असम के मंत्री के विवादास्पद 'गोभी की खेती' पोस्ट की थरूर ने निंदा की
अमित सुरेश
- 16 Nov 2025, 05:57 PM
- Updated: 05:57 PM
नयी दिल्ली, 16 नवंबर (भाषा) बिहार चुनाव परिणाम की पृष्ठभूमि में ‘गोभी की खेती को मंजूरी’ से संबंधित असम के मंत्री अशोक सिंघल की टिप्पणी से विवाद उत्पन्न हो गया है और विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया है कि यह 1989 में भागलपुर में मुसलमानों की हत्या का ‘‘महिमामंडन’’ है।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने सोशल मीडिया पोस्ट की रविवार को निंदा करते हुए कहा कि न तो हिंदू आस्था और न ही राष्ट्रवाद ऐसे नरसंहारों को उचित ठहराता है या उनका समर्थन करता है, उनकी सराहना करना तो दूर की बात है।
विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की जीत के बाद, सिंघल ने शुक्रवार को ‘एक्स’ पर एक फूलगोभी के खेत की तस्वीर पोस्ट की थी, ‘‘बिहार ने गोभी की खेती को मंज़ूरी दे दी है।’’
इसपर कई लोगों ने ऑनलाइन कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि फूलगोभी की यह तस्वीर बिहार के 1989 के भागलपुर हिंसा का परोक्ष तौर पर संदर्भ है, जिसमें कई मुसलमानों को मार डाला गया था और उन्हें खेत में दफना दिया गया था, जहां बाद में शव छिपाने के लिए फूलगोभी के पौधे लगा दिए गए थे।
एक ‘एक्स’ उपयोगकर्ता ने सिंघल की पोस्ट पर जवाब देते हुए कहा, ‘‘एक कैबिनेट मंत्री एक चुनावी जीत का जश्न मनाने के लिए 116 मुसलमानों के नरसंहार का महिमामंडन कर रहे हैं।’’
उन्होंने थरूर को टैग करते हुए सवाल किया कि क्या कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कुछ प्रभावशाली हिंदू नेताओं से ‘‘बिहारी मुसलमानों के खिलाफ किए गए सबसे बुरे नरसंहारों में से एक की निंदा करवा सकते हैं।’’
थरूर ने पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘‘मैं कोई सामुदायिक आयोजक नहीं हूं, इसलिए संयुक्त बयान देना मेरा काम नहीं है, लेकिन समावेशी भारत के एक उत्साही समर्थक और एक गौरवान्वित हिंदू के रूप में, मैं अपनी ओर से और अपने जानने वाले अधिकांश हिंदुओं की ओर से यह कह सकता हूं कि न तो हमारा धर्म और न ही हमारा राष्ट्रवाद ऐसे नरसंहारों की मांग करता है, न उन्हें उचित ठहराता है और न ही उनका समर्थन करता है और उनकी सराहना करना तो दूर की बात है।’’
जब एक अन्य उपयोगकर्ता ने कहा कि उन्होंने इस पोस्ट की निंदा नहीं की, तो थरूर ने जवाब दिया, ‘‘मैंने बिल्कुल यही किया। मैंने इसकी निंदा की है।’’
कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने शनिवार को कहा था कि बिहार चुनाव परिणाम के मद्देनजर असम के एक मौजूदा कैबिनेट मंत्री द्वारा ‘‘गोभी की खेती’’ वाली तस्वीर का इस्तेमाल राजनीतिक विमर्श में एक चौंकाने वाला नया निचला स्तर है।
गोगोई ने कहा, ‘‘यह असभ्य और शर्मनाक दोनों है। यह तस्वीर 1989 के लोगैन नरसंहार से व्यापक रूप से जुड़ी हुई है, जिसमें भागलपुर हिंसा के दौरान 116 मुसलमानों की हत्या कर दी गई थी और उनके शवों को फूलगोभी के पौधों के नीचे छिपा दिया गया था।’’
उन्होंने कहा कि इस तरह की त्रासदी को इस तरह से उछालना दिखाता है कि कुछ लोग सार्वजनिक जीवन में किस हद तक गिर सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इस मानसिकता को मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा बढ़ावा दे रहे हैं। मुख्यमंत्री को भारतीय अल्पसंख्यकों से नफरत है। असम ऐसा नहीं है। असम, महापुरुष शंकरदेव, लचित बड़फूकन और अजान पीर की धरती है और अगले साल असम के लोग नफरत और लालच के राज का अंत कर देंगे।’’
तृणमूल कांग्रेस सांसद साकेत गोखले ने भी इस पोस्ट की आलोचना की। उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘...‘गोभी की खेती’ का मतलब 1989 में बिहार के भागलपुर में हुए मुसलमानों के सामूहिक नरसंहार का महिमामंडन करना है। सबूत छिपाने के लिए कब्रों पर फूलगोभी की खेती की गई थी। यह मोदी की भाजपा के असम से मंत्री हैं। कोई असामान्य विचारों वाले तत्व नहीं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘साफ है, पीएमओ इसे अनुमोदित करता है। दुनिया को पता होना चाहिए।’’
भाषा
अमित