छत्तीसगढ़ नान घोटाला: पूर्व आईएएस अधिकारियों को चार हफ्ते की ईडी की हिरासत में भेजा गया
संजीव नोमान
- 22 Sep 2025, 11:21 PM
- Updated: 11:21 PM
रायपुर, 22 सितंबर (भाषा) छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले की एक विशेष अदालत ने सोमवार को पूर्व आईएएस अधिकारी आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा को राज्य में कथित नागरिक आपूर्ति निगम (नान) घोटाले से जुड़े धन शोधन के एक मामले में चार हफ्ते के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में भेज दिया।
ईडी के अधिवक्ता सौरभ कुमार पांडे ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि दोनों ने आज विशेष न्यायाधीश (धन शोधन निवारण अधिनियम) डमरुधर चौहान की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया, जिसके बाद ईडी ने उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया।
पांडे ने बताया कि विशेष अदालत ने उन्हें चार सप्ताह के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया है।
उन्होंने बताया कि ईडी दोनों को पूछताछ के लिए दिल्ली ले जाएगी।
पिछले सप्ताह उच्चतम न्यायालय ने शुक्ला और टुटेजा को दी गई अग्रिम जमानत को रद्द कर दिया था और ईडी को इस आदेश की प्रति प्राप्त होने की तारीख से चार हफ़्ते की अवधि के लिए दोनों सेवानिवृत्त अधिकारियों की हिरासत लेने की अनुमति दी थी। इसके बाद, दोनों को "यदि किसी अन्य मामले में आवश्यक न हो, तो निचली अदालत द्वारा लगाए गए नियमों और शर्तों के तहत" रिहा करने का आदेश दिया गया था।
उच्चतम न्यायालय ने दोनों को आत्मसमर्पण करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया था।
हिरासत आदेश के अनुसार, शुक्ला ने 19 सितंबर को अदालत में आत्मसमर्पण के लिए एक आवेदन प्रस्तुत किया था, जबकि टुटेजा के आत्मसमर्पण के लिए भी उनकी ओर से उसी दिन एक आवेदन प्रस्तुत किया गया था। हालांकि वह एक अन्य मामले में न्यायिक हिरासत में थे।
अदालत के फैसले के अनुसार, ईडी को उक्त आदेश की एक प्रति 19 सितंबर को प्राप्त हुई थी, इसलिए उस तारीख से चार सप्ताह की अवधि के लिए हिरासत प्रदान की गई है।
दोनों को 16 अक्टूबर को अदालत में पेश किया जाएगा।
टुटेजा को पिछले साल अप्रैल में छत्तीसगढ़ में कथित 2000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में ईडी ने गिरफ्तार किया था, तब से वह न्यायिक हिरासत में थे। ईडी द्वारा उन्हें पेशी वारंट पर लाया गया था, जिसके बाद टूटेजा ने नागरिक आपूर्ति निगम घोटाला मामले में अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।
ईडी ने 2019 में नागरिक आपूर्ति घोटाले में छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा दायर प्राथमिकी और आरोप पत्र के आधार पर धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था।
कथित नान घोटाला फरवरी 2015 में (तत्कालीन भाजपा सरकार के दौरान) उजागर हुआ था, जब एसीबी/ईओडब्ल्यू ने पीडीएस प्रणाली के प्रभावी संचालन को सुनिश्चित करने वाली नोडल एजेंसी व नागरिक आपूर्ति निगम के 25 परिसरों पर एक साथ छापे मारे थे, और कुल 3.64 करोड़ रुपये की बेहिसाब नकदी जब्त की थी।
छापे के दौरान एकत्र किए गए चावल और नमक के कई नमूनों की गुणवत्ता की जांच की गई और उन्हें घटिया और मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त पाया गया।
बाद में, एसीबी ने इस मामले में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के दो तत्कालीन अधिकारियों, टुटेजा और शुक्ला सहित 18 लोगों को आरोपी बनाया।
जब कथित घोटाला उजागर हुआ, तब शुक्ला नान में अध्यक्ष और टुटेजा प्रबंध संचालक के पद पर तैनात थे।
भाषा संजीव