नाबालिग लड़की की हत्या के जुर्म में पिता एवं सौतेली मां को उम्रकैद
राजकुमार नरेश
- 30 Oct 2025, 05:23 PM
- Updated: 05:23 PM
कोच्चि, 30 अक्टूबर (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को एक नाबालिग लड़की के प्रति ‘निरंतर क्रूरतापूर्ण व्यवहार’ कर उसे मौत के घाट पहुंचाने को लेकर बृहस्पतिवार को उसके पिता और सौतेली मां को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
इस क्रूरता के चलते 2013 में लड़की की मृत्यु हो गयी थी।
न्यायमूर्ति राजा विजयराघवन वी और न्यायमूर्ति के वी जयकुमार की पीठ ने एक दिन पहले लड़की के पिता - सुब्रमण्यम नंबूदरी - और सौतेली मां - रामला बेगम उर्फ देवकी अंतरजनम - को भादंसं की धारा 302 के तहत हत्या के अपराध के लिए दोषी ठहराया था।
पीठ ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट और अदिति एस नंबूदरी के भाई की गवाही के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि इस छह वर्षीय बच्ची की मृत्यु "लगभग दस महीने तक शारीरिक और मानसिक यातना, उपेक्षा और शारीरिक श्रम के कारण" हुई थी।
पीठ ने दम्पति को हत्या के आरोपों से बरी करने के सत्र न्यायालय के फैसले के खिलाफ राज्य की अपील को स्वीकार करते हुए कहा, ‘‘आरोपी (पिता और सौतेली मां) द्वारा लगातार दुर्व्यवहार किये जाने और पेट के पिछले हिस्से तथा पार्श्व भाग में चोट पहुंचाये के कारण उसे न्यूरोजेनिक शॉक हुआ जो मृत्यु का कारण है।’’
उच्च न्यायालय ने लड़की की हत्या के लिए दोनों आरोपियों को दोषी ठहराया परंतु उन्हें (दंपति को) उसके (लड़की के) 10 वर्षीय भाई की हत्या के प्रयास के अपराध को लेकर बरी करने के फैसले को बरकरार रखा।
उच्च न्यायालय ने सजा पर बहस सुनने के बाद दंपति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और प्रत्येक पर दो-दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
पीठ ने अभियोजन पक्ष की मांग के अनुसार उन्हें मृत्युदंड सुनाने से इनकार कर दिया और कहा कि वह मृत्युदंड देने के लिए ‘‘कोई विशेष कारण नहीं ढूंढ पा रही है।’
सत्र न्यायालय ने 2016 में उन्हें केवल स्वेच्छा से चोट पहुंचाने का दोषी ठहराया था तथा पुरुष और महिला को क्रमशः तीन और दो साल के कारावास की सजा सुनाई थी।
निचली अदालत का मानना था कि आरोपी दंपति का बच्चों की हत्या करने का कोई इरादा नहीं था और उन्होंने केवल अनुशासन का पाठ पढ़ाने के लिए बच्चों को चोट पहुंचायी थी।
उच्च न्यायालय ने अधीनस्थ न्यायालय के आदेश को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उसका तर्क ‘स्पष्ट रूप से असमर्थनीय, स्पष्टतः त्रुटिपूर्ण तथा आपराधिक कानून के स्थापित सिद्धांतों के गलत प्रयोग पर आधारित है।’
पीठ ने कहा कि क्रूरता के कृत्यों में गंभीर पिटाई, जननांगों पर उबलता पानी डालना, कई फ्रैक्चर और जानबूझकर भूखा रखना शामिल था, और इसके परिणामस्वरूप शारीरिक और मनोवैज्ञानिक आघात मानसिक सदमे में परिणत हुआ, जिसके कारण लड़की की मृत्यु हो गई।
भाषा राजकुमार