मप्र सरकार ने केंद्र से एफसीआई के माध्यम से धान और गेहूं खरीदने का अनुरोध किया: कांग्रेस
ब्रजेन्द्र नोमान
- 03 Nov 2025, 09:27 PM
- Updated: 09:27 PM
भोपाल, तीन नवंबर (भाषा) कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में मोहन यादव के नेतृत्व वाली सरकार पर किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं और धान की खरीद करने की प्रक्रिया से हाथ पीछे खींचने का सोमवार को आरोप लगाया।
पार्टी ने यह दावा भी किया कि राज्य सरकार ने भारी-भरकम कर्ज का हवाला देते हुए केंद्र सरकार से भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के माध्यम से सीधे धान और गेहूं खरीदने का अनुरोध किया है।
पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और राज्य विधानसभा में नेता विपक्ष उमंग सिंघार ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर पोस्ट कर सरकार से एमएसपी पर ख़रीद की प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किए जाने की मांग की।
कमलनाथ ने कहा, "एफसीआई की ख़रीद प्रक्रिया के अत्यंत जटिल होने के कारण बड़ी संख्या में किसानों की उपज खारिज हो सकती है और उन्हें अपनी मेहनत की कमाई औने-पौने दामों पर निजी व्यापारियों को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।"
वरिष्ठ नेता ने दावा किया कि नागरिक आपूर्ति निगम पर चढ़े 77,000 करोड़ रुपये के कर्ज का हवाला देते हुए प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से एफबीआई के माध्यम से सीधे धान और गेहूं खरीदने का अनुरोध किया है।
उन्होंने कहा, "इसके लिए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी को पत्र लिखा है।"
कमलनाथ ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उसने 2023 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश के किसानों को गेहूं और धान का बढ़ा हुआ एमएसपी देने का वादा किया था लेकिन अब उसकी सरकार एमएसपी पर गेहूं और धान की ख़रीद करने की प्रक्रिया से हाथ पीछे खींच रही है।
कांग्रेस के इन आरोपों के बारे में प्रतिक्रिया के लिए राज्य के कृषि मंत्री एदल सिंह कंसाना से संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
कमलनाथ ने भाजपा को किसान विरोधी करार देते हुए कहा, "मैं सरकार से मांग करता हूं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ख़रीद की प्रक्रिया में कोई बदलाव न किया जाए, इससे प्रदेश के करोड़ों किसान संकट में पड़ जाएंगे।
पटवारी ने यादव की ओर से केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री जोशी को लिखे गए पत्र को 'एक्स' पर साझा हुए कहा कि एफसीआई द्वारा खरीद किए जाने पर किसानों को सिर्फ नुकसान ही होगा और गुणवत्ता मानक के नाम पर फिर लाखों क्विंटल गेहूं खारिज होगा।
उन्होंने कहा, "फिर से किसान को अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई औने-पौने दामों पर बाजार की शर्तों और निजी व्यापारियों को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। फिर से किसानों को घाटा होगा।"
पटवारी ने कहा, "मैं मुख्यमंत्री के इस निर्णय का विरोध करता हूं! भाजपा सरकार को कहना चाहता हूं, किसानों के आर्थिक शोषण की इस नीति को तत्काल वापस लें!"
नेता प्रतिपक्ष सिंघार ने कहा कि जब भी धान और गेहूं की खरीद का समय आता है, तब राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारी केंद्र के पाले में डाल देती है जबकि इन्हीं किसानों ने मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाई थी।
उन्होंने कहा, "आपने चुनावों में वादा किया था कि हम 2700 रुपये में गेहूं और 3100 रुपये में धान खरीदेंगे। दो साल होने को आए, किसान अब भी परेशान हैं।"
उन्होंने मुख्यमंत्री यादव से तत्काल धान और गेहूं की खरीद शुरू करने और किसानों के दुख-दर्द को समझने का अनुरोध किया।
भाषा ब्रजेन्द्र