67 साल पुराने दुनिया के सबसे लंबे बांध को बड़े पैमाने पर मरम्मत की जरूरत: हीराकुंड के मुख्य अभियंता
आशीष नेत्रपाल
- 01 Sep 2025, 04:48 PM
- Updated: 04:48 PM
(लक्ष्मी देवी ऐरे)
बुर्ला (ओडिशा), एक सितंबर (भाषा) दुनिया के सबसे लंबे मिट्टी के बांध हीराकुंड बांध को ढांचागत समस्याओं को दूर करने और क्षमता बढ़ाने के लिए व्यापक मरम्मत की आवश्यकता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह बात कही।
हीराकुंड बांध सर्किल के अतिरिक्त मुख्य अभियंता सुधीर कुमार साहू ने बताया कि 67 साल पुराने बांध की समग्र मजबूती अच्छी बनी हुई है, लेकिन जलाशय के ऊपरी हिस्से में सतही दरारें और गड्ढे पाए गए हैं।
साहू ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हम बांध का रखरखाव ठीक से कर रहे हैं और केंद्रीय मृदा एवं सामग्री अनुसंधान केंद्र तथा केंद्रीय जल एवं विद्युत अनुसंधान केंद्र ने अच्छी रिपोर्ट दी है। इसकी मजबूती बहुत अच्छी है, लेकिन जलाशय के ऊपरी हिस्से में कुछ सतही दरारें और गड्ढे हैं।’’
हीराकुंड बांध परियोजना ओडिशा के संबलपुर शहर से लगभग 12 किलोमीटर ऊपर महानदी नदी पर बनाई गई है। राष्ट्रीय राजमार्ग छह से छह किलोमीटर दूर स्थित इस बांध तक पहुंचने के लिए निकटतम रेल संपर्क हीराकुंड रेलवे स्टेशन और निकटतम हवाई अड्डा झारसुगुड़ा है।
यह बांध 25.4 किलोमीटर लंबा है, जिसमें 743 वर्ग किलोमीटर में फैली एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है। वर्ष 1957 में आज़ादी के बाद भारत की पहली बहुउद्देशीय परियोजना के रूप में इस बांध का निर्माण हुआ था।
वर्ष 1946 में तत्कालीन गवर्नर सर हॉथोर्न लुईस द्वारा आधारशिला रखे जाने के बाद 1948 में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1948 में कंक्रीट का पहला बैच बिछाया और 13 जनवरी, 1957 को इस परियोजना का उद्घाटन किया गया।
वर्तमान में, यह बांध बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई, बिजली उत्पादन, औद्योगिक और घरेलू जल आपूर्ति सहित कई उद्देश्यों की पूर्ति करता है।
साहू ने बताया कि बांध के लिए चिह्नित ढांचागत समस्याओं का समय-समय पर मरम्मत के माध्यम से समाधान किया जा रहा है।
केंद्रीय जल आयोग ने बढ़ी हुई जल निकासी क्षमता को संभालने के लिए एक अतिरिक्त ‘स्पिलवे’ बनाने की सिफ़ारिश की है। जहां मौजूदा ‘स्पिलवे’ 15 लाख क्यूसेक जल प्रबंधन कर सकता है, वहीं नयी सुविधा 24.6 लाख क्यूसेक की संभावित अधिकतम बाढ़ को संभालने में मदद करेगी।
अधिकारी ने पुराने बुनियादी ढांचे के लिए केंद्र सरकार के सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘हीराकुंड बांध 65 साल से भी ज़्यादा पुराना है। इसलिए, इसका जीर्णोद्धार जरूरी है और केंद्र सरकार राज्य सरकार के साथ कई तरह से सहयोग कर रही है।’’
भाषा आशीष