मार्गदर्शन की कमी छात्रों के लिए अपना उद्यम शुरू करने में सबसे बड़ी चुनौती: रिपोर्ट
पारुल नरेश
- 31 Oct 2025, 04:34 PM
- Updated: 04:34 PM
नयी दिल्ली, 31 अक्टूबर (भाषा) भारतीय विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले 35 फीसदी से अधिक छात्र मार्गदर्शन की कमी को अपना उद्यम शुरू करने की दिशा में सबसे बड़ी चुनौती मानते हैं। बीएमएल मुंजाल विश्वविद्यालय की ओर से ‘लीडरशिप समिट’ में जारी एक नयी रिपोर्ट तो कुछ यही बयां करती है।
‘युवा उद्यमिता और स्टार्ट-अप शासन : स्थिरता और सफलता के लिए अगली पीढ़ी के उद्यमियों का मार्गदर्शन’ शीर्षक वाली इस रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि 22 फीसदी से अधिक छात्रों के लिए वित्तीय बाधाएं और कानूनी मामलों में मार्गदर्शन की कमी अपना उद्यम शुरू करने के मामले में चिंता का सबसे बड़ा कारण हैं।
यह रिपोर्ट विभिन्न भारतीय विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले 1,000 छात्रों और कंपनियों के संस्थापकों, निवेशकों एवं पारिस्थितिकी तंत्र विशेषज्ञ सहित 200 उद्योग पेशेवरों पर की गई रायशुमारी पर आधारित है। इससे पता चलता है कि युवा पीढ़ी न केवल महत्वाकांक्षी है, बल्कि पारदर्शिता और विश्वास पर आधारित जिम्मेदार उद्यम बनाने के लिए भी उत्सुक है।
सर्वेक्षण में शामिल लगभग तीन-चौथाई छात्रों ने खुद का उद्यम शुरू करने की स्पष्ट मंशा जाहिर की, जो उद्यमिता के तेजी से पसंदीदा करियर विकल्प के रूप में उभरने की तरफ इशारा करता है।
इसमें कहा गया है, “35 प्रतिशत छात्रों ने मार्गदर्शन की कमी को (खुद का उद्यम शुरू करने की दिशा में) सबसे बड़ी चुनौती बताया। कानूनी एवं वित्तीय मामलों में मार्गदर्शन की कमी (24 फीसदी) और वित्तीय बाधाएं (22 प्रतिशत) भी गंभीर चिंता का विषय हैं। असफलता का डर महज 13 प्रतिशत को खुद का उद्यम स्थापित करने से रोकता है। वहीं, पढ़ाई और उद्यम स्थापित करने के प्रयासों के बीच संतुलन बैठाना केवल सात फीसदी छात्रों को चुनौतीपूर्ण लगता है।”
रिपोर्ट से पता चलता है कि आम तौर पर अनुपालन बोझ के रूप में देखी जाने वाली शासन प्रणाली स्थिरता और पैमाने के लिए उत्प्रेरक के रूप में उभर रही है। सर्वेक्षण में शामिल आधे से ज्यादा उद्योग पेशेवरों ने बेहतर शासन प्रणाली को विकास को बढ़ावा देने वाला एक कारक माना, जबकि 33 फीसदी ने इसे युवा-नेतृत्व वाले स्टार्ट-अप में सबसे कमजोर पहलू के रूप में रेखांकित किया।
सर्वेक्षण से सामने आया कि नियमित बोर्ड समीक्षा, पारदर्शी रिपोर्टिंग प्रणाली और नैतिक ढांचे वाले उद्यम निवेशकों का भरोसा जीतने में अधिक सफल साबित होते हैं। इसमें पारदर्शिता, सामाजिक प्रभाव और संस्थापकों की विश्वसनीयता को निवेशकों को आकर्षित करने वाले अन्य प्रमुख पैमानों के रूप में पाया गया।
रिपोर्ट में जिम्मेदार उद्यमियों की अगली पीढ़ी को आकार देने में विश्वविद्यालयों की अहम भूमिका पर भी प्रकाश डाला गया। इसमें शामिल लगभग 50 फीसदी छात्रों ने उद्यम कौशल विकसित करने में अपने विश्वविद्यालयों के योगदान को महत्वपूर्ण माना, जबकि 89 प्रतिशत ने पाठ्यक्रम में नैतिकता और वित्तीय जवाबदेही संबंधी पाठ्यचर्या को शामिल किए जाने का समर्थन किया।
सर्वेक्षण के दौरान महज 9.6 फीसदी छात्रों ने मौजूदा ‘इनक्यूबेशन कार्यक्रमों’ को अत्यधिक प्रभावी पाया, जिससे यह संकेत मिलता है कि मार्गदर्शन और कौशल विकास की कमी को पाटने के लिए शिक्षा और उद्योग के बीच ज्यादा गहरी सहभागिता की जरूरत है।
‘लीडरशिप समिट’ की अध्यक्षता कर रहे जॉली मसीह ने कहा, “इस साल की ‘लीडरशिप रिपोर्ट’ सफलता के प्रति युवा उद्यमियों के दृष्टिकोण में एक निर्णायक बदलाव को उजागर करती है, जिसमें वे किसी भी कीमत पर बड़ा पैमाना हासिल करने से लेकर जिम्मेदारी से निर्माण करने पर जोर दे रहे हैं। ‘यूनिकॉर्न’ की अगली लहर केवल नवाचार से ही नहीं, बल्कि ईमानदारी, शासन और वित्तीय अनुशासन से भी प्रेरित होगी।”
उन्होंने कहा, “शिक्षक-प्रशिक्षक के रूप में यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस मानसिकता को शुरू से ही विकसित करें, ताकि महत्वाकांक्षा और जवाबदेही साथ-साथ बढ़ें।”
भाषा पारुल