छत्तीसगढ़ में ईओडब्ल्यू ने कथित डीएमएफ घोटाले मामले में 14 जगहों पर छापे मारे
संजीव अमित
- 29 Oct 2025, 10:11 PM
- Updated: 10:11 PM
रायपुर, 29 अक्टूबर (भाषा) छत्तीसगढ़ में आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (ईओडब्ल्यू) ने जिला खनिज न्यास निधि (डीएमएफ) घोटाले मामले में बुधवार को राज्य में कई जगहों पर छापे मारे। यह घोटाला कथित तौर पर राज्य की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान हुआ था।
ईओडब्ल्यू के अधिकारियों ने बताया कि जांच एजेंसी ने आज राज्य के चार जिलों में कंपनी और उनके निदेशकों से जुड़ी 14 जगहों पर छापे मारे गए।
अधिकारियों ने बताया कि इन 14 जगहों में रायपुर में छह, राजनांदगांव में पांच, दुर्ग में दो और धमतरी जिले में एक जगह शामिल है।
उन्होंने बताया कि तलाशी के दौरान डिजिटल साक्ष्य, बैंक स्टेटमेंट, चल-अचल संपत्ति संबंधी दस्तावेज के अलावा अनेक अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज भी बरामद हुए हैं, जिनका परीक्षण किया जा रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि इन दस्तावेजों में डीएमएफ से संभवतः राज्य के विभिन्न जिलों के लोकसेवकों को कमीशन देकर कार्यादेश प्राप्त करना, फर्जी बिलिंग, वाउचर्स, जीएसटी रिटर्न आदि से संबंधी दस्तावेज शामिल हैं। उन्होंने बताया कि प्राप्त महत्वपूर्ण साक्ष्य संकलित और अवलोकन करके अग्रिम विवेचना जारी है।
मई 2025 में ईओडब्ल्यू ने इसी मामले में सात सरकारी कर्मचारियों और दो अन्य सहित नौ लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।
ईओडब्ल्यू के आरोप पत्र में निलंबित आईएएस अधिकारी रानू साहू, जो उस समय कोरबा जिले के कलेक्टर के पद पर तैनात थी, तत्कालीन मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) में उप सचिव सौम्या चौरसिया, तत्कालीन आदिवासी विकास विभाग में सहायक आयुक्त माया वारियर और अन्य लोगों के नाम शामिल थे।
जांच एजेंसी के आरोप पत्र में कहा गया था कि वर्ष 2021-22 और 2022-23 में, आरोपियों ने अपने प्रायोजित मालिक/विक्रेता के माध्यम से, आपराधिक साजिश रचकर कोरबा जिले में डीएमएफ कोष के तहत टेंडर में भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताएं कीं और अपने लिए अनुचित लाभ उठाया।
डीएमएफ एक ट्रस्ट है जिसे खनिकों द्वारा वित्तपोषित किया जाता है और इसे राज्य के सभी जिलों में खनन से संबंधित परियोजनाओं और गतिविधियों से प्रभावित लोगों के लाभ के लिए काम करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि राज्य के ईओडब्ल्यू ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से मिली जानकारी के आधार पर जनवरी 2024 में कथित डीएमएफ घोटाले के सिलसिले में प्राथमिकी दर्ज की थी।
उन्होंने बताया कि ईओडब्ल्यू को दी गई अपनी रिपोर्ट में ईडी ने दावा किया था कि कोरबा जिले में डीएमएफ के तहत टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ियां हुई थीं (राज्य की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान) और टेंडर गलत तरीके से तय करके बोली लगाने वालों को गैर-कानूनी फायदे पहुंचाए गए थे, जिससे राज्य सरकार को नुकसान हुआ था।
प्रवर्तन निदेशालय भी कथित डीएमएफ घोटाले मामले में धन शोधन से संबंधित जांच कर रहा है।
भाषा संजीव