जम्मू में 'दरबार स्थानांतरण' की तैयारियां तेज, उमर सरकार सोमवार से शीतकालीन राजधानी से काम करेगी
सुभाष दिलीप
- 02 Nov 2025, 10:07 PM
- Updated: 10:07 PM
जम्मू, दो नवंबर (भाषा) जम्मू कश्मीर की नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) सरकार सोमवार से अगले छह महीने तक जम्मू से अपना कामकाज करेगी। इसके साथ ही, चार साल के अंतराल के बाद, 'दरबार स्थानांतरण' की पुरानी परंपरा बहाल हो जाएगी।
श्रीनगर में 30 और 31 अक्टूबर को बंद हुए सिविल सचिवालय और अन्य कार्यालय, अर्धवार्षिक 'दरबार स्थानांतरण' के तहत 3 नवंबर से शीतकालीन राजधानी से काम करना शुरू कर देंगे। इस परंपरा को उपराज्यपाल ने 2021 में बंद कर दिया था।
अधिकारियों ने बताया कि कार्यालयों को सुचारू रूप से खोलने के लिए व्यापक प्रबंध किए गए हैं, जिनमें श्रीनगर से जम्मू स्थानांतरित हुए कर्मचारियों के लिए सुरक्षा, आवास और परिवहन सुविधाएं शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और अधिकतर कर्मचारी सोमवार को अपने कार्यालय आने के लिए श्रीनगर से जम्मू तक सड़क मार्ग से आए।
लगभग 150 साल पहले डोगरा शासकों द्वारा 'दरबार स्थानांतरण' की शुरूआत की गई थी। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जून 2021 में इसे स्थगित कर दिया था, जिसमें प्रशासन के ई-ऑफिस में पूर्ण परिवर्तन का हवाला दिया गया था, जिससे प्रति वर्ष 200 करोड़ रुपये की बचत हो सकती थी।
हालांकि, इस निर्णय की विभिन्न वर्गों द्वारा तीखी आलोचना की गई, जिसमें जम्मू का व्यापारिक समुदाय भी शामिल था, जिसने इस कदम को दोनों क्षेत्रों के बीच एक कड़ी बताया।
सोलह अक्टूबर को, अब्दुल्ला ने 'दरबार स्थानांतरण' को बहाल करके अपना चुनावी वादा पूरा किया। इस निर्णय का जम्मू के व्यापारियों ने गर्मजोशी से स्वागत किया था।
अधिकारियों ने बताया कि दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों या किसी अन्य समूह द्वारा अपनी सेवाओं को नियमित करने की मांग को लेकर किए जाने वाले किसी भी विरोध प्रदर्शन से निपटने के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में बड़ी संख्या में पुलिस और अर्धसैनिक बलों को तैनात किया जाएगा।
भाजपा प्रवक्ता ताहिर चौधरी ने अब्दुल्ला के नेतृत्व वाले प्रशासन की तीखी आलोचना करते हुए उस पर आम लोगों की दुर्दशा को नज़रअंदाज़ करते हुए ‘‘सिर्फ़ वीआईपी’’ सड़कों की मरम्मत करने का आरोप लगाया है।
भाजपा नेता ने एक बयान में कहा, ‘‘जम्मू शहर के प्रमुख मार्गों पर मरम्मत का काम तेज़ हो गया है - ख़ासकर उन मार्गों पर जिनसे मंत्री, वरिष्ठ नौकरशाह और आधिकारिक काफ़िले गुजरते हैं।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि यह ‘‘चुनिंदा रवैया’’ सरकार की गलत प्राथमिकताओं और जनकल्याण के प्रति उपेक्षा को उजागर करता है।
उन्होंने दावा किया, ‘‘जब दरबार स्थानांतरण होता है, चाहे वह श्रीनगर हो या जम्मू, केवल वीआईपी मार्गों की मरम्मत और सजावट की जाती है। सरकारी कार्यालयों या मंत्रियों के आवासों तक जाने वाली सड़कों को संवारा जाता है, जबकि आम आदमी टूटी-फूटी, जलभराव वाली और जोखिम भरी सड़कों पर गाड़ी चलाता है।’’
भाषा सुभाष