न्याय के प्रशासन में बार और पीठ की समान जिम्मेदारी: न्यायमूर्ति सूर्यकांत
सं राजेंद्र खारी
- 02 Nov 2025, 10:30 PM
- Updated: 10:30 PM
लखनऊ, दो नवंबर (भाषा) भारत के आगामी प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत ने कानूनी बिरादरी के सदस्यों से न्याय की मांग कर रहे लोगों के प्रति सहानुभूति रखने का आह्वान किया और इस बात पर जोर दिया कि न्याय के प्रशासन में बार और पीठ दोनों की समान जिम्मेदारी है।
गोमती नगर स्थित उच्च न्यायालय के प्रेक्षागृह में आयोजित अवध बार एसोसिएशन के 125वें स्थापना दिवस समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि कमजोर व गरीब लोगों के लिए न्याय पाने का पहला कदम बार है।
उन्होंने कहा, “जो कोई भी न्याय की आस में अदालत आता है, वह सबसे पहले वकील के पास पहुंचता है। इसलिए बार को गरीबों का दर्द समझना चाहिए। न्याय के प्रशासन में बार और पीठ की समान जिम्मेदारी है।”
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने बदलते समय और नयी प्रौद्योगिकी चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा, “एआई (कृत्रिम मेधा) का युग आ चुका है, देश आर्थिक रूप से प्रगति कर रहा है। ऐसी स्थिति में वाणिज्यिक मामलों की संख्या बढ़ेगी, जिसके लिए हमें तैयार रहना होगा।’’ उन्होंने भारत की न्याय व्यवस्था को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ न्याय व्यवस्थाओं में से एक बताया।
अपने अधिवक्ता जीवन के दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के वरिष्ठ सदस्यों से अमूल्य मार्गदर्शन मिला था। उन्होंने बार और पीठ के संबंध को अटूट रिश्ता बताया।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरुण भंसाली ने कहा, “सफेद कमीज, काला कोट और गाउन महज एक यूनिफॉर्म नहीं, बल्कि एक विश्वास है।” उन्होंने वकीलों से आग्रह किया कि वे कानूनी कार्यवाही को सरल भाषा में समझाएं ताकि मुवक्किल उसे आसानी से समझ सके।
दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने कहा कि अवध बार की विरासत गौरवशाली रही है, इसने राज्य को दो मुख्यमंत्री श्रीपत मिश्रा और सी.पी. गुप्ता दिए। उन्होंने यह भी बताया कि अवध बार का एक सदस्य पाकिस्तान का पहला अटॉर्नी जनरल बना और उसका पुत्र बाद में पाकिस्तान उच्चतम न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बना।
लखनऊ पीठ के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजन राय ने कहा कि बार के सदस्यों को गरीब तबके की आवाज सुननी चाहिए और कानून के पेशे में न्याय दिलाना ही उनकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।
न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी ने कहा, “एक मजबूत बार, एक मजबूत न्यायपालिका की पहचान है।”
कार्यक्रम को अवध बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एस. चंद्र और महासचिव एल.के. तिवारी ने भी संबोधित किया।
भाषा सं राजेंद्र