दिल्ली उच्च न्यायालय ने फिल्म निर्माता करण जौहर के व्यक्तित्व और प्रचार अधिकारों की रक्षा की
संतोष माधव
- 19 Sep 2025, 10:19 PM
- Updated: 10:19 PM
नयी दिल्ली, 19 सितंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने फिल्म निर्माता और निर्देशक करण जौहर के व्यक्तित्व और प्रचार अधिकारों की रक्षा करते हुए कई वेबसाइट और मंचों को व्यावसायिक लाभ के लिए उनके नाम, छवि और व्यक्तित्व का अवैध रूप से उपयोग करने से रोक दिया है।
न्यायमूर्ति मनमीत पी.एस. अरोड़ा ने जौहर के पक्ष में एक एकपक्षीय अंतरिम निषेधाज्ञा जारी करते हुए कहा कि उन्होंने प्रथम दृष्टया मामला स्थापित कर लिया है और सुविधा का संतुलन भी उनके पक्ष में और प्रतिवादियों के विरुद्ध है।
अदालत ने कहा, ‘‘प्रथम दृष्टया मूल्यांकन से यह स्पष्ट है कि उल्लंघनकारी वेबसाइट और मंच ने व्यावसायिक लाभ के लिए वादी की आवाज, नाम और छवि का अनधिकृत रूप से लाभ उठाया और दुरुपयोग किया है, जिसके परिणामस्वरूप वादी के व्यक्तित्व अधिकारों का उल्लंघन हुआ है। इसलिए, निषेधाज्ञा लागू करने का विषय है।’’
प्रथम दृष्टया मूल्यांकन के आधार पर, अदालत ने कहा कि प्रतिवादी संख्या सात (पिनटेरेस्ट, इंक.), 14 (गूगल एलएलसी) और 15 (मेटा प्लेटफॉर्म) के मंचों पर उपलब्ध वीडियो, मीम्स और सोशल मीडिया पोस्ट में अपमानजनक और अपवित्र शब्दों के साथ-साथ अप्रत्यक्ष कटाक्ष भी हैं, जो आक्रामक प्रतीत होते हैं।
अदालत ने कहा, ‘‘उक्त सामग्री वादी की प्रतिष्ठा और साख को धूमिल करती है और उसके ब्रांड मूल्य को प्रभावित करती है। वादी प्रथम दृष्टया ऐसे नकारात्मक उपयोग के विरुद्ध अपने व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा के लिए निषेधाज्ञा प्राप्त करने का हकदार है।’’
अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया उसका मत है कि यदि वादी के पक्ष में निषेधाज्ञा नहीं दी जाती है, तो वादी की प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति पहुंचती। अदालत ने 17 सितंबर को यह आदेश दिया जिसे शुक्रवार को उपलब्ध कराया गया।
अदालत ने जौहर के मुकदमे पर कई ऑनलाइन मंच और वेबसाइट को समन जारी किए और सोशल मीडिया मध्यस्थों (मेटा प्लेटफॉर्म और अन्य) से आईटी लॉग के विवरण के साथ बेसिक सब्सक्राइबर इन्फॉर्मेशन (बीएसआई) प्रदान करने को कहा।
अंतरिम आदेश जौहर द्वारा उठाए गए कई मुद्दों पर दिया गया, जिनमें उनके नाम और छवि के साथ माल की अनधिकृत बिक्री, असमानता और अश्लीलता, डोमेन नाम, प्रतिरूपण और फर्जी प्रोफाइल का बनाया जाना शामिल है।
अपने व्यक्तित्व और प्रचार अधिकारों की सुरक्षा के अलावा, जौहर ने अदालत से यह भी आग्रह किया था कि वह कुछ वेबसाइट और मंच को उनके नाम और छवि वाले मग और टी-शर्ट सहित अन्य सामान अवैध रूप से न बेचने का निर्देश देने का आदेश दे।
उन्होंने यह दावा करते हुए मुकदमा दायर किया कि विभिन्न संस्थाएं आर्थिक लाभ के लिए उनकी सहमति के बिना उनके नाम, छवि, व्यक्तित्व का उपयोग कर रही हैं।
भाषा
संतोष