छत्तीसगढ़: बलौदाबाजार-भाटापारा जिले में कुएं में गिरे हाथियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया
मनीषा धीरज
- 04 Nov 2025, 02:57 PM
- Updated: 02:57 PM
बलौदाबाजार (छत्तीसगढ़), चार नवंबर (भाषा) छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के बारनवापारा वन्यजीव अभयारण्य में एक कुएं में गिरे तीन हाथियों को मंगलवार को वन विभाग ने सुरक्षित बचा लिया।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) अरुण कुमार पांडे ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि क्षेत्र के अंतर्गत बलौदाबाजार वन प्रभाग के हरदी गांव में एक ग्रामीण के खेत में गिरे एक वयस्क मादा, उसका बच्चा और एक नर हाथी को वन विभाग ने सुरक्षित बाहर निकाल लिया है।
पांडे ने बताया कि कुएं के चारों ओर कोई दीवार या घेरा नहीं था, जिससे सभी हाथी उसमें गिर गए।
अधिकारी ने बताया कि कुछ स्थानीय लोगों ने सुबह जब हाथियों को कुएं के अंदर देखा तब तत्काल उन्होंने इसकी सूचना वन विभाग को दी।
उन्होंने बताया कि वरिष्ठ वन अधिकारी बचाव दल के साथ मौके पर पहुंचे और हाथियों को बचाने के लिए अभियान शुरू किया।
अधिकारी ने बताया कि मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) स्तोविषा समझदार भी मौके पर पहुंच गई थीं तथा उन्होंने पूरे बचाव अभियान की निगरानी की।
अधिकारी ने बताया कि हाथियों को बाहर निकालने के लिए मिट्टी की खुदाई करने वाली मशीनों का इस्तेमाल किया गया और कुएं के बगल में खुदाई करके एक रैंप बनाया गया।
पांडे ने बताया कि विभाग भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कैम्पा (प्रतिपूरक वनीकरण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण)कोष का उपयोग करके सभी वन प्रभागों में खुले कुओं को लोहे की ग्रिल से ढकने का काम करेगा।
इससे पहले वन विभाग के अधिकारियों ने बताया था कि कुएं में चार हाथी गिरे हैं।
बलौदाबाजार के वन मंडल अधिकारी (डीएफओ) धम्मशील गणवीर, जिन्होंने बचाव अभियान का मार्गदर्शन किया, ने बताया कि सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करते हुए हाथियों को कुएं से सुरक्षित बाहर निकालने में मदद करने के लिए सावधानीपूर्वक एक रैंप बनाया गया। लगभग ढाई घंटे लंबे बचाव अभियान के बाद तीनों हाथियों को बिना किसी चोट के बचा लिया गया और बाद में उन्हें पास के जंगल क्षेत्र में छोड़ दिया गया, जहां वे अपने झुंड में शामिल हो गए।
उन्होंने बताया, ‘‘वन विभाग का दायित्व केवल वन्यजीवों की रक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रत्येक जीवन को सुरक्षित बचाना हमारी प्राथमिकता है। हरदी ग्राम का यह बचाव अभियान विभाग की त्वरित प्रतिक्रिया, सामूहिक समर्पण और फील्ड टीम की दक्षता का उत्कृष्ट उदाहरण है।’’
हालांकि, रायपुर के वन्य जीव कार्यकर्ता नितिन सिंहवी ने इस घटना के लिए वन विभाग को दोषी ठहराया है और इसे ‘‘घोर लापरवाही’’ बताया है।
सिंघवी ने कहा कि वह 2018 से अधिकारियों से जंगल के अंदर और आसपास मौजूद खुले और छोड़े हुए कुओं को ढकने या सुरक्षित करने का आग्रह कर रहे हैं जिससे ऐसे हादसों को रोका जा सके।
उन्होंने बताया कि उनकी चिंता को ध्यान में रखते हुए, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 2021 में छत्तीसगढ़ सरकार को पत्र लिखा था, जिसमें असुरक्षित कुएं बंद करने के निर्देश दिए गए थे। बाद में, 2022 में केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक एडवाइजरी जारी की, जिसमें उन्हें यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया कि खुले कुओं को ठीक से ढका या बाड़ लगाया जाए।
सिंघवी ने कहा कि बार-बार की चेतावनियों के बावजूद, राज्य के वन विभाग ने इलाके में मौजूद कुएं सुरक्षित करने के लिए बजट सहायता प्राप्त के वास्ते कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।
उन्होंने अनुमान लगाया कि पूरे राज्य में जंगल के अंदर और आसपास 25 हजार से ज़्यादा खुले और सूखे कुएं हैं।
उन्होंने दावा किया, ‘‘2024 में कैम्पा फंड का इस्तेमाल करके, केवल 450 कुएं सुरक्षित किये गये, और वह भी केवल कांकेर जिले में। लगातार प्रयासों की कमी ने वन्यजीवों को गंभीर जोखिम में डाल दिया है।’’
भाषा सं संजीव
मनीषा