भाजपा ने बंगाल में मतदाता पंजीकरण के लिए इस्तेमाल होने वाले कागजात जारी करने में 'अनियमितताओं’ का आरोप लगाया
अमित अविनाश
- 03 Nov 2025, 09:25 PM
- Updated: 09:25 PM
नयी दिल्ली, तीन नवंबर (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को निर्वाचन आयोग से संपर्क करके पश्चिम बंगाल में मतदाता पंजीकरण के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले विभिन्न दस्तावेज जारी करने और उनके प्रमाणीकरण में ‘‘गंभीर अनियमितताओं’’ का आरोप लगाया और मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान उनकी व्यापक जांच की मांग की।
भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य, चुनाव प्रभारी एवं त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब देब और केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर वाले भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने निर्वाचन आयोग से पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेताओं द्वारा "हिंसा और धमकी" दिए जाने की खबरों पर भी गौर करने का आग्रह किया।
निर्वाचन आयोग को सौंपे ज्ञापन में भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने जन्म प्रमाण पत्र, स्थायी निवास प्रमाण पत्र, वन अधिकार प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, भूमि और मकान आवंटन प्रमाण पत्र जारी करने और प्रमाणीकरण तथा परिवार रजिस्टर तैयार करने में "गंभीर अनियमितताओं" की ओर इशारा किया, जिनका उपयोग राज्य में मतदाता पंजीकरण के लिए किया जा रहा है।
भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने मांग की, "दस्तावेज संबंधी तंत्र में व्यापक हेरफेर आदि को देखते हुए, यह महत्वपूर्ण है कि पश्चिम बंगाल में आगामी एसआईआर गहन जांच और स्वतंत्र सत्यापन के तहत कराया जाए।"
इसमें कहा गया है कि ऐसे सुरक्षा उपायों के बिना दस्तावेजों को स्वीकार करने से "स्वच्छ और वैध" मतदाता सूची बनाए रखने का उद्देश्य विफल हो जाएगा।
मुलाकात के बाद, पश्चिम बंगाल के लिए भाजपा के प्रभारी अमित मालवीय ने संवाददाताओं से कहा, "पार्टी प्रतिनिधिमंडल ने निर्वाचन आयोग से मुलाकात करके पश्चिम बंगाल में एसआईआर के लिए दस्तावेजों की समीक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया।"
प्रतिनिधिमंडल में शामिल मालवीय ने कहा, "हमने आयोग के सामने बिंदुवार विवरण प्रस्तुत किया कि कैसे पश्चिम बंगाल में अवैध घुसपैठ को नियमित करने के लिए अनियमित दस्तावेज जारी किए जा रहे हैं।"
उन्होंने कहा, ‘‘हमने देखा है कि कैसे पश्चिम बंगाल में जारी किए गए दस्तावेज देशभर के घुसपैठियों के पास पाए गए हैं।"
भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी प्रशासन ने समय-समय पर ऐसे कई दस्तावेज जारी किए हैं जिन पर ऐसे अधिकारियों के हस्ताक्षर हैं जो "उन दस्तावेजों को जारी करने या उन पर हस्ताक्षर करने" के लिए अधिकृत नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि इससे ऐसी स्थिति पैदा हो गई है कि हर दस्तावेज की निर्वाचन आयोग द्वारा जांच की जानी जरूरी है। मालवीय ने कहा, "निर्वाचन आयोग ने हमारे अनुरोध पर ध्यान दिया है और आश्वासन दिया है कि वे दस्तावेजों की शुचिता कायम रखी जाएगी।’’
निर्वाचन आयोग ने घोषणा की है कि वह नवंबर से फरवरी के बीच 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण का दूसरा चरण आयोजित करेगा।
ये राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हैं: अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, मध्यप्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल।
भाषा अमित