भूपेश बघेल के बेटे की गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने केंद्र, ईडी से मांगा जवाब
खारी माधव
- 31 Oct 2025, 04:28 PM
- Updated: 04:28 PM
नयी दिल्ली, 30 अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे की उस याचिका पर केंद्र और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से शुक्रवार को जवाब मांगा, जिसमें धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के कुछ प्रावधानों और राज्य में कथित शराब घोटाले में जांच एजेंसी द्वारा की गई उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी गई है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने केंद्र और ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू को 10 दिन के भीतर याचिका पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति बागची ने राजू से पूछा, “गिरफ्तारी के आधार से ज्यादा यह कानून की व्याख्या का मामला है... आप आरोपी को कितने समय तक हिरासत में रख सकते हैं?”
ईडी ने 18 जुलाई को चैतन्य बघेल को गिरफ्तार किया था। बघेल की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि एजेंसी ने उनके मुवक्किल को यह कहते हुए गिरफ्तार किया कि वह जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं।
सिब्बल ने दलील दी, “उन्होंने मुझे (मुवक्किल को) सहयोग न करने के आधार पर गिरफ्तार किया है, लेकिन उन्होंने मुझे कभी नोटिस नहीं भेजा, न ही समन किया। यह गिरफ्तारी को दी गयी चुनौती है। उन्होंने मुझे कभी बुलाया नहीं और सीधे पीएमएलए की धारा 19 के तहत गिरफ्तार कर लिया, जो वे नहीं कर सकते।”
बघेल की ओर से पेश अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता एन. हरिहरन ने कहा कि जांच अभी खत्म होती नहीं दिख रही है और उन्होंने उच्च न्यायालय में गिरफ्तारी के आधार को रद्द करने का अनुरोध किया है।
न्यायमूर्ति कांत ने केस फाइल का अवलोकन करने के बाद सिब्बल से कहा कि जांच में असहयोग, बघेल की गिरफ्तारी का एकमात्र आधार नहीं है।
सिब्बल ने कहा कि बाकी सभी केवल आरोप हैं। एजेंसी ने अब तक कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं की है और न ही अदालत से अनुमति मांगी है।
उन्होंने कहा, “वे मुकदमे में देरी कर रहे हैं और मुझे हिरासत में रखे हुए हैं, जबकि उच्च न्यायालय का हर फैसला मेरे पक्ष में है।”
राजू ने दलील दी कि इस अदालत ने संघीय एजेंसी को जांच पूरी करने के लिए तीन महीने का समय दिया है और ईडी उसी दिशा में काम कर रही है।
शीर्ष अदालत ने चार अगस्त को अमीर लोगों द्वारा सीधे उच्चतम न्यायालय में आकर आपराधिक मामलों में राहत मांगने के चलन की निंदा की थी। अदालत ने भूपेश बघेल और उनके बेटे से कहा था कि वे केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा जांच किए जा रहे मामलों में राहत के लिए उच्च न्यायालय जाएं।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो और ईडी सहित जांच एजेंसियां महादेव सट्टा ऐप, चावल मिलों और कथित कोयला, शराब तथा डीएमएफ घोटालों से जुड़े कई मामलों की जांच कर रही हैं, जो कथित रूप से भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री रहने के दौरान हुए थे।
भाषा खारी