ट्रंप के व्यापार सलाहकार नवारो ने मोदी, पुतिन और शी के घनिष्ठ होते संबंधों को चिंताजनक बताया
खारी वैभव
- 02 Sep 2025, 02:04 PM
- Updated: 02:04 PM
(योषिता सिंह)
न्यूयॉर्क/वॉशिंगटन, दो सितंबर (भाषा) अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शीर्ष व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच घनिष्ठता को ‘‘चिंताजनक’’ बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को रूस के बजाय अमेरिका, यूरोप और यूक्रेन के साथ खड़ा होना चाहिए।
उनकी यह टिप्पणी सोमवार को तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन से इतर तीनों नेताओं द्वारा घनिष्ठता प्रदर्शित किए जाने के बाद आई है।
मोदी, शी और पुतिन के बीच ‘‘एकजुटता के प्रदर्शन’’ के बारे में पूछे जाने पर नवारो ने सोमवार को अमेरिका के राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास एवं कार्यालय ‘व्हाइट हाउस’ में पत्रकारों से कहा, ‘‘यह चिंताजनक है, बहुत चिंताजनक है।’’
ट्रंप प्रशासन के व्यापार और विनिर्माण मामलों के वरिष्ठ सलाहकार ने कहा, ‘‘दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता मोदी का दो सबसे बड़े तानाशाहों, पुतिन और शी चिनफिंग, के साथ देखा जाना बेहद शर्म की बात है। इसका कोई मतलब नहीं है।’’
नवारो की ये टिप्पणियां और मोदी, पुतिन व शी चिनफिंग के बीच दिखी घनिष्ठता ऐसे समय में सामने आई है, जब भारत और अमेरिका के रिश्ते पिछले दो दशकों के सबसे नाजुक दौर से गुजर रहे हैं।
व्यापार और शुल्क (टैरिफ) पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के कारण वाशिंगटन और नयी दिल्ली के बीच रिश्तों में गिरावट आने के बाद नवारो पिछले कुछ दिनों से लगातार भारत को निशाना बना रहे हैं।
नवारो ने कहा, ‘‘मुझे समझ नहीं आता कि प्रधानमंत्री मोदी के मन में क्या है, खासकर तब जब भारत पिछले कई दशकों से चीन के साथ कभी शीत युद्ध तो कभी सीधे संघर्ष की स्थिति में रहा है। हम उम्मीद करते हैं कि भारतीय नेता यह समझेंगे कि उन्हें रूस के साथ नहीं, बल्कि हमारे, यूरोप और यूक्रेन के साथ होना चाहिए, और उन्हें रूस से तेल खरीदना भी बंद करना चाहिए।’’
ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत पारस्परिक शुल्क और रूसी तेल की खरीद के लिए अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क लगाया है। इससे भारत पर कुल शुल्क 50 प्रतिशत हो गया है, जो दुनिया में सबसे अधिक है।
भारत ने इन शुल्कों को ‘‘अनुचित और विवेकहीन’’ बताया है।
रूसी कच्चे तेल की अपनी खरीद का बचाव करते हुए भारत का कहना है कि उसकी ऊर्जा खरीद राष्ट्रीय हित और बाजार की परिस्थितियों से प्रेरित है।
यूक्रेन पर हमले के बाद, जब से पश्चिमी देशों ने रूसी कच्चे तेल पर प्रतिबंध लगाए हैं, तब से रूस भारत का शीर्ष ऊर्जा आपूर्तिकर्ता बन गया है।
नवारो ने कहा, ‘‘भारत जनसंख्या के लिहाज से दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। इतिहास पर नजर डालें तो दशकों से भारत और चीन के बीच शीत युद्ध जारी रहा है।’’
उन्होंने कहा कि बीजिंग (चीन) ने ‘‘पाकिस्तान की सेना को धन मुहैया कराया उसे परमाणु हथियार विकसित करने में मदद की है।’’
नवारो ने कहा, ‘‘चीन ने बार-बार भारत पर खासकर अक्साई चिन में हमला किया है। चीन ने वास्तव में भारत की जमीन पर कब्जा किया और अब भी उस पर कब्जा जमाए हुए है। अब चीनी नौसेना हिंद महासागर के अंदर तक गश्त कर रही है और वहां भारतीय संप्रभुता को चुनौती दे रही है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘...लेकिन साथ ही हम देख रहे हैं कि चीन के कारोबारी और तेल कंपनियां भारतीय व्यापारियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, और यह संबंध बहुत ही नुकसानदायक है।’’
नवारो ने दावा किया कि ‘‘चीन भारत का इस्तेमाल एक ऐसी जगह के तौर पर कर रहा है जहां से वह अपना सामान दूसरे देशों में भेज सके और शुल्क से बच सके।’’
नवारो ने कहा, ‘‘यूक्रेन में शांति लाने में कहीं न कहीं नयी दिल्ली की भूमिका अहम है। और अब वक्त है कि मोदी (प्रधानमंत्री) आगे आकर अपनी भूमिका निभाएं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं मोदी का बेहद सम्मान करता हूं और भारतीय लोगों से बेहद लगाव रखता हूं।’’
यूक्रेन संघर्ष को ‘मोदी वॉर’ कहने वाले नवारो ने कहा कि भारत दुनिया के बड़े देशों पर सबसे ज्यादा शुल्क लगाता है और इस सच्चाई को मानने से इनकार कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत सबको यह सफाई देने की कोशिश करता है कि ये सच नहीं है, जबकि ये सच साफ दिखाई दे रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए भारत को हमारे साथ मिलकर काम करना चाहिए। जापान, कोरिया, फिलीपीन, इंडोनेशिया और यूरोपीय संघ जैसे देशों ने तो ऐसा किया है, लेकिन भारत पीछे हट गया। भारत को लगता है कि वो हमारे साथ जैसा चाहे वैसा कर सकता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन ट्रंप ऐसा होने नहीं देंगे।’’
रूस से भारत के तेल खरीदने पर नवारो ने कहा कि यह ‘‘असाधारण स्थिति’’ है।
उन्होंने कहा, ‘‘असल में, रूस के यूक्रेन पर हमला करने से पहले, भारत उससे (रूस) तेल खरीदता ही नहीं था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत इस बात पर अड़ा नहीं रह सकता कि उसे अपनी कारें चलाने या अपने घरों को ठंडा रखने के लिए इस तेल की जरूरत है। यह झूठ है। बिल्कुल झूठ है।’’
भाषा खारी