ड्रोन की दृष्टि से हवाई क्षेत्र का प्रभावी प्रबंधन एवं दोहन अनिवार्य : जनरल उपेंद्र द्विवेदी
राजकुमार अविनाश
- 23 Sep 2025, 09:38 PM
- Updated: 09:38 PM
नयी दिल्ली, 23 सितंबर (भाषा) थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने मंगलवार को कहा कि हाल के दिनों के संघर्ष ने जमीनी युद्ध क्षेत्र के ठीक ऊपर हवाई क्षेत्र का दोहन करने के लिए मानव रहित हवाई प्रणालियों (यूएएस) और यूएएस पर जवाब कार्रवाई की प्रभावशीलता को प्रदर्शित किया है तथा ऐसे हवाई क्षेत्र का प्रभावी प्रबंधन और दोहन ‘अनिवार्य’ बन गया है।
उन्होंने यहां मानेकशॉ सेंटर में आयोजित तीनों सेनाओं की संगोष्ठी को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि हाल के भू-राजनीतिक माहौल ने ‘स्पष्ट रूप से स्थापित कर दिया है कि रणनीतिक स्वायत्तता हमेशा ‘आत्मनिर्भरता’ पर केंद्रित रहेगी।’
इस पहली ‘त्रि-सेवा (सेना के तीनों अंग) अकादमी प्रौद्योगिकी संगोष्ठी (टी-एसएटीएस)’ का उद्देश्य भारतीय सशस्त्र बलों के लिए विशिष्ट एवं भविष्योन्मुखी प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए सेना के तीनों अंगों, अकादमिक अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र में तालमेल कायम करना है।
सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह मंच, इसके अलावा... एक संकेत भी है। यह संकेत है कि भारतीय रक्षा बल स्वदेशी बौद्धिक शैक्षणिक अनुसंधान क्षमताओं पर भरोसा करते हैं ताकि घरेलू तकनीक विकसित की जा सके जो हमारे सैनिकों को सशक्त बनाए, हमारी सीमाओं की रक्षा करे और हमारी संप्रभुता को कायम रखे।’’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने आत्मनिर्भर तकनीक के वृहद और सकारात्मक प्रभाव को ‘पूरी तरह से प्रदर्शित’ किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘हालिया भू-राजनीतिक परिवेश ने भी स्पष्ट रूप से स्थापित कर दिया है कि रणनीतिक स्वायत्तता हमेशा 'आत्मनिर्भरता' पर केंद्रित रहेगी।’’
सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘हमने स्वदेशी क्षमताओं का प्रदर्शन किया है, लेकिन हमें विशिष्ट तकनीक में और निवेश करने तथा प्रयोगात्मक उद्यम, पैमाने और कार्यान्वयन से आगे बढ़ने की आवश्यकता है।’’
इस कार्यक्रम में रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अध्यक्ष समीर वी. कामत भी मंचासीन थे।
अपने संबोधन में, जनरल द्विवेदी ने ऐसे हवाई क्षेत्र (भूमि युद्ध क्षेत्र के ठीक ऊपर का हवाई क्षेत्र) के महत्व पर भी ज़ोर दिया, जिसका इस्तेमाल ड्रोन और ड्रोन-रोधी प्रणालियों द्वारा भी किया जाता है।
उन्होंने कहा, ‘‘हाल के दिनों के संघर्ष ने भूमि युद्ध क्षेत्र के ठीक ऊपर के हवाई क्षेत्र का दोहन करने में मानवरहित हवाई प्रणालियों और ड्रोन-रोधी प्रणालियों की प्रभावशीलता को दर्शाया है। इस क्षेत्र को हवाई क्षेत्र कहा जाता है तथा उसका प्रभावी प्रबंधन और दोहन अनिवार्य हो गया है।’’
उन्होंने कहा कि हथियार, रडार प्रणाली, तोपखाने, मिसाइलों, मानवरहित हवाई प्रणालियों, सी-यूएएस (काउंटर-अनमैन्ड एरियल सिस्टम) की निरंतर उपस्थिति के साथ, इस क्षेत्र को ‘‘दोहन’’ के साथ-साथ विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम समेत कुशल प्रबंधन की भी आवश्यकता है।
सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘हमें हवाई क्षेत्र के इस सीमित क्षेत्र में बल प्रयोग और बल संरक्षण के लिए एक नए एवं अभिनव समाधान की आवश्यकता है।’’
उन्होंने बताया कि सेना ने ‘‘इस वर्ष पहला सेना इंटर्नशिप कार्यक्रम’’ शुरू किया है, और 50,000 से अधिक आवेदकों में से 60 युवाओं का चयन किया गया है, जो एक उत्साहजनक प्रतिक्रिया है।
जनरल द्विवेदी ने कहा, ‘‘हम इसे अगले वर्ष और बड़े पैमाने पर आगे बढ़ाएंगे।’’
प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान ने सोमवार को संगोष्ठी का उद्घाटन किया था।
भाषा
राजकुमार