कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार का एक पैर भाजपा में : विधायक यतनाल
धीरज पारुल
- 31 Aug 2025, 08:20 PM
- Updated: 08:20 PM
कलबुर्गी, 31 अगस्त (भाषा) कर्नाटक के बीजापुर से विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल ने रविवार को दावा किया कि उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार का एक पैर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में है।
यतनाल ने शिवकुमार के विधानसभा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रार्थना गीत को गाने को ‘नाटक’ करार दिया।
अनुशासनहीनता के आरोप में भाजपा से निष्कासित यतनाल ने दावा किया कि दिल्ली में शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने के लिए चर्चा हुई थी, बशर्ते वह 60-70 कांग्रेस विधायकों के साथ आएं, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ, क्योंकि केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी के नेतृत्व को रिपोर्ट मिली कि उनके पास विधायकों का समर्थन नहीं है।
शिवकुमार ने यतनाल के दावों पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। बेंगलुरु में संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘‘मैं कूड़े या गोबर पर पत्थर नहीं फेंकना चाहता।’’
यतनाल ने कहा, ‘‘डीके शिवकुमार नाटक कर रहे हैं (आरएसएस का प्रार्थना गीत गाकर)। उन्होंने अपना एक पैर भाजपा में रखा है। उन्होंने भाजपा के साथ एक दौर की चर्चा की है। चूंकि, विधायक साथ नहीं हैं, इसलिए उसने (भाजपा ने) योजना छोड़ दी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष (बीवाई विजयेंद्र) के नेतृत्व में शिवकुमार के साथ दिल्ली में 60-70 कांग्रेस विधायकों को लाने के बारे में एक बैठक हुई थी...।’’
यतनाल ने कहा, ‘‘वह (शिवकुमार) भाजपा के साथ समझौता चाहते थे। लेकिन एक रिपोर्ट (भाजपा के शीर्ष नेताओं तक) पहुंची कि शिवकुमार के समर्थन में 12-13 लोग (विधायक) भी नहीं हैं और सभी सिद्धरमैया के साथ हैं।’’
यतनाल ने दावा किया कि एक भाजपा नेता ने उन्हें बताया था कि शिवकुमार को मुख्यमंत्री और विजयेंद्र को उपमुख्यमंत्री बनाने पर चर्चा हुई थी। उन्होंने कहा, ‘‘दोनों मिलकर कर्नाटक को बेच देते। इसलिए मैं शिवकुमार के मुख्यमंत्री बनने का विरोध करता हूं।’’
यतनाल ने कहा, ‘‘सिद्धरमैया का (मुख्यमंत्री के रूप में) दो साल तक मुसलमानों के पक्ष में काम करना स्वीकार है, लेकिन शिवकुमार को उनकी जगह नहीं आना चाहिए। वह भ्रष्ट हैं और उनका भाजपा के एक अन्य भ्रष्ट व्यक्ति के साथ जुड़ना कर्नाटक के लिए बुरा है।’’
उनका इशारा विजयेंद्र की तरफ माना जा रहा है।
यतनाल भाजपा में रहने के दौरान भी विजयेंद्र की खुलकर आलोचना करते थे।
भाषा धीरज