आवारा कुत्तों का मामला: न्यायालय ने कहा, उसके आदेश का कोई सम्मान नहीं, मुख्य सचिव प्रत्यक्ष पेश हों
सुरभि मनीषा
- 31 Oct 2025, 01:54 PM
- Updated: 01:54 PM
नयी दिल्ली, 31 अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को आवारा कुत्तों के मामले में तीन नवंबर को अदालत के समक्ष डिजिटल माध्यम से पेश होने की अनुमति देने के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया और कहा कि अदालत के आदेशों का ‘‘कोई सम्मान’’ नहीं है।
शीर्ष अदालत ने पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को तीन नवंबर को उसके समक्ष उपस्थित होकर यह बताने का निर्देश दिया था कि अदालत के 22 अगस्त के आदेश के बावजूद अनुपालन हलफनामा क्यों नहीं दाखिल किया गया।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने 22 अगस्त के पीठ के आदेश का पालन नहीं करने पर नाराजगी व्यक्त की और कहा कि 27 अक्टूबर तक पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को छोड़कर किसी भी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ने अनुपालन हलफनामा दाखिल नहीं किया था। न्यायालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियमों के बारे में पूछा था।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले का उल्लेख करते हुए पीठ से अनुरोध किया था कि मुख्य सचिवों को तीन नवंबर को अदालत के समक्ष डिजिटल माध्यम से पेश होने की अनुमति दी जाए।
मेहता ने कहा, ‘‘यह कुत्तों से खतरे का मामला है। हमारी चूक के कारण अदालत मुख्य सचिवों को बुलाने के लिए बाध्य हुई। बस, एक ही अनुरोध है कि क्या वे प्रत्यक्ष रूप से आने के बजाय डिजिटल माध्यम से उपस्थित हो सकते हैं?’’
न्यायमूर्ति नाथ ने कहा कि मुख्य सचिवों को अदालत में प्रत्यक्ष रूप से पेश होना होगा।
न्यायमूर्ति नाथ ने कहा, ‘‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि यहां अदालत उन समस्याओं से निपटने की कोशिश में समय बर्बाद कर रही है जिन्हें वर्षों पहले नगर निगमों और राज्य सरकारों द्वारा हल किया जाना चाहिए था।’’
उन्होंने कहा कि संसद ने नियम (एबीसी) बनाए हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
न्यायमूर्ति नाथ ने कहा, ‘‘जब हम उनसे अनुपालन हलफनामा दाखिल करने के लिए कहते हैं तो वे बस चुपचाप बैठे रहते हैं। अदालत के आदेश के प्रति कोई सम्मान नहीं। तो ठीक है, उन्हें आने दीजिए।’’
पीठ ने स्पष्ट किया कि मुख्य सचिवों को अदालत में उपस्थित होकर यह बताना होगा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अनुपालन हलफनामे क्यों नहीं दाखिल किए।
मेहता ने कहा कि मामले में अनुपालन हलफनामे दाखिल किए गए थे।
पीठ ने कहा कि जब 27 अक्टूबर को मामले की सुनवाई हुई थी तब केवल पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और एमसीडी ने ही अनुपालन हलफनामे दाखिल किए थे।
पीठ ने कहा, ‘‘उन्हें (मुख्य सचिवों को) आने दीजिए।’’
शीर्ष अदालत ने 27 अक्टूबर को आवारा कुत्तों के मामले की सुनवाई करते हुए सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को तीन नवंबर को अदालत के समक्ष उपस्थित होकर यह बताने का निर्देश दिया था कि अदालत के 22 अगस्त के आदेश के बावजूद अनुपालन हलफनामा क्यों नहीं दाखिल किया गया।
उच्चतम न्यायालय ने आवारा कुत्तों के मामले में अनुपालन हलफनामा दाखिल नहीं करने वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को फटकार लगाई थी और कहा था कि लगातार ऐसी घटनाएं हो रही हैं और विदेशों में देश को नीचा दिखाया जा रहा है।
उच्चतम न्यायालय ने 22 अगस्त को आवारा कुत्तों के मामले का दायरा दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सीमाओं से आगे बढ़ाते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस मामले में पक्षकार बनाने का निर्देश दिया था।
न्यायालय ने नगर निगम अधिकारियों को पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियमों के अनुपालन के उद्देश्य से कुत्तों के लिए आज की तारीख तक उपलब्ध श्वान बाड़ों, पशु चिकित्सकों, कुत्तों को पकड़ने वाले कर्मियों और विशेष रूप से संशोधित वाहनों एवं पिंजरों जैसे संसाधनों के पूर्ण आंकड़ों के साथ अनुपालन पर एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था।
पीठ ने इस मामले में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी पक्षकार बनाया था और कहा था कि एबीसी नियमों का प्रयोग पूरे भारत में एक समान है।
उच्चतम न्यायालय एक स्वतः संज्ञान मामले की सुनवाई कर रहा है जो 28 जुलाई को राष्ट्रीय राजधानी में आवारा कुत्तों के काटने से विशेष रूप से बच्चों में रेबीज होने की एक मीडिया रिपोर्ट आने के बाद शुरू किया गया था।
शीर्ष अदालत ने 30 अक्टूबर को बिहार सरकार के उस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था जिसमें राज्य में विधानसभा चुनाव के कारण वहां के मुख्य सचिव को तीन नवंबर को अदालत में पेश होने से छूट देने का अनुरोध किया गया था।
पीठ ने बिहार की ओर से पेश हुए वकील से कहा था, ‘‘निर्वाचन आयोग है जो इसका ध्यान रखेगा। चिंता न करें। मुख्य सचिव को आने दें।’’
बिहार में विधानसभा चुनाव छह और 11 नवंबर को होने हैं और मतों की गिनती 14 नवंबर को होगी।
भाषा सुरभि