युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने ‘वोट चोरी’ के मुद्दे पर पटना में मुख्यमंत्री आवास तक मार्च निकाला
कैलाश खारी
- 23 Sep 2025, 06:54 PM
- Updated: 06:54 PM
पटना, 23 सितंबर (भाषा) बिहार में युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को ‘वोट चोरी’ और एक उद्योग समूह को औने-पौने दाम पर जमीन देने के विरोध में मुख्यमंत्री आवास की ओर मार्च निकाला।
यह मार्च युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय भानु चिब के नेतृत्व में प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम से शुरू हुआ। हालांकि, मुख्यमंत्री आवास से लगभग दो-तीन किलोमीटर पहले राजा पुल के पास पुलिस ने उन्हें रोक दिया।
मुख्यमंत्री आवास की ओर जाने वाले प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रवेश रोकने के लिए पुलिस ने अवरोधक लगाए थे। इस दौरान कई युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।
चिब और उनके साथियों ने सड़क पर लेट गए और ‘वोट चोर, गद्दी चोर’ के नारे लगाए। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने यह नारा दिया था जिसके बाद यह काफी चर्चा में रहा।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को वाहनों में बैठाया और थाने ले गई।
पुलिस द्वारा खींच कर बस में ले जाए जाने के दौरान चिब ने कहा, ‘‘हम राहुल गांधी जी के सिपाही हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हमें डरा नहीं सकते।’’
पटना (मध्य) की पुलिस अधीक्षक दीक्षा ने बताया, ‘‘प्रदर्शनकारियों को हिरासत में इसलिए लिया गया क्योंकि वे प्रतिबंधित क्षेत्र में घुसने की कोशिश कर रहे थे। हालात को नियंत्रित करने के लिए न तो लाठीचार्ज करना पड़ा और न ही पानी की बौछारें करनी पड़ीं।’’
इससे पहले चिब ने संवाददाताओं से कहा कि उनका विरोध ‘‘भागलपुर जिले में अदाणी समूह को मात्र एक रुपये वार्षिक किराए पर 1,000 एकड़ से अधिक भूमि देने’’ के खिलाफ है।
बिहार सरकार का कहना है कि इस प्रक्रिया में कोई अनियमितता नहीं हुई है और अदाणी समूह को भागलपुर में बिजली संयंत्र स्थापित करने का ठेका इसलिए दिया गया क्योंकि उसने अन्य कंपनियों की तुलना में उपभोक्ताओं को काफी कम दर पर बिजली उपलब्ध कराने का वादा किया है।
हालांकि, चिब ने आरोप लगाया, ‘‘इस सौदे से न सिर्फ राज्य की वित्तीय स्थिति पर दबाव पड़ेगा, बल्कि पारिस्थितिक संतुलन भी खतरे में पड़ जाएगा। इस परियोजना के लिए हजारों पेड़ काटे जाएंगे। लेकिन मोदी को जनता की किसी प्रतिक्रिया का डर नहीं है क्योंकि उनका मानना है कि वे वोट चुराकर चुनाव जीतते रहेंगे।’’
भाषा कैलाश