विस्फोट के एक दिन बाद लाल किले के आसपास की गलियों में सन्नाटा पसरा
आशीष पवनेश
- 11 Nov 2025, 07:55 PM
- Updated: 07:55 PM
(श्रुति भारद्वाज)
नयी दिल्ली, 11 नवंबर (भाषा) लाल किले के आसपास विक्रेताओं की आवाजों और खरीदारों की चहल-पहल से गुलजार रहने वाली सदियों पुरानी गलियां मंगलवार सुबह एक अजीब सी खामोशी में डूबी थी। एक दिन पहले हुए जोरदार विस्फोट के बाद तबाही के निशान हर ओर दिख रहे थे।
सोमवार शाम लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास 'ट्रैफिक सिग्नल' पर कार में हुए जोरदार विस्फोट में 12 लोगों की मौत हो गई और 20 अन्य घायल हो गए।
आमतौर पर यातायात और पर्यटकों की भीड़ भाड़ वाले इस इलाके में अब सन्नाटा छाया हुआ है। स्थानीय लोगों ने बताया कि विस्फोट के काफी देर बाद तक उन्हें मानव अवशेष पड़े दिखाई दिए।
चांदनी चौक में रहने वाले स्थानीय दुकानदार उमेश राय ने बताया, "जब मैं सड़क पर जा रहा था, तो मेरी चप्पल में मांस का एक टुकड़ा फंस गया। मैं एक पल के लिए स्तब्ध रह गया। यह भयावह था। मैंने पहले कभी ऐसा कुछ नहीं देखा।"
राय ने बताया कि जब धमाका हुआ तब वह अपनी दुकान पर थे। उन्होंने कहा, "ऐसा लगा जैसे भूकंप आ गया हो। पूरी इमारत हिल गई। कुछ ही मिनटों में लोग दहशत में भागने लगे। मैंने अपनी दुकान बंद की और वहां से चला गया।"
निवासियों ने बताया कि घटनास्थल से सटे एक जैन मंदिर में शव के कुछ हिस्से बिखरे हुए थे, और उन्हें आशंका है कि उनके घर या दुकान की छत पर भी कुछ अवशेष हो सकते हैं।
एक स्थानीय दुकानदार ने कहा, "चूंकि धमाका बहुत जोरदार था, इसलिए छतों पर भी कुछ अवशेष हो सकते हैं।"
पुलिस और फॉरेंसिक टीम ने सुबह से ही इलाके की घेराबंदी कर दी थी जहां चील समेत बड़े पक्षी मंडराते देखे गए।
स्थानीय निवासी सोहेल ने बताया कि मंगलवार तड़के उन्हें अपनी दुकान के पास एक उंगली मिली। उन्होंने कहा, "मैंने तुरंत एक पुलिस अधिकारी को सूचित किया, जो आकर उसे ले गए। यहां जो हुआ उसकी कल्पना करना भी खौफनाक है।"
इस क्षेत्र से गुजरने पर लाल किले के आसपास बंद दुकानें और खाली सड़कें दिखाई दीं, जो चांदनी चौक बाजार में आम भीड़ के बिल्कुल विपरीत थीं।
पास में चूड़ियों की दुकान संचालित करने वाले एक दुकानदार ने कहा, "यह शादियों का मौसम है। आमतौर पर यहां पैर रखने की भी जगह नहीं मिलती।" उन्होंने कहा, "मैं सात साल से यहां हूं। बाजार में इतना सन्नाटा कभी नहीं देखा। सुबह से एक भी सामान नहीं बिका है।"
भाषा आशीष