इस साल महिला सशक्तिकरण, सशस्त्र बल और प्रदूषण हैं कोलकाता के दुर्गा पूजा पंडालों के विषय
जोहेब नरेश
- 22 Sep 2025, 03:42 PM
- Updated: 03:42 PM
(सुप्रतीक सेनगुप्ता)
कोलकाता, 22 सितंबर (भाषा) कोलकाता का एक बड़ा हिस्सा 16 अगस्त, 1946 को जब सांप्रदायिक उन्माद की चपेट में था, तब दक्षिण कोलकाता के एक मोहल्ले के निवासी हिंदुस्तान पार्क-पूर्णदास रोड-लेक इलाके में उपद्रवियों को शांति भंग करने से रोकने के लिए डटे रहे। लगभग आठ दशक बाद समाजसेवी संघ ने फ्लेक्स और मॉडलों के माध्यम से 1946 की अपनी उस समय की पहली दुर्गा पूजा की यादें ताजा की हैं।
सामुदायिक पूजाओं के बीच विषयों की विविधता को दर्शाते हुए बागुईआटी में अर्जुनपुर अमरा सबाई ने 'मुखोमुखी' (आमने-सामने) नामक एक पंडाल की स्थापना की है, जहां प्रवेश करने वाले लोग स्टेनलेस स्टील फ्रेम लगे दर्पण में अपनी सैंकडों छवियां देख सकेंगे।
इससे लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर, मध्य कोलकाता में यंग बॉयज़ क्लब 'ऑपरेशन सिंदूर' थीम के माध्यम से भारत के सशस्त्र बलों को सलामी दे रहा है, जबकि शहर के उत्तर में श्यामनगर में बनर्जीपाड़ा पूजा मंदिर समिति ने नदी के प्रदूषण के मुद्दे को उजागर करने के लिए वाराणसी के घाटों को दर्शाया है।
समाजसेबी संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी अरिजीत मोइत्रा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, "16 अगस्त, 1946 को शहर के कई हिस्सों में हिंसा फैली हुई थी, तब हमारा इलाका हाथ थामकर एकजुटता व सौहार्द का संदेश देने के लिए खड़ा था। समाजसेबी संघ की शुरुआत शुभचिंतकों और लीला रॉय जैसे स्वतंत्रता सेनानियों की सलाह पर हुई, जो हमारी एकता से प्रभावित हुई थीं। उसी वर्ष, हमने अपनी पहली दुर्गा पूजा का आयोजन किया और यह आज भी जारी है।"
रॉय एक वामपंथी भारतीय महिला राजनीतिज्ञ, सुधारक और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की निकट सहयोगी थीं।
मोइत्रा ने कहा कि इस वर्ष का विषय उन संस्थापक सदस्यों को श्रद्धांजलि है जिन्होंने 1946 में हुई हिंसा का विरोध किया था।
उन्होंने कहा, "मेरे पिता की स्वदेशी केमिकल कंपनी के एक ट्रक की प्रतिकृति पंडाल के पास रखी जाएगी। इस ट्रक ने 1946 में मूर्ति को पहुंचाया था। मूर्ति को एक श्रेष्ठ वृद्ध भारतीय महिला का रूप दिया जाएगा।”
उन्होंने कहा, "मैं यह बात साफ कर देना चाहता हूं कि हमारे विषय का इस मुद्दे पर बनी किसी भी फिल्म से कोई संबंध या संदर्भ नहीं है तथा यह केवल मानवीय मजबूती, सौहार्द व सद्भाव के बारे में बताने के लिए है।"
मध्य कोलकाता की तारा चंद दत्ता स्ट्रीट में, कलाकार देबशंकर महेश द्वारा डिजाइन किए गए यंग बॉयज़ क्लब के पंडाल में टैंकों और मिसाइलों की प्रतिकृतियां प्रदर्शित की गई हैं।
भाषा जोहेब