अक्टूबर में अभ्यास के दौरान ड्रोन और ड्रोन-रोधी प्रणालियों की क्षमताओं का परीक्षण करेंगे सशस्त्र बल
अमित नरेश
- 23 Sep 2025, 07:31 PM
- Updated: 07:31 PM
नयी दिल्ली, 23 सितंबर (भाषा) सशस्त्र बल अक्टूबर के पहले सप्ताह में मुख्यालय एकीकृत रक्षा स्टाफ (एचक्यू-आईडीएस) द्वारा आयोजित अभ्यास के दौरान अपने कुछ ड्रोन और ड्रोन रोधी प्रणालियों की क्षमताओं का परीक्षण करेंगे। यह जानकारी एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को दी।
इस अभ्यास में सेना के तीनों अंगों की भागीदारी होगी और इसका आयोजन पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में भारत द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर के पांच महीने बाद होगा।
सूत्रों के अनुसार, यह अभ्यास 6 से 10 अक्टूबर तक मध्य प्रदेश में कहीं आयोजित किया जाएगा।
मुख्यालय आईडीएस में एकीकृत रक्षा स्टाफ (ओपीएस) के उप प्रमुख, एयर मार्शल राकेश सिन्हा ने यहां हवाई रक्षा प्रणालियों पर एक सम्मेलन में अपने संबोधन में, ऑपरेशन सिंदूर से सीखे गए सबक और सैन्य सोच एवं योजना में दुश्मन से "आगे रहने" की आवश्यकता पर भी बात की।
उन्होंने कहा, ‘‘ऑपरेशन सिंदूर में हमने देखा कि युद्ध क्षेत्र किस तरह विकसित हो रहा है। पहले से ही मंडरा रहे इस खतरे से निपटने के लिए हमें तत्काल ध्यान देने और निर्णायक नवाचार की आवश्यकता है।’’
ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में कई आतंकी बुनियादी ढांचे पर भारत के सटीक हमलों के बाद, पश्चिमी क्षेत्र को निशाना बनाकर पाकिस्तान की ओर से जवाबी कार्रवाई के रूप में कई ड्रोन हमले किए गए थे।
एयर मार्शल सिन्हा ने कहा, ‘‘ऑपरेशन सिंदूर ने हमें एक चेतावनी के साथ-साथ यूएएस-रोधी कार्रवाई में तेजी लाने का अवसर भी दिया है, ताकि भविष्य में हमें कठिन सबक न सीखना पड़े। इसलिए, हमें अपनी संचालन प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए अपने सबक को कार्रवाई, सहयोग, नवाचार और अटूट ध्यान में बदलना होगा।’’
यूएएस-रोधी से तात्पर्य ड्रोन रोधी प्रणाली से है।
दिल्ली में आयोजित इस सम्मेलन का विषय था 'काउंटर यूएवी एंड एयर डिफेंस सिस्टम्स: द फ्यूचर आफ मॉडर्न वारफेयर' था और इसमें वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों, रक्षा उद्योग की विभिन्न कंपनियों के प्रतिनिधियों और क्षेत्र के विशेषज्ञों ने भाग लिया।
मुख्यालय आईडीएस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आगामी अभ्यास का नाम 'कोल्ड स्टार्ट' रखा गया है।
बाद में कार्यक्रम से इतर ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में एयर मार्शन सिन्हा ने कहा कि अभ्यास का आयोजन मध्य सेक्टर में होगा और इसमें सेना के तीनों अंगों की भागीदारी होगी।
इसके अलावा उद्योग साझेदार, अनुसंधान एवं विकास भागीदार, शिक्षा जगत और अन्य लोग भी आगामी अभ्यास में भाग लेंगे।
एयर मार्शल सिन्हा ने कहा, ‘‘हम इस अभ्यास के दौरान अपने कुछ ड्रोन और ड्रोन रोधी प्रणालियों का परीक्षण करेंगे... जिसका उद्देश्य एक हवाई रक्षा प्रणाली और एक काउंटर-यूएएस (ड्रोन रोधी प्रणाली) बनाना है जो अधिक मजबूत हो।’’
यह अभ्यास 'रण संवाद' के लगभग एक महीने बाद हो रहा है जो युद्ध, युद्ध कौशल और युद्ध-लड़ाई पर अपनी तरह का पहला त्रि-सेवा सेमिनार था, जो मध्य प्रदेश के महू स्थित आर्मी वॉर कॉलेज में आयोजित किया गया था।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 27 अगस्त को सैन्य सेमिनार में अपने संबोधन में नये नवाचारों और अप्रत्याशित चुनौतियों के लिए तैयार रहने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया था और साथ ही मौजूदा तकनीकों में महारत हासिल करते हुए आगे रहने की आवश्यकता पर जोर दिया था।
मुख्यालय आईडीएस के अधिकारी एयर मार्शल सिन्हा ने अपने संबोधन में कहा, "हमने देखा है कि ड्रोन अब केवल सहायक उपकरण नहीं रह गए हैं, बल्कि वे किसी भी बड़े संघर्ष में एक केंद्रीय भूमिका निभाते हैं।’’
एयर मार्शल सिन्हा ने कहा, ‘‘हमने प्रत्यक्ष रूप से देखा है कि ड्रोन कैसे अभियानों को आकार देते हैं... वे खुफिया जानकारी जुटाने और सैन्य अभियानों को अंजाम देने में मदद करते हैं। इसने यह भी प्रदर्शित किया है कि दुश्मन के ड्रोन से खतरा, कैसे सेना की सुरक्षा, मिशन की सफलता और रणनीतिक उद्देश्यों को खतरे में डाल सकता है।’’
उन्होंने पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘देश के पश्चिमी प्रतिद्वंद्वी ने इस क्षेत्र में काफी अच्छी तरह से अनुकूलन किया है।’’
एयर मार्शल सिन्हा ने कहा, "उसने टोही, व्यवधान और यहां तक कि सीधे हमले करने के लिए सस्ते वाणिज्यिक प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल किया है।"
उन्होंने आगाह किया कि स्वार्म ड्रोन, कामिकाज़ी ड्रोन, आकाश से लगातार आईएसआर (खुफिया, निगरानी और टोही) अब "केवल संभावनाएं नहीं हैं, बल्कि एक वास्तविकता हैं, जैसा कि हमने ऑपरेशन सिंदूर में देखा था।’’
भाषा अमित