मराठा आरक्षण के संबंध में कोई नया फैसला नहीं लिया गया, ओबीसी को नुकसान नहीं होगा: शिंदे
जोहेब संतोष
- 08 Sep 2025, 11:05 PM
- Updated: 11:05 PM
छत्रपति संभाजीनगर, आठ सितंबर (भाषा) महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मराठा समुदाय के सदस्यों को कुनबी जाति का प्रमाण पत्र देने के संबंध में जारी शासनादेश (जीआर) को लेकर उठे विवाद के बीच सोमवार को दावा किया कि इस कदम से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को कोई नुकसान नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि राज्य मंत्री छगन भुजबल को सूचित किया गया था कि जीआर ओबीसी समुदायों के हितों के लिए हानिकारक नहीं है। भुजबल ने जीआर पर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी और ओबीसी नेताओं की एक बैठक बुलाई थी।
शिंदे ने यहां मीडिया को संबोधित करते हुए स्पष्ट किया कि सरकार ने जीआर के माध्यम से (कुनबी) प्रमाण पत्र आवंटित करने की प्रक्रिया को केवल सरल बनाया है और मराठा आरक्षण के संबंध में कोई नया निर्णय नहीं लिया गया है।
शिंदे ने राज्य के सामाजिक न्याय एवं विशेष सहायता विभाग द्वारा हैदराबाद गजेटियर को लागू करने के लिए जारी किए गए शासनादेश के बाद ओबीसी वर्ग में बढ़ती बेचैनी के बीच यह टिप्पणी की है।
हैदराबाद गजेटियर के तहत मराठा समुदाय के पात्र सदस्यों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करने की अनुमति होगी।
मराठा आरक्षण से संबंधित राज्य मंत्रिमंडल की उप-समिति के प्रमुख विखे पाटिल ने कार्यकर्ता मनोज जरांगे के साथ बातचीत का नेतृत्व किया था, जिसके बाद जरांगे ने मुंबई में पांच दिन के बाद दो सितंबर को अपनी भूख हड़ताल समाप्त कर दी थी।
सोमवार को छत्रपति संभाजीनगर के अपने दौरे के दौरान शिंदे ने मराठवाड़ा क्षेत्र के शिवसेना कार्यकर्ताओं और विधायकों को संबोधित किया।
उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा, "वरिष्ठ ओबीसी नेता और मंत्री छगन भुजबल के साथ चर्चा हुई है और उन्हें बताया गया है कि शासनादेश ओबीसी के हितों (कोटे) को प्रभावित नहीं करेगा। अन्य पिछड़ा वर्ग को कोई नुकसान नहीं होगा।"
शिंदे ने कहा कि (कुनबी) प्रमाण पत्र आवंटित करने का नियम 2012 से ही लागू है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने कोई नया फैसला नहीं लिया है। हमने बस इस प्रक्रिया को सरल बनाया है। मराठवाड़ा में कोई कुनबी प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया था। हमने ये प्रमाण पत्र उनको (मराठों) देने का फैसला किया है जिनके ऐतिहासिक अभिलेख मौजूद हैं।’’
भाषा जोहेब