देश भर में कश्मीर से 1.3 लाख मीट्रिक टन से अधिक ताजे फल भेजे गए
राखी नरेश
- 22 Sep 2025, 08:35 PM
- Updated: 08:35 PM
श्रीनगर, 22 सितंबर (भाषा) पिछले 10 दिनों में कश्मीर घाटी से देश भर के बाजारों में 1.3 लाख मीट्रिक टन से अधिक ताजा फलों का परिवहन किया गया। एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।
कश्मीर संभागीय आयुक्त अंशुल गर्ग ने यहां एक प्रेस वार्ता में कहा कि हर दिन ताजे फल और अन्य सामग्री से लदे 1500-2000 ट्रक घाटी में आते हैं और इन्हें वैकल्पिक दिनों में राष्ट्रीय राजमार्ग और मुगल रोड से भेजा जाता है।
गर्ग ने बताया, "पिछले 10 दिनों में 1.37 लाख मीट्रिक टन फल घाटी से श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग, मुगल रोड और पार्सल ट्रेन के जरिए भेजे गए हैं।"
गर्ग ने बताया कि मुख्य सचिव ने जिला प्रशासन, बीआरओ, यातायात और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरणों के साथ समन्वय करके ताजे फलों और आवश्यक आपूर्ति के परिवहन को सुव्यवस्थित करने के लिए हाल ही में एक एसओपी तैयार किया है।
उन्होंने कहा, "यदि किसी दिन राष्ट्रीय राजमार्ग पर ट्रैफिक श्रीनगर से जम्मू की ओर है, तो उसी दिन मुगल रोड के जरिए जम्मू से श्रीनगर की ओर माल भेजा जाता है। अगले दिन यह पैटर्न उल्टा हो जाता है ताकि जम्मू से घाटी तक आवश्यक वस्तुओं की निर्बाध आवाजाही हो सके।"
हाल ही में खराब मौसम और भूस्खलन के कारण लंबी अवधि तक बंद रहने वाले राजमार्ग की स्थिति का जिक्र करते हुए गर्ग ने कहा कि इसके पुनरुद्धार का कार्य तेज गति से जारी है।
उन्होंने कहा कि रविवार को ताजे फलों को घाटी से लाने के लिए मुगल रोड से 1,800 से 1,900 ट्रक जम्मू की ओर गए।
गर्ग ने कहा कि घाटी से नयी पार्सल ट्रेन सेवा नयी दिल्ली के लिए परिचालित हो गई है और यह भी फलों का परिवहन कर रही है।
गर्ग ने बताया कि ट्रेन के जरिए रोजाना करीब 800-1,000 टन ताजा फल भेजे जा रहे हैं। अब कश्मीर के उत्तर और दक्षिण के किसान क्रमशः बारामुला और अनंतनाग से अपने उत्पाद आसानी से ट्रेन में लाद सकते हैं।
जरूरी वस्तुओं के स्टॉक की स्थिति की ओर इशारा करते हुए गर्ग ने कहा कि घाटी में पेट्रोल, डीजल, एलपीजी, खाद्य और उपभोक्ता वस्तुओं की कोई कमी नहीं है।
उन्होंने कहा, "आवश्यक वस्तुओं का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है। हमारे पास ईंधन और खाद्य वस्तुओं का पूरे सप्ताह का स्टॉक है। स्टॉक नियमित रूप से भरा जाएगा। लोगों से अनुरोध है कि अफवाहों पर विश्वास न करें और घबराहट में खरीदारी न करें।"
भाषा राखी