मैसूरु दशहरा कर्नाटक की संस्कृति का प्रतीक, चामुंडेश्वरी नारी शक्ति की प्रतीक : बानू मुश्ताक
खारी दिलीप
- 22 Sep 2025, 03:16 PM
- Updated: 03:16 PM
मैसूरु, 22 सितंबर (भाषा) अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका बानू मुश्ताक ने सोमवार को मैसूरु दशहरा उत्सव का उद्घाटन करते हुए इसे कर्नाटक की साझा संस्कृति का प्रतीक बताया।
उन्होंने यह भी कहा कि मैसूरु की अधिष्ठात्री देवी चामुंडेश्वरी नारी शक्ति और उसकी अजेय इच्छाशक्ति की प्रतीक हैं।
मुश्ताक ने कहा कि नारी होना केवल कोमलता और मातृस्नेह का प्रतीक नहीं है, बल्कि अन्याय से लड़ने वाली शक्ति का भी प्रतीक है।
मैसूरु में सोमवार को धार्मिक और पारंपरिक उत्साह के साथ प्रसिद्ध 11 दिवसीय दशहरा उत्सव शुरू हुआ, जिसका उद्घाटन बानू मुश्ताक ने किया।
इस उत्सव का उद्घाटन विवादों के साये के बीच हुआ, क्योंकि समाज के कुछ वर्ग के लोगों ने त्योहार का उद्घाटन करने के लिए सरकार द्वारा बानू मुश्ताक को आमंत्रित किए जाने पर आपत्ति जताई थी।
उन्होंने चामुंडी पहाड़ियों पर स्थित चामुंडेश्वरी मंदिर परिसर में ‘वृश्चिक लग्न’ में पुजारियों के वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मैसूरु और वहां के राजपरिवारों की अधिष्ठात्री देवी चामुंडेश्वरी की मूर्ति पर पुष्प वर्षा करके उत्सव का उद्घाटन किया।
इससे पहले, उन्होंने मुख्यमंत्री के साथ चामुंडेश्वरी मंदिर में जाकर देवी की पूजा-अर्चना की।
मुश्ताक ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा, “हमारी संस्कृति हमारा मूल आधार है, सद्भाव हमारी ताकत है, और अर्थव्यवस्था हमारे पंख हैं। आइए हम युवाओं के साथ मिलकर एक नया समाज बनाएं, जो मानवता के मूल्य और प्रेम से परिपूर्ण हो, जो शैक्षिक, आर्थिक और औद्योगिक रूप से मजबूत हो। उस समाज में सभी को समान अधिकार और अवसर मिलें।”
हिंदू धर्म से अपने जुड़ाव को साझा करते हुए उन्होंने कहा, “मैं कई कार्यक्रमों में गई हूं, मुझे भी कई बार आमंत्रित किया गया है। मैंने कई बार ज्योति प्रज्वलित की है, पुष्प अर्पित किए हैं और मंगलारती भी ली है। यह मेरे लिए नया नहीं है।”
उन्होंने मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उनकी सरकार को नैतिक रूप से उनके साथ खड़े रहने और कई चुनौतियों के बावजूद उन्हें दशहरा के उद्घाटन के लिए आमंत्रित करने के लिए धन्यवाद दिया।
मुश्ताक ने कहा कि मां चामुंडेश्वरी की कृपा से यह भव्य दशहरा उत्सव प्रारंभ हो रहा है। उन्होंने कहा कि उन्हें चामुंडेश्वरी देवी मंदिर आना ही था और मैसूरु दशहरा उत्सव का उद्घाटन करने का मौका मिलने से उनकी यह मनोकामना पूरी हो गई।
उन्होंने कहा, “मैंने एक साक्षात्कार में पहले ही कहा था कि जब मेरा नाम बुकर पुरस्कार के लिए नामित हुआ था, तब मैसूरु में मेरे एक लेखक मित्र ने देवी चामुंडेश्वरी से प्रार्थना की थी और मुझे मंदिर लाने की मन्नत मांगी थी, लेकिन किसी कारणवश मैं पहले नहीं आ सकी थी, लेकिन देवी चामुंडी ने मुझे सरकार के निमंत्रण पर बुलाया है।”
उन्होंने कहा, “इस मामले में कई उतार-चढ़ाव और कई तरह के हालात बन गए, लेकिन माता चामुंडेश्वरी ने मुझे यहां बुलाया है और मैं उनके दर्शन के लिए आपके सामने आई हूं।”
उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें राज्य सरकार द्वारा मुश्ताक को दशहरा उत्सव के उद्घाटन के लिए आमंत्रित करने को बरकरार रखा गया था।
मुश्ताक ने कहा कि मां दुर्गा की कृपा से दशहरा उत्सव का उद्घाटन करना उनके जीवन का सबसे सम्मानजनक पल है और “दशहरा हमारी साझा संस्कृति का प्रतीक है।”
भाषा खारी