मुंब्रा रेल हादसा अत्यधिक भीड़ के कारण हुआ, हमारी लापरवाही से नहीं: आरोपियों ने अदालत में कहा
प्रचेता मनीषा
- 07 Nov 2025, 05:48 PM
- Updated: 05:48 PM
ठाणे, सात नवंबर (भाषा) मुंब्रा ट्रेन दुर्घटना के संबंध में गैर-इरादतन हत्या के आरोप में नामजद दो रेलवे अभियंताओं ने शुक्रवार को यहां एक अदालत को बताया कि यह घटना उनकी ओर से किसी लापरवाही के कारण नहीं बल्कि ट्रेन में अत्यधिक भीड़ के कारण हुई थी। यह रेल दुर्घटना इस साल जून में हुई थी जिसमें पांच लोगों की जान चली गई थी।
दोनों आरोपी अभियंताओं ने यह बात अपने गिरफ्तारी से पहले दिए गए जमानत आवेदन में कही है जिस पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जी. टी. पवार के समक्ष सुनवाई हुई।
अदालत ने पुलिस को उनकी याचिका पर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देने के साथ मामले की सुनवाई को 11 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया।
पुलिस ने बताया कि यह घटना नौ जून को ठाणे जिले में दीवा और मुंब्रा रेलवे स्टेशनों के बीच हुई। कसारा और मुंबई में छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) की ओर जाने वाली दो ट्रेनें मुंब्रा स्टेशन के पास एक मोड़ पर एक-दूसरे को पार करते हुए जा रही थीं तभी यह हादसा हुआ।
ट्रेनों के डिब्बों के फुटबोर्ड (डिब्बों में चढ़ने के लिए बनाई गई सीढ़ियां) पर यात्रा कर रहे कुछ यात्रियों के पीठ पर लदे बैग आपस में टकराने के बाद यात्री पटरी पर गिर गए।
इस घटना में पांच यात्रियों की मौत हो गई.
सरकारी रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने एक नवंबर को सहायक मंडल अभियंता विशाल डोलस, वरिष्ठ विभागीय अभियंता समर यादव और अन्य रेलवे अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है जिन पर रेलवे पटरियों के रखरखाव की जिम्मेदारी थी।
उन पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 105 (गैर-इरादतन हत्या) और 125 (ए) (बी) (दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कृत्य) के तहत मामला दर्ज किया गया। इससे पहले ठाणे जीआरपी ने इस संबंध में एक दुर्घटना में मौत का मामला दर्ज किया था।
डोलस और यादव की ओर से पेश हुए वकील बलदेव राजपूत ने अदालत को बताया कि यह दुर्घटना आवेदकों (अभियंताओं) की ओर से किसी भी चूक या लापरवाही के कारण नहीं बल्कि ट्रेनों में अत्यधिक भीड़भाड़ के कारण हुई थी।
वकील ने तर्क दिया, "अगर यह दुर्घटना रेलवे की विफलता के कारण हुई होती तो यही त्रासदी अन्य ट्रेनों के साथ भी घटित होनी चाहिए थी क्योंकि उसी स्थान से प्रतिदिन 200 ट्रेनें गुजरती हैं।"
उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि आवेदक सरकारी कर्मचारी हैं और पूछताछ के लिए किसी भी समय उपलब्ध हैं।
वकील ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) का हवाला देते हुए यह भी कहा कि आयोग ने एक सेवानिवृत्त रेलवे अधिकारी द्वारा दिए गए इस तर्क को स्वीकार किया है कि इस तरह के हादसे उपनगरीय ट्रेनों में भीड़भाड़ का परिणाम होते हैं।
दक्षिण मुंबई में बृहस्पतिवार शाम को सैंडहर्स्ट मार्ग रेलवे स्टेशन के पास एक उपनगरीय ट्रेन की चपेट में आने से दो लोगों की मौत हो गई और तीन अन्य घायल हो गए थे। यह घटना तब हुई जब मुंब्रा दुर्घटना मामले में दो अभियंताओं के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के विरोध में कर्मचारी संघों ने अचानक हड़ताल कर दी जिसके चलते केंद्रीय रेलवे की उपनगरीय ट्रेन सेवाएं बाधित हो गई थीं।
भाषा प्रचेता