उच्चतम न्यायालय ने हिरासत में मौत से संबंधित मामले में गिरफ्तारी न होने पर सीबीआई को फटकार लगाई
जोहेब वैभव
- 23 Sep 2025, 10:08 PM
- Updated: 10:08 PM
नयी दिल्ली, 23 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मध्य प्रदेश में हिरासत में एक युवक की मौत होने से संबंधित मामले में फरार पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार नहीं करने पर मंगलवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से नाराजगी जताई और अवमानना कार्रवाई की चेतावनी दी।
न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ 24 वर्षीय मृतक की मां की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में आरोप लगाया गया है कि मामले की जांच का जिम्मा मध्य प्रदेश पुलिस से सीबीआई को सौंपने से संबंधित शीर्ष अदालत के 15 मई के आदेश का पालन नहीं हुआ है।
पीठ ने सीबीआई को एक महीने में दोनों आरोपी पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया। साथ ही एजेंसी को आगाह किया कि यदि मृतक के चाचा को कुछ हुआ तो उसे बख्शा नहीं जाएगा। चाचा इस मामले में एकमात्र चश्मदीद गवाह हैं और फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने सीबीआई के वकील से कहा, "हम केवल यही कहेंगे कि आपकी लाचारी (आरोपियों का) बचाव प्रतीत होती है। ऐसे नहीं चल सकता। उच्चतम न्यायालय के स्पष्ट आदेश के बावजूद आप कार्रवाई करने में असमर्थ हैं... आप लाचारी का बहाना बना रहे हैं। वे फरार हैं, उद्घोषणा भी की जा चुकी है, फिर भी आप उनका पता नहीं लगा सके और उन्हें गिरफ्तार नहीं कर पाए। कृपया लाचारी का बहाना न करें।"
पीठ ने कहा कि मृतक देवा पारधी के चाचा गंगाराम पारधी को कुछ नहीं होना चाहिए। अदालत ने कहा कि वह नहीं चाहती की हिरासत में एक और मौत हो।
पीठ ने कहा, “इसे बहुत गंभीरता से लिया जाएगा। जिनकी हिरासत में वह (चाचा) हैं उन जेल अधिकारियों तक यह संदेश पहुंचा दें।”
पीठ ने सीबीआई से दो अधिकारियों संजीव सिंह मावई और उत्तम सिंह कुशवाहा को गिरफ्तार करने में असमर्थता पर सवाल उठाया, जो अप्रैल से फरार हैं।
सीबीआई के वकील ने कहा कि फरार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किए गए हैं और उन्हें भगोड़ा घोषित किया गया है। वकील ने कहा कि उनकी संपत्ति कुर्क करने के लिए आवेदन दायर किए गए हैं।
वकील ने कहा कि सीबीआई द्वारा जांच का जिम्मा संभालने से पहले ही दोनों अधिकारी फरार हो गए थे। उन्होंने कहा कि छापे मारे गए और डिजिटल निगरानी की गई, लेकिन अधिकारी अभी भी फरार हैं।
पीठ ने इस दलील को "बेहद दुर्भाग्यपूर्ण" करार देते हुए वकील से कहा, "आप अच्छी तरह जानते हैं कि वे कहां हैं। आप वास्तव में उन्हें बचा रहे हैं।"
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि सीबीआई ने अन्य मामलों में तो मिनटों में आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन इस मामले में गिरफ्तारी नहीं कर पाई।
पीठ ने राज्य के मुख्य सचिव, सीबीआई निदेशक और जांच के लिए जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ अवमानना के आरोप तय करने की चेतावनी दी।
हालांकि, शीर्ष अदालत ने सीबीआई को अब तक की जांच और फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए उठाए गए कदमों पर विस्तृत स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति महादेवन ने कहा, "आप जेल अधिकारियों को यह भी सूचित करें कि चश्मदीद गवाह को कुछ भी नहीं होना चाहिए, उसे एक खरोंच तक नहीं आनी चाहिए।”
अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 25 सितंबर तय की है।
पीड़ित को उसके चाचा गंगाराम के साथ चोरी के एक मामले में हिरासत में लिया गया था।
मृतक देवा की मां ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उसके बेटे को प्रताड़ित किया और उसकी हत्या कर दी।
इसके विपरीत, पुलिस ने दावा किया कि उसकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई।
भाषा जोहेब