प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी ने सीमा मुद्दे के उचित, पारस्परिक स्वीकार्य समाधान के प्रति प्रतिबद्धता जताई
पारुल रंजन
- 31 Aug 2025, 06:08 PM
- Updated: 06:08 PM
(तस्वीरों के साथ)
तियानजिन, 31 अगस्त (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने भारत-चीन सीमा मुद्दे के “निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य” समाधान की दिशा में काम करने पर रविवार को सहमति जताई। उन्होंने वैश्विक व्यापार को स्थिर करने में दोनों अर्थव्यवस्थाओं की भूमिका को स्वीकार करते हुए व्यापार एवं निवेश संबंधों को विस्तार देने का संकल्प भी लिया।
उत्तरी चीन के तियानजिन शहर में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन से इतर मोदी और शी के बीच यह बातचीत अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाले प्रशासन की टैरिफ संबंधी नीति से वैश्विक अर्थव्यवस्था में पैदा हुई उथल-पुथल की पृष्ठभूमि में हुई। दोनों नेताओं ने अपनी व्यापक बातचीत में मुख्य रूप से व्यापार और निवेश संबंधों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया।
बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-चीन संबंधों के लगातार विकास के लिए सीमावर्ती इलाकों में शांति और सौहार्द के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि नयी दिल्ली “आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता” के आधार पर बीजिंग के साथ अपने संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।
भारत की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार और निवेश संबंधों को बढ़ावा देने तथा व्यापार घाटे में कमी लाने की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने आतंकवाद और बहुपक्षीय मंचों पर निष्पक्ष व्यापार जैसे द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों तथा चुनौतियों पर साझा आधार का विस्तार करने की सहमति व्यक्त की।
मोदी ने टेलीविजन पर प्रसारित अपने वक्तव्य में कहा, “हमारा सहयोग दोनों देशों के 2.8 अरब लोगों के हितों से जुड़ा है। इससे समस्त मानवता के कल्याण का मार्ग भी प्रशस्त होगा।”
विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि मोदी और शी ने विश्व व्यापार को स्थिर करने में दोनों अर्थव्यवस्थाओं की भूमिका को स्वीकार किया और द्विपक्षीय व्यापार एवं निवेश संबंधों को बढ़ावा देने तथा व्यापार घाटे में कमी लाने के लिए राजनीतिक और रणनीतिक रूप से आगे बढ़ने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
बयान में कहा गया है, “प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और चीन दोनों ही सामरिक स्वायत्तता चाहते हैं तथा उनके संबंधों को किसी तीसरे देश के नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए।”
इसमें कहा गया है, “दोनों नेताओं ने आतंकवाद और बहुपक्षीय मंचों पर निष्पक्ष व्यापार जैसे द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों तथा चुनौतियों पर साझा आधार को विस्तार देने को आवश्यक बताया।”
मोदी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में शी के साथ अपनी बातचीत को “फलदायी” करार दिया।
उन्होंने लिखा, “हमने कजान (रूस) में अपनी पिछली बैठक के बाद भारत-चीन संबंधों को मिली सकारात्मक गति की समीक्षा की। हमने माना कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द बनाए रखना अहम है। हमने आपसी सम्मान, हितों और संवेदनशीलता पर आधारित सहयोग के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।”
भारत और चीन ने जून 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़पों के बाद दोनों देशों के रिश्तों में बढ़ी तल्खी को दूर करने के लिए हाल के महीने में कई कदम उठाए हैं।
मोदी दो देशों की अपनी यात्रा के दूसरे चरण में शनिवार शाम जापान से तियानजिन पहुंचे थे। यह सात साल से अधिक समय में मोदी की चीन की पहली यात्रा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले साल अक्टूबर में कजान में उनकी और शी की मुलाकात के बाद भारत-चीन सीमा पर शांति एवं स्थिरता का माहौल कायम है।
विदेश मंत्रालय ने कहा, “दोनों नेताओं ने अक्टूबर में कजान में हुई अपनी पिछली बैठक के बाद द्विपक्षीय संबंधों को मिली सकारात्मक गति और उसमें हो रही निरंतर प्रगति का स्वागत किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देश विकास साझेदार हैं, न कि प्रतिद्वंद्वी और उनके मतभेद विवादों में नहीं बदलने चाहिए।”
मंत्रालय ने कहा, “भारत, चीन और उनके 2.8 अरब लोगों के बीच आपसी सम्मान, हित एवं संवेदनशीलता पर आधारित स्थिर संबंध तथा सहयोग, दोनों देशों की वृद्धि और विकास के साथ-साथ 21वीं सदी के रुझानों के अनुरूप बहुध्रुवीय दुनिया और बहुध्रुवीय एशिया के लिए आवश्यक हैं।”
उसने कहा कि दोनों नेताओं ने पिछले साल (पूर्वी लद्दाख के विवादित बिंदुओं से) सैनिकों की सफल वापसी और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं सौहार्द की बहाली पर संतोष व्यक्त किया।
मंत्रालय ने कहा, “मोदी और शी ने अपने समग्र द्विपक्षीय संबंधों के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य और दोनों देशों के लोगों के दीर्घकालिक हितों को ध्यान में रखते हुए सीमा मुद्दे के निष्पक्ष, उचित एवं पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान के प्रति प्रतिबद्धता जताई।”
उसने कहा, “दोनों नेताओं ने इस महीने की शुरुआत में दो विशेष प्रतिनिधियों के बीच हुई वार्ता में लिए गए महत्वपूर्ण फैसलों का जिक्र किया और उनके प्रयासों को आगे भी समर्थन देने पर सहमति व्यक्त की।”
मंत्रालय के मुताबिक, मोदी और शी ने कैलाश मानसरोवर यात्रा और पर्यटक वीजा की बहाली के आधार पर सीधी उड़ानों और वीजा सुविधा के माध्यम से लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने की आवश्यकता भी रेखांकित की।
उसने कहा, “आर्थिक और व्यापारिक संबंधों के सिलसिले में दोनों नेताओं ने विश्व व्यापार को स्थिर करने में अपनी-अपनी अर्थव्यवस्था की अहम भूमिका को स्वीकार किया। उन्होंने द्विपक्षीय व्यापार और निवेश संबंधों का विस्तार करने तथा व्यापार घाटे में कमी लाने के लिए राजनीतिक एवं रणनीतिक रूप से आगे बढ़ने की आवश्यकता पर जोर दिया।”
मोदी ने चीन द्वारा शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की सफलतापूर्वक अध्यक्षता किए जाने के लिए शी को बधाई भी दी। उन्होंने चीनी राष्ट्रपति को 2026 में भारत में प्रस्तावित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित भी किया।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, राष्ट्रपति शी ने निमंत्रण के लिए मोदी को धन्यवाद दिया और भारत की ब्रिक्स अध्यक्षता के लिए चीन के समर्थन की पेशकश की।
मंत्रालय ने बताया कि मोदी ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति के सदस्य कै क्वी के साथ भी बैठक की।
मंत्रालय ने बताया कि प्रधानमंत्री ने क्वी के साथ बैठक में द्विपक्षीय संबंधों को लेकर अपना रुख साझा किया और दोनों नेताओं (मोदी और शी) के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए उनका समर्थन मांगा।
उसने कहा, “बैठक में क्वी ने द्विपक्षीय आदान-प्रदान बढ़ाने और दोनों नेताओं के बीच बनी सहमति के अनुरूप संबंधों को और बेहतर बनाने की चीनी पक्ष की इच्छा दोहराई।”
भाषा पारुल