बिहार के मंत्री जीवेश कुमार ने तेजस्वी यादव को भेजा कानूनी नोटिस
नोमान
- 20 Sep 2025, 11:43 PM
- Updated: 11:43 PM
पटना, 20 सितंबर (भाषा) बिहार के शहरी विकास मंत्री जीवेश कुमार ने शनिवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता एवं तेजस्वी प्रसाद यादव को ‘‘झूठे, दुर्भावपूर्ण और अपमानजनक ’’ बयान देने के आरोप में कानूनी नोटिस भेजा और 15 दिनों के भीतर उनसे सार्वजनिक रूप से माफी मांगने को कहा।
विधानसभा में विपक्ष के नेता यादव ने 15 सितंबर को दरभंगा जिले में एक पत्रकार से कथित बदसलूकी एवं मारपीट के आरोपों को लेकर मंत्री के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। इसके साथ ही उन्होंने राजस्थान की एक अदालत के हालिया आदेश का हवाला देते हुए कुमार पर ‘‘नकली दवा बनाने’’ से जुड़े मामले में संलिप्त होने का आरोप लगाया था और मांग की थी कि उन्हें नीतीश मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए या इस्तीफा देने को कहा जाए।
उन्होंने ये आरोप पटना में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में लगाए थे।
मंत्री की ओर से अधिवक्ता बिंध्याचल राय द्वारा भेजे कानूनी नोटिस में कहा गया है, ‘‘झूठे और तोड़-मरोड़कर पेश किए गए तथ्यों का जानबूझकर प्रसार किया जा रहा है, जिससे मामले की वास्तविकता को गलत ढंग से प्रस्तुत किया जा रहा है, जबकि इस मामले में अपील दायर की गई है जो अदालत में विचाराधीन है। यह न केवल मानहानि है बल्कि अदालत की अवमानना भी है।’’
नोटिस में कहा गया है, ‘‘मेरे मुवक्किल दवाओं के व्यापार से जुड़ी एक कंपनी के निदेशक थे। वर्ष 2012 में राजस्थान के राजसमंद जिले के औषधि नियंत्रण अधिकारी ने 16 व्यक्तियों, जिनमें मेरे मुवक्किल भी शामिल थे, के खिलाफ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में शिकायत दर्ज कराई थी। अदालत ने आरोपियों को कोई सज़ा नहीं दी। इसके बजाय, यह देखते हुए कि उनका पहले का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और वे 12 साल से मुकदमे का सामना कर रहे हैं, अदालत ने उन्हें ‘प्रोबेशन ऑफ़ ऑफेंडर्स एक्ट’, 1958 का लाभ दे दिया।’’
नोटिस में यह भी कहा गया, ‘‘मेरे मुवक्किल को कभी सजा नहीं दी गई, लेकिन आपने (तेजस्वी यादव) मीडिया मंचों पर झूठा आरोप लगाया कि उन्होंने नकली दवा बेची और दवाओं की चोरी के मामले में दोषी ठहराए गए। आपने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर भी इसी प्रकार की बातें साझा कीं। आपके बयान का उद्देश्य स्पष्ट रूप से मेरे मुवक्किल की सार्वजनिक छवि को धूमिल कर और राजनीतिक लाभ लेना था।’’
अधिवक्ता ने कहा कि यह मामला केवल निर्माता द्वारा कुछ तकनीकी ‘डिजॉल्यूशन पैरामीटर’ पूरे न करने से संबंधित था, जिसे किसी भी मानक के अनुसार न तो ‘‘मिलावटी या नकली’’ दवा की श्रेणी में रखा जा सकता है।
नोटिस में कहा गया है, ‘‘किसी भी व्यक्ति को उस न्यायिक आदेश पर टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है, जिसे पहले ही स्थगित किया जा चुका है। आपको यहां से नोटिस प्राप्ति के 15 दिनों के भीतर सार्वजनिक रूप से माफी मांगने के लिए कहा गया है। ऐसा न करने पर मेरे मुवक्किल आपके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करने के लिए बाध्य होंगे, जिसमें दीवानी एवं आपराधिक कार्रवाई (मानहानि और अवमानना की कार्यवाही दायर करना) शामिल होगी और इसकी पूरी जिम्मेदारी एवं परिणाम आपके ऊपर होंगे।’’
भाषा कैलाश