अंडमान सहकारी बैंक घोटाले के मामले में अदालत ने सात लोगों को जमानत दी
वैभव नरेश
- 07 Nov 2025, 06:34 PM
- Updated: 06:34 PM
पोर्ट ब्लेयर, सात नवंबर (भाषा) अंडमान निकोबार राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड (एएनएससीबीएल) में कथित ऋण अनियमितताओं के सिलसिले में गिरफ्तार सात लोगों को यहां मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने जमानत दे दी है। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
जमानत पाने वालों में मैसर्स अंडमान एस्केपेड्स के मालिक एम. साजिद, ब्लेयर एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक तरुण मंडल, अंडमान मॉर्मन इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक बबलू हलदर, अंडमान ट्रीपाई एडवेंचर प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अजय मिंज, एएनएससीबीएल के पूर्व निदेशक के. सुब्रमण्यन, बैंक के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान सांसद कुलदीप राय शर्मा, पूर्व प्रबंध निदेशक के. मुरुगन, बैंक कर्मचारी कलैवानन और व्यवसायी संजय लाल शामिल हैं।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘कुलदीप राय शर्मा, कलैवानन और मुरुगन न्यायिक हिरासत में ही रहेंगे क्योंकि उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) मामले में अभी तक जमानत नहीं मिली है। इनके अलावा, संजय लाल भी ईडी द्वारा गिरफ्तारी के बाद से न्यायिक हिरासत में हैं।’’
ये गिरफ्तारियाँ अंडमान निकोबार पुलिस के अपराध एवं आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ द्वारा 15 मई को दर्ज की गई एक प्राथमिकी के आधार पर हुईं, जो सहकारी समितियों के उप-पंजीयक की एक शिकायत पर आधारित थी, जिसमें बड़े पैमाने पर ऋण अनियमितताओं का आरोप लगाया गया था।
18 जुलाई को, अपराध एवं आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (अंडमान पुलिस) ने ऋण अनियमितताओं के मामले में शर्मा (एएनएससीबीएल के पूर्व अध्यक्ष) को गिरफ्तार किया।
यह गिरफ्तारी सहकारी समितियों के उप-पंजीयक (मुख्यालय) की एक शिकायत के बाद की गई, जिसमें ऋणदाता द्वारा विभिन्न लोगों को ऋण स्वीकृत करने में घोर अनियमितताओं का आरोप लगाया गया था।
बाद में, ईडी ने भी एक समानांतर जांच शुरू की।
31 जुलाई को, उन्होंने अंडमान निकोबार द्वीप समूह में अपना पहला तलाशी अभियान चलाया। पिछले कुछ हफ्तों में, ईडी ने पूछताछ के लिए 10 से अधिक लोगों को कोलकाता बुलाया है।
ईडी की जांच में एक व्यापक साजिश का खुलासा हुआ है जिसमें फर्जी कंपनियों और फर्मों के नाम पर खोले गए और 100 से ज़्यादा खातों के ज़रिए 500 करोड़ रुपये से ज़्यादा के ऋण धोखाधड़ी से स्वीकृत किए गए।
ईडी के निष्कर्षों के अनुसार, शर्मा और उनके करीबी सहयोगियों, जिनमें एएनएससीबीएल के एमडी और ऋण अधिकारी भी शामिल हैं, के विशेष लाभ के लिए लगभग 230 करोड़ रुपये का कथित तौर पर गबन किया गया।
ईडी द्वारा जारी एक बयान में कहा गया था, ‘‘अधिकारियों ने न केवल बैंकिंग मानदंडों का घोर उल्लंघन करते हुए ऋण स्वीकृत किए, बल्कि 5 प्रतिशत कमीशन के बदले में सहयोगियों को नकद या फर्जी कंपनी खातों के माध्यम से कई ऋण भी दिए।’’
भाषा वैभव