‘मैसुरु दशहरा’ के उद्घाटन के लिए बानू मुश्ताक को आमंत्रित करने का सिद्धरमैया ने बचाव किया
सुरभि संतोष
- 31 Aug 2025, 05:09 PM
- Updated: 05:09 PM
मैसुरु, 31 अगस्त (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार विजेता बानू मुश्ताक को इस साल के मैसूरु दशहरा के उद्घाटन के लिए आमंत्रित करने के फैसले का रविवार को बचाव करते हुए इसे (मैसुरु दशहरा) सभी समुदायों के लिए एक ‘‘धर्मनिरपेक्ष’’ और ‘‘सांस्कृतिक’’ उत्सव बताया।
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘दशहरा एक सांस्कृतिक उत्सव है, यह ‘नाडा हब्बा’ (राज्य उत्सव) है। ऐसा नहीं है कि इसका उद्घाटन केवल एक खास धर्म के लोगों द्वारा ही किया जाए। नाडा हब्बा का मतलब है हिंदू, ईसाई, मुस्लिम, बौद्ध, जैन, सभी के लिए एक उत्सव। यह सभी के लिए उत्सव है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘दशहरा संबंधी उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने मुझे अधिकृत किया था और मैंने फैसला किया कि अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार विजेता बानू मुश्ताक को इसका उद्घाटन करना चाहिए। इससे पहले भी, मुस्लिम समुदाय के कवि के.एस. निसार अहमद को दशहरा के उद्घाटन के लिए आमंत्रित किया गया था।’’
इस फैसले का विरोध करने वालों को ‘‘इतिहास नहीं जानने वाला कट्टरपंथी’’ करार देते हुए सिद्धरमैया ने बताया कि यह उत्सव हैदर अली, टीपू सुल्तान और दीवान मिर्जा इस्माइल के शासनकाल में भी मनाया जाता था।
उन्होंने कहा, ‘‘यह एक धर्मनिरपेक्ष उत्सव है, इसलिए मैंने तय किया कि अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार विजेता को आमंत्रित किया जाना चाहिए। कुछ कट्टरपंथी इसके खिलाफ बोल रहे हैं; अगर उन्हें इतिहास नहीं पता तो उन्हें इतिहास पढ़ने की जरूरत है।’’
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रही है।
मुश्ताक का एक पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित होने के बाद आपत्ति जताई गई थी, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कन्नड़ भाषा की देवी भुवनेश्वरी के रूप में पूजा करने पर आपत्ति जताई थी और इसे अल्पसंख्यकों के लिए अलगावकारी बताया था।
भाजपा की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष बी. वाई. विजयेंद्र और मैसुरु के सांसद यदुवीर कृष्णदत्त चामराजा वाडियार ने मांग की है कि उत्सव का उद्घाटन करने से पहले मुश्ताक देवी चामुंडेश्वरी के प्रति अपनी श्रद्धा स्पष्ट करें।
मुश्ताक ने कहा कि उनकी टिप्पणियों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है और उनके भाषण के चुनिंदा अंश सोशल मीडिया पर प्रसारित किए जा रहे हैं।
उनके बयान को माता कन्नड़ का अपमान समझे जाने पर सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘दशहरा के उद्घाटन के लिए उन्हें आमंत्रित करने से इसका क्या लेना-देना है? क्या वे कन्नड़ तायी का सम्मान किए बिना कन्नड़ में लिखेंगी? उनकी रचना ‘हृदय हनते’ (हार्ट लैंप) किस भाषा में है? क्या भाषा के प्रति प्रेम के बिना कन्नड़ में लिखना संभव है? उनकी सभी साहित्यिक रचनाएं कन्नड़ में हैं।’’
भाजपा पर ‘‘बेकार’’ की बात पर विरोध जताने का आरोप लगाते हुए उन्होंने दोहराया, ‘‘यह ‘नाडा हब्बा’ है, मैं इसे बिल्कुल स्पष्ट कर रहा हूं। इस उत्सव में सभी समुदायों के लोग भाग लेते हैं। इसके उद्घाटन के लिए बानू मुश्ताक को आमंत्रित करना उचित है।’’
भाजपा के इस सवाल पर कि मुश्ताक के साथ अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार साझा करने वाली अनुवादक दीपा भस्थी को क्यों नहीं बुलाया गया, इस पर मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘दो लोग उद्घाटन नहीं कर सकते। मैसूर पैलेस के सामने उन्हें सम्मानित करने के बारे में बाद में विचार करेंगे। सरकार पहले ही दोनों को 10-10 लाख रुपये देकर सम्मानित कर चुकी है।’’
इस वर्ष दशहरा उत्सव 22 सितंबर से शुरू होगा और दो अक्टूबर को ‘विजयादशमी’ के साथ समाप्त होगा।
भाषा सुरभि