई।
उन्होंने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता “गुमराह करने वाले बयान” दे रहा है और गिरफ्तारी के आधार सही तरीके से बताए गए थे।
उन्होंने आगे कहा कि वकील ने ही जांच अधिकारी के साथ व्हाट्सऐप पर बातचीत शुरू की थी।
सीबीआई को शामिल करने के किसी भी कदम का विरोध करते हुए, राज्य के वकील ने कहा कि हत्या का मामला एसटीएफ देख रहा है और मौजूदा शिकायतों को स्थानांतरित करने का मतलब पूरी जांच को स्थानांतरित करना होगा।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “तो मामला क्या है? सीबीआई इसकी बेहतर जांच करेगी।”
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