आईआरसीटीसी घोटाला मामला: लालू प्रसाद और उनकी पत्नी की दैनिक सुनवाई के खिलाफ याचिका खारिज
सुरेश माधव
- 11 Nov 2025, 10:23 PM
- Updated: 10:23 PM
नयी दिल्ली, 11 नवंबर (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी की आईआरसीटीसी घोटाला मामले में दैनिक सुनवाई के खिलाफ याचिका मंगलवार को खारिज कर दी।
इससे पहले, विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख और अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के दंडात्मक प्रावधानों के अलावा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की सुसंगत धाराओं के तहत आरोप तय किए थे।
इसने मामले को अभियोजन पक्ष के साक्ष्य के चरण में डाल दिया था, जिसके तहत 27 अक्टूबर से सात नवंबर तक प्रतिदिन औपचारिक गवाहों से जिरह की जानी थी, लेकिन अदालत ने बाद में कुछ आरोपियों की याचिका पर गवाहों से जिरह की अवधि 17 नवंबर तक के लिए टाल दी थी।
लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और मेसर्स लारा प्रोजेक्ट द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश गोगने ने कहा, ‘‘अदालत मामलों को दैनिक आधार पर, एक साथ कई तारीखों में या किसी अन्य क्रम में सूचीबद्ध करने का अधिकार सुरक्षित रखती है।’’
इनकी याचिकाओं में ‘‘प्रत्येक सुनवाई के एक सप्ताह बाद तक मामले को सूचीबद्ध न करने’’ का अनुरोध किया था।
उन्होंने कहा कि किसी मामले को किसी विशेष तारीख पर या तारीखों के किसी विशेष क्रम में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करना निचली अदालत के आवश्यक कार्य का एक हिस्सा है, और यह कार्य मामले की प्रकृति, आरोपों की गंभीरता, अभियुक्तों और गवाहों की संख्या, और अन्य कई परिस्थितियों पर विचार करने के बाद किया जाता है।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मुकदमे पर नियंत्रण अदालत का विशेषाधिकार है, साथ ही यह एक गतिशील प्रक्रिया भी है। हालांकि अदालत हमेशा संबंधित वकीलों की सुविधा का ध्यान रखती है, लेकिन अदालत के विशेषाधिकार को केवल पक्षकारों के कहने पर किसी अनिवार्य आदेश द्वारा छोड़ा या बाध्य नहीं किया जा सकता।’’
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया है कि अदालतें मामलों का शीघ्र निपटारा करें, स्थगन से बचें और सुनवाई शुरू होने के बाद प्रतिदिन साक्ष्य दर्ज करें।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘अदालत, याचिकाकर्ताओं की अर्जी के अनुसार, प्रत्येक सुनवाई के एक सप्ताह बाद मामले को सूचीबद्ध न करके, अन्य बातों के साथ-साथ, अपने भविष्य के दैनिक आदेशों को बाध्यकारी और प्रतिबंधित करने के लिए अनिच्छुक है।’’
भाषा सुरेश