श्रमिक संगठनों ने कर प्रोत्साहन देने, न्यूनतम पेंशन बढ़ाने की मांग की
रमण अजय
- 20 Nov 2025, 10:15 PM
- Updated: 10:15 PM
नयी दिल्ली, 20 नवंबर (भाषा) श्रमिक संगठनों ने सरकार से सामाजिक सुरक्षा मद में दिये जाने वाले योगदान पर कर प्रोत्साहन प्रदान करने, पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने और ईपीएफओ पेंशनधारकों के लिए न्यूनतम पेंशन बढ़ाकर 9,000 रुपये प्रति माह करने का आग्रह किया है।
श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने बृहस्पतिवार को वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों के साथ बजट की तैयारियों के सिलसिले में आयोजित बैठक के दौरान ये मांगें रखी।
दस केंद्रीय श्रमिक संगठनों के एक मंच ने ज्ञापन में कहा कि वेतनभोगी वर्ग के लिए उनके वेतन पर आयकर छूट की अधिकतम सीमा, ईपीएफओ और ईएसआई योगदान और पात्रता के लिए निर्धारित अधिकतम सीमा में पर्याप्त वृद्धि की जानी चाहिए।
उन्होंने मांग की कि ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा हटाई जानी चाहिए और पेंशन राशि पर कर नहीं लगाया जाना चाहिए।
श्रमिक संगठनों सुझाव दिया कि असंगठित और कृषि श्रमिकों के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित सामाजिक सुरक्षा कोष की स्थापना की जानी चाहिए ताकि उन्हें परिभाषित सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा योजनाएं प्रदान की जा सकें, जिसमें डीए (महंगाई भत्ता) और चिकित्सा एवं शैक्षिक लाभों के साथ न्यूनतम 9,000 रुपये प्रति माह पेंशन की सुविधा शामिल हो।
उन्होंने आम जनता पर आवश्यक खाद्य वस्तुओं और दवाओं पर जीएसटी का बोझ डालने के बजाय कंपनी कर, संपत्ति कर बढ़ाकर और उत्तराधिकार कर लागू करके संसाधन जुटाने का भी सुझाव दिया।
श्रमिक संगठनों ने कहा कि अति-धनवान व्यक्तियों पर एक प्रतिशत उत्तराधिकार कर लगाने से भी बजट में भारी राशि आ सकती है। इसका उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सामाजिक क्षेत्रों के वित्तपोषण के लिए किया जा सकता है।
उन्होंने यह भी मांग की कि केंद्र सरकार के विभागों और सार्वजनिक उपक्रमों में सभी मौजूदा रिक्तियों को तुरंत भरा जाना चाहिए।
श्रमिक संगठनों ने सुझाव दिया कि सभी क्षेत्रों में निश्चित अवधि के रोजगार को बंद करके उसकी जगह नियमित रोजगार को लाया जाना चाहिए।
उन्होंने आग्रह किया कि नई पेंशन योजना को समाप्त किया जाना चाहिए क्योंकि एकीकृत पेंशन योजना पुरानी पेंशन योजना की जगह नहीं ले सकती और परिभाषित पुरानी पेंशन योजना के लाभ बहाल किए जाने चाहिए।
श्रमिक संगठनों ने ईपीएस-95 (कर्मचारी पेंशन योजना-1995) के तहत न्यूनतम पेंशन को 1,000 रुपये से बढ़ाकर 9,000 रुपये करने और इसे महंगाई भत्ते से जोड़ने की भी वकालत की।
उन्होंने कहा कि इसके लिए बजटीय आवंटन होना चाहिए।
श्रमिक संगठनों ने मांग की कि 8वें वेतन आयोग का तुरंत गठन किया जाए और पेंशनभोगियों को भी इसके दायरे में रखा जाए।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि भारतीय श्रम सम्मेलन, जिसमें केंद्र सरकार भी एक पक्ष है, की सर्वसम्मति से की गई सिफारिश के अनुसार न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये प्रति माह (मुद्रास्फीति समायोजन के साथ) से कम नहीं होना चाहिए।
श्रमिक संगठनों ने यह भी कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण और राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन प्रक्रिया को रोका जाना चाहिए और समाप्त किया जाना चाहिए।
भाषा रमण