ओडिशा: भाजपा सरकार के खिलाफ कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव नोटिस विस अध्यक्ष ने खारिज किया
अमित अविनाश
- 22 Sep 2025, 08:41 PM
- Updated: 08:41 PM
भुवनेश्वर, 22 सितंबर (भाषा) ओडिशा विधानसभा अध्यक्ष सुरमा पाढ़ी ने राज्य की 15 महीने पुरानी भाजपा सरकार के खिलाफ 'अविश्वास प्रस्ताव' लाने के लिए विपक्षी कांग्रेस का नोटिस सोमवार को खारिज कर दिया।
पाढ़ी ने नोटिस खारिज करते हुए कहा कि पिछले तीन दिनों से सदन की कार्यवाही में लगातार व्यवधान के कारण इसे पेश नहीं किया जा सका।
कांग्रेस ने दावा किया कि नोटिस बिना किसी वैध कारण के खारिज कर दिया गया और पार्टी ने विधानसभा परिसर में धरना शुरू कर दिया।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस ने 18 सितंबर को विधानसभा सचिव को नोटिस सौंपा था और उन्होंने (पाढ़ी) अधिकारियों से अगले दिन इसे चर्चा के लिए लाने को कहा था। उन्होंने कहा कि हालांकि, सदन में लगातार हंगामे के कारण नोटिस पर चर्चा नहीं हो सकी।
कांग्रेस विधायक दल के 14 सदस्य हैं और उसने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के एक विधायक सहित 15 विधायकों के हस्ताक्षरों के साथ अविश्वास प्रस्ताव नोटिस दिया था।
कांग्रेस ने राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति कथित तौर पर खराब होने, महिलाओं के खिलाफ अपराध में वृद्धि होने का आरोप लगाते हुए कहा था कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार किसानों की समस्या एवं बेरोजगारी जैसे मुद्दों से निपटने में विफल रही है। कांग्रेस ने भाजपा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नोटिस का समर्थन करने का बीजू जनता दल (बीजद) से भी अनुरोध किया था।
कांग्रेस ने अपने विधायकों को सदन में उपस्थित रहने के लिए व्हिप भी जारी किया था क्योंकि अध्यक्ष नोटिस स्वीकार कर सकते हैं।
दिन में विधानसभा अध्यक्ष के फैसले का विरोध करते हुए, कांग्रेस विधायक सदन में आसन के सामने आ गए और बीजद व भाजपा विरोधी नारे लगाने के बाद सदन से बहिर्गमन कर गए।
बाद में, आंदोलनकारी सदस्य विधानसभा परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास धरने पर बैठ गए। सरकार के मुख्य सचेतक सरोज प्रधान धरना स्थल पर आये और उनसे सदन में लौटने और कार्यवाही में भाग लेने का आग्रह किया। हालांकि, कांग्रेस सदस्य बारिश के बावजूद गांधी प्रतिमा के पास बैठे रहे।
कांग्रेस विधायक दल के नेता रामचंद्र कदम ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यहां कोई लोकतंत्र नहीं है। अध्यक्ष ने बिना किसी वैध कारण के भाजपा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के हमारे नोटिस को खारिज कर दिया है। जिस आधार पर अध्यक्ष ने नोटिस खारिज किया है वह उचित नहीं है।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि यह भाजपा और बीजद की एक सोची-समझी साजिश थी।
पार्टी विधायक सोफिया फिरदौस ने कहा, ‘‘हमने विधानसभा नियमों और प्रक्रिया के प्रावधानों के अनुसार नोटिस प्रस्तुत किया था। इसे अस्वीकार करने का कोई उचित कारण नहीं था। अब हमारे नोटिस के अस्वीकार होने के बाद, बीजद सदस्य कार्यवाही में भाग ले रहे थे जिससे साबित होता है कि बीजद और भाजपा के बीच सांठगांठ थी।"
147 सदस्यीय ओडिशा विधानसभा में भाजपा के 78, बीजद के 50, कांग्रेस के 14, तीन निर्दलीय और माकपा के एक सदस्य हैं। नुआपाड़ा से बीजद के मौजूदा विधायक राजेंद्र ढोलकिया के निधन के बाद एक सीट खाली है।
बृहस्पतिवार को विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन राजेंद्र ढोलकिया और छह अन्य पूर्व सदस्यों को श्रद्धांजलि देने के बाद कार्यवाही स्थगित कर दी गई थी, लेकिन अगले दो दिनों तक हंगामा जारी रहा। बीजद ने राज्य में कथित उर्वरक संकट को लेकर अपना विरोध जारी रखा।
सोमवार को, पंचायत पदाधिकारियों की शक्तियों में कटौती करने के सरकारी फैसले को वापस लेने की मांग को लेकर बीजद के हंगामे के कारण कार्यवाही शाम 4 बजे तक स्थगित रही।
भाषा
अमित