सीजीएचएस भूमि आवंटन घोटाले में अदालत ने 13 आरोपियों को सजा सुनाई
प्रशांत संतोष
- 04 Nov 2025, 10:16 PM
- Updated: 10:16 PM
नयी दिल्ली, चार नवंबर (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने सफदरजंग सहकारी आवासीय सोसाइटी (सीजीएचएस) घोटाले से जुड़े सीबीआई के एक मामले में एक पूर्व आईएएस अधिकारी समेत 13 लोगों को छह महीने से लेकर पांच साल तक जेल की सजा सुनाई है।
विशेष न्यायाधीश प्रशांत शर्मा ने कहा कि भ्रष्टाचार के मामलों से सख्ती से निपटने की जरूरत है, क्योंकि यह कैंसर की तरह है।
अदालत आरोपियों के खिलाफ सजा पर जिरह सुन रही थी, जिन्हें भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक षड्यंत्र सहित विभिन्न अपराधों के लिए एजेंसी द्वारा जांचे गए मामले में दोषी ठहराया गया था।
यह मामला दिल्ली में 4,000 करोड़ रुपये के सहकारी आवासीय सोसाइटी(सीजीएचएस) घोटाले से संबंधित है, जिसमें दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) से सब्सिडी वाली अवैध रूप से भूमि प्राप्त करने के लिए निष्क्रिय सोसाइटी को धोखाधड़ी से पुन: कार्यशील किया गया था।
दिल्ली उच्च न्यायालय के 2006 के आदेश के आधार पर, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने सोसाइटी की वर्तमान जांच की। अभियोजन पक्ष के अनुसार, पूर्व आईएएस अधिकारी नरेंद्र कुमार, सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार (आरसीएस) गोपाल दीक्षित, आरसीएस के तत्कालीन सहायक रजिस्ट्रार बी.एम. सेठी, जिनकी सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई, आरसीएस अधिकारी करमवीर सिंह, सोसाइटी के पूर्व अध्यक्ष महा नंद शर्मा और अन्य सोसाइटी सदस्यों ने आपराधिक षड्यंत्र रचा और 1999 में सोसाइटी के पुनरुद्धार के लिए लोक सेवकों द्वारा प्रतिरूपण, धोखाधड़ी, जालसाजी और आधिकारिक पद के दुरुपयोग के अपराध करके दिल्ली सरकार को धोखा दिया।
अदालत ने 13 अक्टूबर को आरोपियों को दोषी ठहराया था।
अदालत ने 31 अक्टूबर के अपने आदेश में कहा, “भ्रष्टाचार एक कैंसर की तरह है। समाज को इससे मुक्त करने के लिए कीमोथेरेपी जैसे उपचार की आवश्यकता है। अगर इस पर सख्ती से लगाम नहीं लगाई गई, तो भ्रष्टाचार हमारी अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर सकता है।”
उसने नरेंद्र कुमार, करमवीर सिंह, महा नंद शर्मा, पंकज मदान, अहवनी शर्मा, आशुतोष पंत, सुदर्शन टंडन, मनोज वत्स, विजय ठाकुर, विकास मदान और पूनम अवस्थी को पांच साल कैद की सजा सुनाई गई।
पूर्व आरसीएस रजिस्ट्रार गोपाल दीक्षित और एक अन्य आरोपी नरेंद्र धीर को जुर्माने के साथ दो वर्ष के कारावास की सजा सुनाई गई।
भाषा प्रशांत