मंत्री जारकीहोली के दिल्ली दौरे को लेकर कांग्रेस के अंदर अटकलें
वैभव दिलीप
- 02 Nov 2025, 10:31 PM
- Updated: 10:31 PM
बेंगलुरु, दो नवंबर (भाषा) कर्नाटक के वरिष्ठ मंत्री सतीश जारकीहोली की प्रस्तावित नयी दिल्ली यात्रा ने कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस के हलकों में अटकलों को हवा दे दी है।
खबरों के अनुसार, लोक निर्माण मंत्री जारकीहोली सोमवार को कुछ पार्टी नेताओं के साथ राष्ट्रीय राजधानी जाएंगे और अपनी इस यात्रा के दौरान उनके कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से मिलने की संभावना है।
यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है, जब राज्य में कांग्रेस सरकार के नवंबर में अपने पांच साल के कार्यकाल के आधे पड़ाव पर पहुंचने पर यानी ढाई साल होने पर मुख्यमंत्री बदलने की अटकलें लगाई जा रही हैं, जिसे कुछ लोग ‘नवंबर क्रांति’ कह रहे हैं।
कांग्रेस में अनुसूचित जनजाति के वरिष्ठ नेता और मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के करीबी माने जाने वाले जारकीहोली के इस कदम को पार्टी और राजनीतिक हलकों में राजनीतिक महत्व के साथ देखा जा रहा है।
इस यात्रा ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को बदलने की मांग को लेकर भी अटकलों को हवा दे दी है, जो वर्तमान में उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार के पास है। जारकीहोली ने पहले भी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए अपनी आकांक्षाओं के बारे में खुलकर बात की थी।
जब पत्रकारों ने मुख्यमंत्री सिद्धरमैया से जारकीहोली के दिल्ली दौरे के बारे में सवाल किया, तो उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता। जारकीहोली ने मुझसे बात नहीं की है। उन्होंने मुझे दिल्ली दौरे के बारे में नहीं बताया।’’
शिवकुमार ने कहा कि नेता अपने काम से दिल्ली जाते रहते हैं और हर दौरे को राजनीति से जोड़ना ठीक नहीं है।
उन्होंने कहा कि वह भी बिहार चुनाव प्रचार के लिए और उच्चतम न्यायालय में कावेरी नदी जल से संबंधित मामले पर कानूनी टीम से चर्चा के लिए दिल्ली जाएंगे। उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें (जारकीहोली) आने-जाने दीजिए। विधायक और मंत्री अपने काम से दिल्ली आते हैं। कुछ को बिहार चुनाव में प्रभारी बनाया गया है। कुछ संगठनात्मक कार्यों के लिए जाते हैं। हम किसी को रोक नहीं सकते। कांग्रेस मुख्यालय हमारे लिए एक मंदिर जैसा है।’’
जाकीहोली के प्रस्तावित दिल्ली दौरे पर प्रतिक्रिया देते हुए, मंत्री जमीर अहमद खान ने कोप्पल में पत्रकारों से कहा, न तो मुख्यमंत्री पद और न ही केपीसीसी अध्यक्ष पद खाली है और दोनों पद क्रमशः सिद्धरमैया और शिवकुमार के पास हैं।
सिद्धरमैया के बेटे यतींद्र सिद्धरमैया द्वारा हाल में जारकीहोली को अपने पिता के वैचारिक उत्तराधिकारी के रूप में पेश किए जाने को मुख्यमंत्री खेमे में इस तर्क को और मजबूत करने के रूप में देखा गया कि सत्ता ‘अहिंदा’ समूह के पास ही होनी चाहिए, और इसने पार्टी हलकों में कुछ हलचल पैदा कर दी थी।
अहिंदा (अल्पसंख्यकों, पिछड़े वर्गों और दलितों के लिए कन्नड़ का संक्षिप्त नाम) एक ऐसा समूह है, जो सिद्धरमैया का चुनावी केंद्रबिंदु रहा है।
भाषा वैभव