सेवानिवृत्त बैंकर के रिश्तेदार ने खुद को रक्षा खुफिया अधिकारी बताकर उनसे चार करोड़ रुपये ठगे
शफीक पारुल
- 22 Sep 2025, 11:19 PM
- Updated: 11:19 PM
पुणे, 22 सितंबर (भाषा) एक सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी के रिश्तेदार ने खुद को खुफिया अधिकारी बताकर उनसे कथित तौर पर चार करोड़ रुपये ठग लिए। इस घटना के बाद पीड़ित और उसकी पत्नी बेघर हो गए हैं। पुणे पुलिस के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
अधिकारी ने बताया कि शुभम प्रभाले ने अपने रिश्तेदार सूर्यकांत थोराट को एक बैंक खाते से 38 करोड़ रुपये निकलवाने के बहाने पैसे देने के लिए राजी किया। उसने दावा किया कि उसे रक्षा खुफिया विभाग में अपने काम के लिए इनाम के तौर पर यह रकम मिली थी।
थोराट ने कहा, ‘‘शुभम मेरी पत्नी के चचेरे भाई का बेटा है। 2019 में, उसने मुझसे संपर्क किया और दावा किया कि वह खुफिया विभाग में काम करता है। उसने यह कहते हुए पांच लाख रुपये मांगे कि उसे विभाग से इनाम के तौर पर मिले 38 करोड़ रुपये का दावा करने के लिए कुछ शुल्क देना होगा।’’
प्राथमिकी के मुताबिक, थोराट ने आरोप लगाया कि शुभम ने उनकी किसी व्यक्ति से बात कराई, जिसके बारे में उसने दावा किया कि वह केंद्रीय मंत्री अमित शाह हैं, ताकि उन्हें विश्वास दिलाया जा सके कि 38 करोड़ रुपये का इनाम असली है।
थोराट ने दावा किया, ‘‘इसके बाद शुभम यह कहते हुए पैसे मांगता रहा कि इनाम से संबंधित उसकी फाइल को मंजूरी मिलना जरूरी है। जनवरी 2020 और सितंबर 2024 के बीच, मैंने शुभम से संबंधित विभिन्न खातों में चार करोड़ रुपये से अधिक स्थानांतरित किए और उसके पिता सुनील और भाई ओमकार को नकद भुगतान भी किया।’’
थोराट ने कहा कि उन्होंने मुलशी में एक भूखंड, एक दुकान, दो फ्लैट, एक कार और 76 लाख रुपये के सोने के गहने समेत अपनी संपत्तियां बेच दीं तथा शुभम और उसके परिवार के सदस्यों को पैसे देने के लिए रिश्तेदारों और दोस्तों से एक करोड़ रुपये से ज्यादा उधार भी लिए।
थोराट ने अपनी शिकायत में दावा किया कि जब शुभम से पैसे वापस मांगे गए, तो उसने बताया कि वह विदेश में एक जरूरी मिशन पर है।
पर्वती पुलिस थाने के एक अधिकारी ने बताया कि शुभम प्रभाले, उसके पिता सुनील प्रभाले, मां भाग्यश्री प्रभाले, भाई ओमकार प्रभाले और प्रशांत राजेंद्र प्रभाले के खिलाफ 15 सितंबर को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की प्रासंगिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया।
थोराट ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में दावा किया कि वह अब बेघर हैं और शहर के एक मंदिर में रह रहे हैं।
भाषा शफीक